जिला अस्पताल में बिगड़ रही है व्यवस्थाएं
मरीजों को नहीं मिल रहे हैं बिछाने के साधन, बाजार से लाना पड़ रहे हैं आईवी सेट और महंगे इंजेक्शन
रतलाम। १८१ बिस्तरों वाले मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट बनने और मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद मरीजों को जिला अस्पताल में बेहतर सुविधाएं मिलने की आस लगाई जा रही थी किंतु यह आस बेमानी साबित हो रही है। वार्डों में मरीज इतने पहुंच रहे हैं कि उन्हें अपने इलाज के लिए लेटने तक की जगह कम पडऩे लगी है। उधर अस्पताल में महंगे इंजेक्शन और आईवी सेट की एक बार फिर से कमी होने से मरीजों के परिजनों पर इसका भार पडऩे लगा है।
तीन सौ बेड के अस्पताल में मरीजों की संख्या इतनी अधिक पहुंच रही है कि यहां गादियां, पलंग और बिछाने के अन्य संसाधन भी कम पड़ रहे हैं। किराए से दरियां लाकर कुछ समय तक व्यवस्था जुटाई गई किंतु एक बार फिर से इसी तरह की स्थिति यहां निर्मित होने लगी है। शनिवार को फीमेल मेडिकल वार्ड की बात करें तो यहां वार्डों के अंदर की कल्पना नहीं की जा सकती है वरन बरामदे में भी इधर से उधर निकलने तक के लिए करना पड़ती है। हालत यह है कि नर्सें मरीजों को सलाइन चढ़ाने या इंजेक्शन लगाने भी जाए तो बड़ी मुश्किल से उन तक पहुंच पा रही है।
सलाइन चढ़वाओ और घर चले जाओ
वार्डों में मरीजों की संख्या बढऩे से संसाधन कम हो गए हैं। अब फिर से मरीजों को सलाइन चढ़ाने के लिए आईवी सेट बाजार से खरीदवाकर मंगवाए जा रहे हैं तो कुछ महंगे इंजेक्शन या गोलियां भी बाजार से ही परिजनों को लाना पड़ रही है। ड्यूटी सिस्टरें सलाइन चढ़ाने के लिए आईवी सेट नहीं होने से हाथ खड़े कर देती है। यही नहीं शहर के मरीजों को भर्ती होने पर सलाइन चढ़ाकर घर जाने की सलाह दी जा रही है। उनका घर शहर में ही होने से वे दोबारा सलाइन चढ़ाने के लिए दूसरे दिन सुबह फिर से आ सकते हैं। ग्रामीण मरीजों के लिए यह संभव नहीं होने से उन्हें यहां भर्ती ही रहना पड़ रहा है।
बहुत संख्या में हैं मरीज
अस्पताल में बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं। उन मरीजों को भर्ती करना जरुरी है जिन्हें यहीं पर इलाज देना होता है। उन्हें मना नहीं कर सकते हैं। बाजार से दवाइ और आईवी सेट मंगाने की बात है तो यह जानकारी वार्ड से किसी ने नहीं दी है। इस बात का पता करवाया जाएगा और इसकी व्यवस्था करेंगे।
डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल