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निगम आयुक्त कक्ष के बाहर धरने पर बैठे ठेकेदार

locationरतलामPublished: Oct 28, 2018 05:29:50 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

निगम आयुक्त कक्ष के बाहर धरने पर बैठे ठेकेदार

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निगम आयुक्त कक्ष के बाहर धरने पर बैठे ठेकेदार

पिछली नवरात्र के दौरान आयोजन और टेंट सहित अन्य व्यवस्थाएं करवाने वालों को नहीं मिला अब तक भुगतान, महापौर डॉ. सुनीता यार्दे के नजदीकी आशीष घोटीकर का भी नहीं हुआ है भुगतान

रतलाम. पिछले साल नवरात्र के दौरान कालिका माता मेले में नगर निगम के सांस्कृतिक मंच से प्रस्तुत होने वाले आयोजनों, इनमें आने वाले अतिथियों के नाश्ता, चाय, हार फुल, टेंट सहित अन्य व्यवस्थाएं करने वाले ठेकेदार एक साल से ज्यादा समय से अपने भुगतान के लिए भटक रहे हैं। उनके सब्र का बांध टूट गया और वे शनिवार की शाम करीब छह बजे निगम आयुक्त एसके सिंह के चैंबर के बाहर धरने पर जा बैठे। बाद में निगम आयुक्त सिंह ने सभी को अपने चैंबर में बुलाकर चर्चा की। चर्चा करने के बाद बाहर आए ठेकेदारों ने बताया कि निगम आयुक्त ने जल्द भुगतान का आश्वासन दिया। जिन लोगों का पैसा अब तक अटका पड़ा है उनमें महापौर के नजदीकी आशीष घोटीकर भी हैं जिन्होंने मंच से श्री राम कथा अनुगान और देवी दुर्गा आराधना का कार्यक्रम अपने कलाकारों से प्रस्तुत करवाया था।
१८ से २० लाख रुपए बकाया
कालिका माता मेले में व्यवस्थाएं करने वाले राजेश वागले, आशीष घोटीकर, सतीष सिंह राठौर, कृष्णकुमार सोनी, संजय चौधरी, जगदीश वागले, दिनेश बोहरा, गजेंद्रसिंह और मांगीलाल सहित अन्य ने बताया उन्होंने बकायदा प्रक्रिया करके यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति करवाई, टेंट, चाय-नाश्ता, हार फुल और बिजली, रावण दहन, आतिशबाजी का ठेका लिया था। इसके बाद भी निगम आयुक्त जानबुझकर भुगतान नहीं कर रहे हैं। एक साल से ज्यादा समय होने को है और अब तक भुगतान नहीं होने से हमें मजबुरन निगम आयुक्त के चैंबर के बाहर धरने पर बैठना पड़ा है। सभी ठेकेदारों का करीब १८ से २० लाख रुपए बकाया है। इतने लंबे समय तक भुगतान नहीं होता है तो कैसे घर परिवार चलाएं या किसी संस्था में काम करें।
तीसरा मौका है चैंबर के बाहर धरने का
निगम आयुक्त की कार्यप्रणाली को लेकर कोई भी खुश दिखाई नहीं दे रहा है। इसी साल गर्मी के दिनों में शहर में पेयजल को लेकर मचे हाहाकार और मोटरें खराब होने पर बिगड़ी पेयजल व्यवस्था को लेकर निगम की जलकार्य समिति के प्रभारी प्र्रेम उपाध्याय को पैर में फैक्चर होने पर पट्टा चढ़ा होने की स्थिति में निगम आयुक्त के चैंबर के बाहर धरना देना पड़ा था। इसके बाद निगम के कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर पिछले माह कर्मचारी यूनियन के नेता निगम आयुक्त के चैंबर के बाहर धरने पर बैठे थे। यह तीसरा मौका है जब निगम आयुक्त के चैंबर के बाहर शनिवार को ठेकेदारों को धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा है। धरना देने वाले ठेकेदारों का कहना है कि मंगलवार तक भुगतान नहीं होता है तो फिर से धरने पर बैठेंगे।

जिला अस्पताल में बिगड़ रही है व्यवस्थाएं
मरीजों को नहीं मिल रहे हैं बिछाने के साधन, बाजार से लाना पड़ रहे हैं आईवी सेट और महंगे इंजेक्शन
रतलाम। १८१ बिस्तरों वाले मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट बनने और मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद मरीजों को जिला अस्पताल में बेहतर सुविधाएं मिलने की आस लगाई जा रही थी किंतु यह आस बेमानी साबित हो रही है। वार्डों में मरीज इतने पहुंच रहे हैं कि उन्हें अपने इलाज के लिए लेटने तक की जगह कम पडऩे लगी है। उधर अस्पताल में महंगे इंजेक्शन और आईवी सेट की एक बार फिर से कमी होने से मरीजों के परिजनों पर इसका भार पडऩे लगा है।
तीन सौ बेड के अस्पताल में मरीजों की संख्या इतनी अधिक पहुंच रही है कि यहां गादियां, पलंग और बिछाने के अन्य संसाधन भी कम पड़ रहे हैं। किराए से दरियां लाकर कुछ समय तक व्यवस्था जुटाई गई किंतु एक बार फिर से इसी तरह की स्थिति यहां निर्मित होने लगी है। शनिवार को फीमेल मेडिकल वार्ड की बात करें तो यहां वार्डों के अंदर की कल्पना नहीं की जा सकती है वरन बरामदे में भी इधर से उधर निकलने तक के लिए करना पड़ती है। हालत यह है कि नर्सें मरीजों को सलाइन चढ़ाने या इंजेक्शन लगाने भी जाए तो बड़ी मुश्किल से उन तक पहुंच पा रही है।
सलाइन चढ़वाओ और घर चले जाओ
वार्डों में मरीजों की संख्या बढऩे से संसाधन कम हो गए हैं। अब फिर से मरीजों को सलाइन चढ़ाने के लिए आईवी सेट बाजार से खरीदवाकर मंगवाए जा रहे हैं तो कुछ महंगे इंजेक्शन या गोलियां भी बाजार से ही परिजनों को लाना पड़ रही है। ड्यूटी सिस्टरें सलाइन चढ़ाने के लिए आईवी सेट नहीं होने से हाथ खड़े कर देती है। यही नहीं शहर के मरीजों को भर्ती होने पर सलाइन चढ़ाकर घर जाने की सलाह दी जा रही है। उनका घर शहर में ही होने से वे दोबारा सलाइन चढ़ाने के लिए दूसरे दिन सुबह फिर से आ सकते हैं। ग्रामीण मरीजों के लिए यह संभव नहीं होने से उन्हें यहां भर्ती ही रहना पड़ रहा है।

बहुत संख्या में हैं मरीज
अस्पताल में बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं। उन मरीजों को भर्ती करना जरुरी है जिन्हें यहीं पर इलाज देना होता है। उन्हें मना नहीं कर सकते हैं। बाजार से दवाइ और आईवी सेट मंगाने की बात है तो यह जानकारी वार्ड से किसी ने नहीं दी है। इस बात का पता करवाया जाएगा और इसकी व्यवस्था करेंगे।
डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल

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