शहर में ३६ हजार से ज्यादा उपभोक्ता
शहर में जलकर उपभोक्ताओं की संख्या ३६ हजार से ज्यादा है और इनमें से ५० फीसदी उपभोक्ता हर साल एकमुश्त पूरे साल की राशि जमा हर माह लाइन में लगने से छुटकारा पा लेते हैं। जबकि कुछ फीसदी ऐसे जल उपभोक्ता हैं जो पूरे साल पैसा ही जमा नहीं करते हैं या कुछ सालों तक राशि जमा नहीं करवाकर निगम की डिफाल्टर की सूची में शुमार हो जाते हैं। इन उपभोक्ताओं पर बकाया राशि पर निगम पैनल्टी लगाकर वसूली निकालता है किंतु आखिर में जाकर निगम लोक अदालत में समझौता करके डिफाल्टर उपभोक्ताओं से राशि जमा करवा लेता है। यह राशि निगम को कई सालों बाद मिलती है फिर भी समझौता हो जाता है।
पहले मिलती थी पांच फीसदी की छूट
जलकर की सालभर की राशि एकमुश्त जमा करने पर उपभोक्ताओं को पांच फीसदी की छूट मिलती थी। जलकर की यह राशि उपभोक्ताओं को अप्रैल या मई माह में जमा करवाना होती थी तभी छूट मिलती थी। राजेंद्रनगर निवासी धर्मचंद जैन बताते हैं कि एकमुश्त राशि जमा करवाने का क्या फायदा जब कोई छूट नहीं दे रहे हैं। इसी तरह महालक्ष्मीनगर निवासी प्रवीण अग्रवाल का कहना है कि इमानदार उपभोक्ताओं को निगम से कुछ राहत मिलना चाहिए। जो राशि वित्त वर्ष के अंतिम माह मार्च में जमा होना है वह साल की शुरुआत में ही निगम के खजाने में जमा हो जाती है तो निगम के जिम्मेदारों को इस पर विचार करना चाहिए।
इस साल का पता नहीं
एकमुश्त जलकर की राशि जमा करवाने वालों को छूट देने का प्रस्ताव नगर निगम परिषद में होता है। इस साल आचार संहिता की वजह से संभवत: इस पर निर्णय नहीं हुआ है। वैसे एकमुश्त सालभर की जलकर की राशि जमा करवाने वालों को पांच फीसदी की छूट मिलती रही है। इस साल क्या हुआ है यह पूरी जानकारी समझने के बाद बताया जा सकेगा।
एससी व्यास, कार्यपालन यंत्री जल कार्य विभाग, नगर निगम