शहर के नाम बदलने के बाद अब हुआ ये बड़ा बदलाव, अब इनको पुकारना होगा इन नाम से
शहर के नाम बदलने के बाद अब हुआ ये बड़ा बदलाव, अब इनको पुकारना होगा इन नाम से

रतलाम। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहरों के नाम बदलने से उठा विवाद अभी थमा ही थाए कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा निर्णय नाम बदलने के मामले में ले लिया है। मोदी सरकार के रेलवे विभाग ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने अलग-अलग नाम को बदल डाला है। इसको लेकर रेलवे ने आदेश जारी कर दिए है। इतना ही नहीं, इन आदेश का पालन रतलाम रेल मंडल में शुरू हो गया है। 27 दिसंबर को निकले आदेश के बाद इसको रतलाम रेल मंडल में लागू भी कर दिया गया है। रेल संगठनों ने नाम बदलने के बजाए रिक्त पद भरने पर ध्यान देने की नसीहत दी है। रेल मंडल में इस आदेश का सात हजार कर्मचारियों पर असर होगा।
हाल ही में शहरों के राज्यों में बदले गए नाम के बाद विवाद उठा था। अब इस दौड़ में भारतीय रेलवे भी शामिल हो गई है। ताजा फरमान के अनुसार अब रेलवे में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जिनको अलग-अलग शाखा में अलग नाम से पुकारा जाता है, उनके नाम में बड़ा बदलाव कर दिया है। इससे लाभ क्या होगा, इस बारे में फिलहाल टिप्पणी नहीं की गई है। नाम बदलने से वेतन से लेकर अन्य किसी सुविधा में अंतर नहीं आएगा।
इन्होंने किया बदलाव
27 दिसंबर को रेलवे बोर्ड निदेशक एमके पांडा ने पश्चिम रेलवे सहित देशभर के सभी रेल महाप्रबंधक व अन्य यूनिट प्रमुख को जारी किए आदेश में इस बात का उल्लेख किया है। इसमे लिखा गया है कि 22 अक्टूबर को बोर्ड की हुई बैठक में ये मामला आया था। इस पर विस्तार से चर्चा हुई। अब इस पर निर्णय लिया गया है।
इस तरह लागू बदलाव
- वाणिज्य विभाग के बेरियर को सहायक, पोटर च वरिष्ठ पोटर को सहायक पोटर, भृत्य, जमादार को सामन्य सहायक कहा जाएगा।
- परिचालन विभाग में स्टोर रिकार्डर, संदेश वाहक को सामान्य सहायक पुकारा जाएगा।
- सिविल इंजीनियरिंग में हेल्पर को सहायक, भृत्य व जमादार को सामन्य सहायक कहा जाएगा।
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में लैब सहायक को बी-१ की श्रेणी दी गई है।
- इलेक्ट्रिकल इंजीयिरिंग विभाग में ट्रेन लाइटिंग में काम करने वालों को सहायक नाम दिया गया है।
- इसी प्रकार इलेक्ट्रिकल लोकोशेड, पॉवर ऑपरेशन, कोच अटेंडेंट को विभाग के नाम अनुसार सहायक का दर्जा दिया गया है।
- इसी तरह के बदलाव केंटीन स्टॉफ, रिकॉर्ड स्टोर, रेलवे अस्पताल में भी पदनाम में किए गए है।
ये सिर्फ मुद्दों से ध्यान हटाने की बात
नाम बदलने से क्या होगा। बेहतर है कि इसके बजाए सेफ्टी के रिक्त पडे़ १.४० लाख कर्मचारियों के पद भरे जाए। इसके अलावा नई पेंशन योजना को बंद किया जाए तो रेल व रेलवे कर्मचारी का भला होगा। ये सिर्फ असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की बात है।
- जेजी माहुरकर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एनएफआईआर
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