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बिना अनुमति के निजी अस्पताल में इलाज करने पर सरकारी डॉक्टर होंगे सस्पेंड

locationरतलामPublished: Oct 10, 2018 12:39:20 pm

Submitted by:

Virendra Rathod

बिना अनुमति के निजी अस्पताल में इलाज करने पर सरकारी डॉक्टर होंगे सस्पेंड

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बिना अनुमति के निजी अस्पताल में इलाज करने पर सरकारी डॉक्टर होंगे सस्पेंड

रतलाम। अब मेडिकल कॉलेज से संबंधित अस्पताल की ओपीडी और आईपीडी में आने वाले मरीजों का इलाज डॉक्टर्स को सरकारी अस्पताल में ही करना होगा। यदि मरीज सरकारी अस्पताल में आया है तो उसे डॉक्टर्स निजी अस्पताल में देखने के लिए नहीं बुला सकते हैं। अस्पताल का समय समाप्त होने के बाद ही डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकेंगे। इसके लिए भी उन्हें मेडिकल कॉलेज के डीन से लिखित में अनुमति लेनी होगी। बगैर अनुमति यदि कोई डॉक्टर निजी अस्पताल में इलाज करते मिला तो वेतन वृद्धि रोकने से लेकर सस्पेंड करने तक की कार्रवाई की जाएगी। डॉक्टर्स पर निगरानी की जिम्मेदारी डीन को दी गई है।

इससे पहले चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने की तैयारी की थी। ज्ञात है कि सरकारी अस्पतालों के अधिकांश डॉक्टर्स रोजाना निजी अस्पतालों में मरीज को देखने और ऑपरेशन करने जाते हैं। कुछ तो एेसे भी है, जिनका स्वयं का निजी अस्पताल चल रहा है।

 

सरकार के साथ धोखा

चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलवानिया का तर्क है कि मेडिकल कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर और डॉक्टर्स की सैलरी पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। यह सारे प्रयास मरीजों की सुविधा के लिए किया जा रहा है। एेसे में डॉक्टर्स यदि सरकारी अस्पताल छोड़कर निजी अस्पताल में मरीज का इलाज करते हैं तो इसे सरकार के साथ धोखा माना जाएगा। अब तक अस्पताल में शाम को रांउड न लगाने, सुबह 8 से दोपहर दो बजे तक ओपीड़ी में न मिलने, देर से आकर जल्दी चले जाने, ड्यूटी समय में प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस करने की शिकायतें मिल रहीं थी। मरीज को सरकारी अस्पतालें में ही बेहतर इलाज मिले । इसीलिए यह सख्ती की जा रही है।

पहले भी प्रैक्टिस पर लग चुकी रोक

सीनियर्स डॉक्टर्स की माने तो सरकार ने 1994 में निजी प्रैक्टिस पर पांबदी लगाई थी। मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन इंदौर ने 1997 में हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। वहीं 1999 में सरकार ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के डॉक्टर्स को प्रैक्टिस की छूट दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने भी प्रैक्टिस की छूट दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने भी प्रैक्टिस से पाबंदी हटाई, लेकिन शर्त रखी कि डॉक्टर्स को 1000 और मेडिकल ऑफिसर्स को 500 रुपए सालाना जमा कराने होंगे।

नौकरी की शर्तों में है शामिल

डॉक्टर्स जब भी सकारी सेवा से जुड़ते है। उन्हें पदस्थापना के दौरान ही बाहर के लिए प्रैक्टिस व नॉन प्रैक्टिस का फार्म भरवाया जाता है। जिसमें सभी शर्तें शामिल होती है। वह अस्पताल के खुलने के समय में बाहर प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। निजी अस्पताल में अटैच होने से पहले अनुमति लेनी होगी, वरना विभागीय के कार्रवाई से गुजरना होगा।

– डॉ. संजय दीक्षित, डीन मेडिकल कॉलेज रतलाम।

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