विधानसभा चुनाव करीब है। हर कोई अपने लिए विधानसभा चुनाव का टिकट चाहता है। एेसे में समाज के एक वर्ग ने कांगे्रस से टिकट की मांग करके पार्टी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। इससे जहां भाजपा खुश है तो कांगे्रस में हड़कंप मच गया है। टिकट मांगने वालों ने एक या दो नहीं, बल्कि पूरे 75 विधानसभा सीट पर मध्यप्रदेश में समाज के लिए दावेदारी की है।
100 से अधिक नेता एकत्रित राजनीति व जाति, इन दोनों का आपस में गहरा घालमेल है। भोपाल में कांगे्रस से टिकट मांगने के लिए मध्यप्रदेश के कांगे्रस से जुडे़ हुए 100 से अधिक नेता एकत्रित हुए। इन नेताओं ने प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात की। इस मुलाकात में 75 एेसी सीट के बारे में वोटों के गणित के हिसाब से समझाया गया, जो अल्पसंयकों के मान से प्रभावशाली है। इसमे रतलाम जिले की जावरा से लेकर मालवा की उज्जैन व इंदौर की एक-एक सीट के बारे में भी उल्लेख किया गया। इस बैठक में रतलाम नगर निगम पार्षद मुबारिक खान भी शामिल हुए।
ये है जीत का गणित भोपाल में हुई इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाथ को बताया कि राज्य में 75 सीट इस प्रकार की है, जहां पर किसी भी प्रत्याशी की जीत से लेकर हार को अल्पसंख्यक वर्ग तय करता है। इन सीट पर 10 से लेकर 40 प्रतिशत तक मतदाता अल्पसंख्यक वर्ग या मुस्लिम वर्ग के है। एेसे में हम चाहते है कि कांगे्रस ये विचार करें कि इस वर्ग को ही टिकट दे, जिससे एक साथ मतदान हो तो जीत बगैर किसी कष्ट के हो सके।
इन सीट का बताया हिसाब नाथ को बैठक में रतलाम जिले की जावरा सीट सहित अन्य सीट के बारे में विस्तार से बताया गया। जावरा में आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में फैजुल्लाह खान विजयी हुए थे। इनके बाद पार्टी ने वर्ष 2013 में युसूफ कड़पा को टिकट दिया, जिनको करीब ६० हजार वोट मिले, लेकिन वे पराजीत हुए। इसी प्रकार रीवाचंल, इंदौर सीट क्रमांक 5, भोपाल मध्य, जबलपुर उत्तर, कटनी की मुरवारा, बरहानपुर, रीवा, श्योपुर, विदिशा जिले की सिरोंज, उज्जैन उत्तर के लिए टिकट अनिवार्य रुप से अल्पसंख्यक को देने की मांग की गई है।
20 से 35 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाता बैठक में उन विधानसभा सीट का भी उल्लेख किया गया, जहां पर 20 से लेकर 35 प्रतिशत तक अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता है। इनमे रतलाम शहर, खंडवा, कुरवाई, महिदपुर, मंदसौर शहर, ग्वालियर पश्चिम, नरेला जैसी सीट के लिए भी टिकट की मांग की गई है।
जब प्रभावशाली है तो क्यों न मांगे टिकट लंबे समय से अल्पसंयक वर्ग की उपेक्षा हो रही है। जबकि ये वर्ग एकसाथ कांगे्रस को वोट करता आया है। एेसे में ये जरूरी है कि जो वर्ग आपको चुनाव में जीत दिला रहा है, उस वर्ग के व्यक्ति को ही टिकट दिया जाए। इसलिए बैठक करके मांग की गई है। अंतिम निर्णय वरिष्ठ नेताओं को लेना है।
– मुबारिक खान, पार्षद व बैठक में शामिल अल्पसंख्यक नेता