बीते वर्ष अचानक ढहे शहर के छत्रीपुल ने अब तक आकार नहीं लिया है। टेंडर की शर्तो में निर्माण फर्म को 9 माह की अवधि में पुल निर्माण करना था लेकिन सितंबर 2017 में भूमिपूजन कार्य की शुरूआत के बाद भी अब तक पुल पूरा नहीं हो सका है। वहीं, नगर निगम ने दावा किया था कि शहरी यातायात को ध्यान में रखकर पुल का निर्माण टेंडर की तय शर्त से एक या डेढ़ माह पहले कराया जाएगा, निगम का यह दावा भी फेल हो गया। छत्रीपुल के निर्माण में देरी के कारण शहर का बिगड़ा यातायात पटरी पर नहीं आ पा रहा है। विकल्प के तौर पर कलेक्टोरेट की रोड जाम का शिकार हो रही है तो अंजता टॉकिज और न्यूरोड की चौड़ाई का बड़ा हिस्सा कब्जों में होने से भी वाहनों का जाम लगता है।
डिजाइन से लेकर वर्क ऑर्डर में देरी से खींचा कार्य
नगर निगम के दावे के विपरीत छत्रीपुल के निर्माण में शुरूआत से ही देरी की जा रही है। भूमिपूजन के बाद निर्माण फर्म को वर्क ऑर्डर ही समय पर नहीं मिला। जब दबाव बना तो वर्क ऑर्डर जारी किया गया। वहीं, इसके बाद करीब 15 दिनों तक डिजाइन की स्वीकृति के लिए फर्म को इंतजार करना पड़ा। नगर निगम के पास सिविल इंजीनियर नहीं होने के कारण इंदौर के एक निजी महाविद्यालय के जरिए डिजाइन अप्रुवल कराई गई।
निगरानी मेंं भी कमजोर, डेढ़ माह से सुध नहीं ली
नगर निगम ने छत्रीपुल के कार्य की निगरानी के लिए सबसे पहले लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर नागेश वर्मा को अधिकृत किया था। इसके बाद उनका प्रभार बदल दिया गया। इसके बाद श्यामकुमार व्यास को पुल की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन फिर बदलाव कर दिया गया। अब एक अन्य इंजीनियर जीआर जायसवाल निगरानी कार्य देख रहे है।
15 जुलाई निकली, अगस्त भी निकलेगी
छत्रीपुल का निर्माण जानबूझकर देरी से कराया जा रहा है, नगर निगम में महापौर और अधिकारियों का अलग अलग गुट कार्य कर रहा है। इसका खामियाजा जनता भुगत रही है। 15 जुलाई को पुल चालू करने का कहा था, अब 15 अगस्त भी निकल जाएगी।
– यास्मिन शैरानी, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम रतलाम
नगर निगम के दावे के विपरीत छत्रीपुल के निर्माण में शुरूआत से ही देरी की जा रही है। भूमिपूजन के बाद निर्माण फर्म को वर्क ऑर्डर ही समय पर नहीं मिला। जब दबाव बना तो वर्क ऑर्डर जारी किया गया। वहीं, इसके बाद करीब 15 दिनों तक डिजाइन की स्वीकृति के लिए फर्म को इंतजार करना पड़ा। नगर निगम के पास सिविल इंजीनियर नहीं होने के कारण इंदौर के एक निजी महाविद्यालय के जरिए डिजाइन अप्रुवल कराई गई।
निगरानी मेंं भी कमजोर, डेढ़ माह से सुध नहीं ली
नगर निगम ने छत्रीपुल के कार्य की निगरानी के लिए सबसे पहले लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर नागेश वर्मा को अधिकृत किया था। इसके बाद उनका प्रभार बदल दिया गया। इसके बाद श्यामकुमार व्यास को पुल की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन फिर बदलाव कर दिया गया। अब एक अन्य इंजीनियर जीआर जायसवाल निगरानी कार्य देख रहे है।
15 जुलाई निकली, अगस्त भी निकलेगी
छत्रीपुल का निर्माण जानबूझकर देरी से कराया जा रहा है, नगर निगम में महापौर और अधिकारियों का अलग अलग गुट कार्य कर रहा है। इसका खामियाजा जनता भुगत रही है। 15 जुलाई को पुल चालू करने का कहा था, अब 15 अगस्त भी निकल जाएगी।
– यास्मिन शैरानी, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम रतलाम