यह है पूरा मामला
नेमीनाथ नगर निवासी कृष्णकुमार सोनी ने बताया २०१५ में उन्होंने स्कूल में बच्चों के लिए लगने वाली समग्र आईडी को अपडेट कराने के लिए निगम में दी थी। पहले से बनी आईडी में परिवार के आठ सदस्यों के नाम थे। अपडेट करने के दौरान परिवार की आईडी २३६०९२६० से मेरा आईडी नंबर ११४६८००२१ हटाते हुए मेरा काट दिया। काटे गए नाम के सामने लेट (यानि मृत) बताया गया। जब सोनी ने बाजार में आईडी निकलवाई तो परिवार के सात सदस्यों के ही नाम थे। पता करने पर सानमने आया कि उनका खुद का नाम कटा हुआ है। जिस पर उन्हें मृत बता दिया गया। इसके बाद निगम में अधिकारियों से संपर्क किया। उन्होंने आवेदन लिखने और उसके साथ आधार नंबर और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने की बात कही, किंतु इसके बाद भी कोई हल नहीं निकला।
नेमीनाथ नगर निवासी कृष्णकुमार सोनी ने बताया २०१५ में उन्होंने स्कूल में बच्चों के लिए लगने वाली समग्र आईडी को अपडेट कराने के लिए निगम में दी थी। पहले से बनी आईडी में परिवार के आठ सदस्यों के नाम थे। अपडेट करने के दौरान परिवार की आईडी २३६०९२६० से मेरा आईडी नंबर ११४६८००२१ हटाते हुए मेरा काट दिया। काटे गए नाम के सामने लेट (यानि मृत) बताया गया। जब सोनी ने बाजार में आईडी निकलवाई तो परिवार के सात सदस्यों के ही नाम थे। पता करने पर सानमने आया कि उनका खुद का नाम कटा हुआ है। जिस पर उन्हें मृत बता दिया गया। इसके बाद निगम में अधिकारियों से संपर्क किया। उन्होंने आवेदन लिखने और उसके साथ आधार नंबर और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने की बात कही, किंतु इसके बाद भी कोई हल नहीं निकला।
ऐसे जागी थी आस
करीब एक साल पहले किसी ने उन्हें बताया कि एनआईसी के माध्यम से यह काम हो सकता है तो वे वहां संपर्क करने पहुंचे। यहां से बताया गया कि निगम आयुक्त की मेल आईडी से नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त को पत्र लिखा जाए तो काम हो सकता है। निगम में अधिकारियों से कई बार निवेदन किया फिर भी किसी ने मेल नहीं किया। एक दिन यहां खूब हंगामा किया तो समग्र प्रभारी ने पत्र लिखने की बात कही। यह पत्र एनआईसी प्रबंधक को लिखते हुए मुझे इसकी कॉपी भी दी। ५ फरवरी को लिखे पत्र को एनआईसी प्रबंधक ने लेने से मना करते हुए कहा कि यह काम नगर निगम का है। अब निगम के पाले में गेंद है कि वे इसका निराकरण कब तक करे। यह तय है कि वे समग्र परिवार की आईडी में तीन साल से मृत दर्शाये हुए हैं किंतु जीते-जागते वे निगम में चक्कर काट रहे हैं।
करीब एक साल पहले किसी ने उन्हें बताया कि एनआईसी के माध्यम से यह काम हो सकता है तो वे वहां संपर्क करने पहुंचे। यहां से बताया गया कि निगम आयुक्त की मेल आईडी से नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त को पत्र लिखा जाए तो काम हो सकता है। निगम में अधिकारियों से कई बार निवेदन किया फिर भी किसी ने मेल नहीं किया। एक दिन यहां खूब हंगामा किया तो समग्र प्रभारी ने पत्र लिखने की बात कही। यह पत्र एनआईसी प्रबंधक को लिखते हुए मुझे इसकी कॉपी भी दी। ५ फरवरी को लिखे पत्र को एनआईसी प्रबंधक ने लेने से मना करते हुए कहा कि यह काम नगर निगम का है। अब निगम के पाले में गेंद है कि वे इसका निराकरण कब तक करे। यह तय है कि वे समग्र परिवार की आईडी में तीन साल से मृत दर्शाये हुए हैं किंतु जीते-जागते वे निगम में चक्कर काट रहे हैं।