रतलाम

OMG – ये क्या, जीते जागते व्यक्ति को बता दिया मृत

OMG – ये क्या, जीते जागते व्यक्ति को बता दिया मृत

रतलामFeb 09, 2019 / 11:06 am

harinath dwivedi

OMG – ये क्या, जीते जागते व्यक्ति को बता दिया मृत

रतलाम। आप अपनी या अपने परिवार की समग्र आईडी बनवाने जा रहे हैं तो आईडी बनने के बाद सारे नाम चेक कर लें वरना कहीं किसी के नाम काट दिए तो लेने के देने पड़़ जाएंगे। ऐसा ही कुछ मामला नेमीनाथ नगर निवासी कृष्ण कुमार सोनी के साथ हो चुका है। तीन साल पहले आईडी अपडेट करवाने के दौरान उन्हें मृत बताकर आईडी से नाम काट दिया। अब नाम जुड़वाने के लिए वे निगम के चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं किंतु आज तक कोई निराकरण नहीं हुआ। गलती किसकी है यह मामला अलग है किंतु निगम के अधिकारी भी उनकी सुनवाई करने की बजाय टालमटोल किए जा रहे हैं। सोनी ने बताया अब नगर निगम प्रशासन ने अपनी तरफ से एनआईसी के प्रबंधक को पत्र लिखकर आईडी क्रमांक देते हुए जोडऩे की बात कही तो एनआईसी ने पत्र लेने से इनकार करते हुए साफ कर दिया कि यह काम नगर निगम का है। इसलिए नगर निगम ही इसे नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त तक पहुंचाकर नाम जुड़वाएं।

यह है पूरा मामला
नेमीनाथ नगर निवासी कृष्णकुमार सोनी ने बताया २०१५ में उन्होंने स्कूल में बच्चों के लिए लगने वाली समग्र आईडी को अपडेट कराने के लिए निगम में दी थी। पहले से बनी आईडी में परिवार के आठ सदस्यों के नाम थे। अपडेट करने के दौरान परिवार की आईडी २३६०९२६० से मेरा आईडी नंबर ११४६८००२१ हटाते हुए मेरा काट दिया। काटे गए नाम के सामने लेट (यानि मृत) बताया गया। जब सोनी ने बाजार में आईडी निकलवाई तो परिवार के सात सदस्यों के ही नाम थे। पता करने पर सानमने आया कि उनका खुद का नाम कटा हुआ है। जिस पर उन्हें मृत बता दिया गया। इसके बाद निगम में अधिकारियों से संपर्क किया। उन्होंने आवेदन लिखने और उसके साथ आधार नंबर और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने की बात कही, किंतु इसके बाद भी कोई हल नहीं निकला।

ऐसे जागी थी आस
करीब एक साल पहले किसी ने उन्हें बताया कि एनआईसी के माध्यम से यह काम हो सकता है तो वे वहां संपर्क करने पहुंचे। यहां से बताया गया कि निगम आयुक्त की मेल आईडी से नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त को पत्र लिखा जाए तो काम हो सकता है। निगम में अधिकारियों से कई बार निवेदन किया फिर भी किसी ने मेल नहीं किया। एक दिन यहां खूब हंगामा किया तो समग्र प्रभारी ने पत्र लिखने की बात कही। यह पत्र एनआईसी प्रबंधक को लिखते हुए मुझे इसकी कॉपी भी दी। ५ फरवरी को लिखे पत्र को एनआईसी प्रबंधक ने लेने से मना करते हुए कहा कि यह काम नगर निगम का है। अब निगम के पाले में गेंद है कि वे इसका निराकरण कब तक करे। यह तय है कि वे समग्र परिवार की आईडी में तीन साल से मृत दर्शाये हुए हैं किंतु जीते-जागते वे निगम में चक्कर काट रहे हैं।
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