रतलाम में इस समाज के करीब 5 घर है व सदस्यो की बात करें तो 20 सदस्य है। ये लोग सुबह से उत्साह के साथ अपने नववर्ष को मनाते है। इसके लिए नए परिधान पहने जाते है व एक दूसरे को मिठाई देकर शुभकामना देते है। बता दे कि रतलाम में पारसी समाज की पहचान ही अंकलेसरिया परिवार की वजह से होती है। इस दिन पारसी परिवार के लोग नए कपड़े पहनकर अपने उपासना स्थल फायर टेंपल जाते है और एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं।
रिलिजन नेशनल होलीडे
पारसी समाज के रतलाम में अध्यक्ष टेम्पटन अंकलेसरिया ने पत्रिका को बताया कि जमशेदी नवरोज ( Jamshedi Navroz ) गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में एक रिलिजन नेशनल होलीडे है, जोकि पारसियों की एक महत्वपूर्ण आबादी वाले राज्यों में से आते हैं। पारसियों को ज़ोरोस्ट्रियन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वे ज़ोरोस्ट्रियनवाद का पालन करते हैं, जो प्राचीन ईरान में पैगंबर जऱथुस्त्र या ज़ोरोस्टर ( ग्रीक ) द्वारा स्थापित सबसे पुराने ज्ञात एकेश्वरवादी धर्मों में से एक है,जो पूर्व-इस्लाम युग में लगभग 3500 साल पहले 650 ई.पू में पाया गया था। 7 वीं शताब्दी में इस्लामी सेनाओं के आक्रमण के बाद, जोरास्ट्रियन फारस भाग गए और मुख्य रूप से भारत में रहने लगे।
पारसी समाज के रतलाम में अध्यक्ष टेम्पटन अंकलेसरिया ने पत्रिका को बताया कि जमशेदी नवरोज ( Jamshedi Navroz ) गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में एक रिलिजन नेशनल होलीडे है, जोकि पारसियों की एक महत्वपूर्ण आबादी वाले राज्यों में से आते हैं। पारसियों को ज़ोरोस्ट्रियन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वे ज़ोरोस्ट्रियनवाद का पालन करते हैं, जो प्राचीन ईरान में पैगंबर जऱथुस्त्र या ज़ोरोस्टर ( ग्रीक ) द्वारा स्थापित सबसे पुराने ज्ञात एकेश्वरवादी धर्मों में से एक है,जो पूर्व-इस्लाम युग में लगभग 3500 साल पहले 650 ई.पू में पाया गया था। 7 वीं शताब्दी में इस्लामी सेनाओं के आक्रमण के बाद, जोरास्ट्रियन फारस भाग गए और मुख्य रूप से भारत में रहने लगे।
फायर टेंपल जाते है
अध्यक्ष टेम्पटन अंकलेसरिया के अनुसार फारसी नव वर्ष 17 अगस्त को मनाया जाता है, जो कि वसंत विषुव के मूल दिन से लगभग 150-200 दिन बाद सेलिब्रेट होता है। मध्यप्रदेश में पारसी समुदाय के लोग नवरोज शहंशाही पंचांग के मुताबिक इसे मनाते हैं। इस दिन पारसी परिवार के लोग नए कपड़े पहनकर अपने उपासना स्थल फायर टेंपल जाते है और एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं।
अध्यक्ष टेम्पटन अंकलेसरिया के अनुसार फारसी नव वर्ष 17 अगस्त को मनाया जाता है, जो कि वसंत विषुव के मूल दिन से लगभग 150-200 दिन बाद सेलिब्रेट होता है। मध्यप्रदेश में पारसी समुदाय के लोग नवरोज शहंशाही पंचांग के मुताबिक इसे मनाते हैं। इस दिन पारसी परिवार के लोग नए कपड़े पहनकर अपने उपासना स्थल फायर टेंपल जाते है और एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं।