परिणामों को बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने के लिए लागू की जा रही इस योजना में हर एक शख्श की भूमिका तय होगी। शिक्षक से लेकर प्राचार्य, कक्षाध्यापक और जिले के विभागीय अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय करके उसकी मानिटरिंग की जाएगी। आयुक्त लोक शिक्षण की तरफ से जारी किए गए निर्देशों में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि अब तक जिम्मेदारी तय नहीं होने से गुणवत्ता और परिणामों में सुधार नहीं हुआ है।
श्रेणी १ – (ए प्लस) – ९० फीसदी या इससे अधिक अंक लाने का लक्ष्य निर्धारित करने वाले विद्यार्थियों की संख्या।
श्रेणी २ (ए) – ८० से ८९ फीसदी तक अंक लाने का लक्ष्य निर्धारित करने वाले विद्यार्थियों की संख्या।
श्रेणी ३ (बी) – ७० से ७९ फीसदी तक अंक लाने का लक्ष्य निर्धारित करने वाले विद्यार्थियों की संख्या।
श्रेणी ४ (सी) – ६० से ६९ फीसदी तक अंक लाने का लक्ष्य निर्धारित करने वाले विद्यार्थियों की संख्या।
श्रेणी १ – (ए प्लस) – ८० फीसदी या इससे अधिक अंक लाने का लक्ष्य निर्धारित करने वाले विद्यार्थियों की संख्या।
श्रेणी २ (ए) – ६० से ७९ फीसदी तक अंक लाने का लक्ष्य निर्धारित करने वाले विद्यार्थियों की संख्या।
श्रेणी ३ (बी) – ४५० से ५९ फीसदी तक अंक लाने का लक्ष्य निर्धारित करने वाले विद्यार्थियों की संख्या।
श्रेणी ४ (सी) – ३३ से ४४ फीसदी तक अंक लाने का लक्ष्य निर्धारित करने वाले विद्यार्थियों की संख्या।
लक्ष्य में १० फीसदी की कमी —————– कोई कार्रवाई नहीं होगी।
लक्ष्य से ११ से २० फीसदी की कमी पर ——— एक वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोकना।
लक्ष्य से २१ से ४० फीसदी की कमी पर ——— दो वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोकना।
लक्ष्य से ४० फीसदी से अधिक की कमी पर —— विभागीय जांच स्थापित करके अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
– लक्ष्य की पूर्ति करने वाले संभागीय संयुक्त संचालकों, जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्यों और शिक्षकों को उत्कृष्ट सलेवा के लिए समारोहपूर्व प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाएंगे।
– हिंदी एवं संस्कृत विषय के शिक्षकों को प्रोत्साहन के लिए ए प्लस और ए ग्रेड के विद्यार्थियों के लक्ष्य की पूर्ति को आधार माना जाएगा।
– अन्य विषयों के शिक्षकों को प्रोत्साहन के लिए सक्षी श्रेणी के लक्ष्य की पूर्ति को आधार माना जाएगा।
– लक्ष्य की शतप्रतिशत पूर्ति करने वाले शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर दिए जाने वाले पुरस्कारों में प्राथमिकता दी जाएगी।