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भ्रष्टाचारियों का गढ़ बना गया है जिला अस्पताल, अब चढऩे लगे पुलिस के हत्थे

locationरतलामPublished: Oct 20, 2018 05:18:17 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

भ्रष्टाचारियों का गढ़ बना गया है जिला अस्पताल, अब चढऩे लगे पुलिस के हत्थे

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भ्रष्टाचारियों का गढ़ बना गया है जिला अस्पताल, अब चढऩे लगे पुलिस के हत्थे

कर्मचारी कर रहे लाखों का गबन,
– ७.80 लाख रुपए के गबन का मामला, एक दिन पहले सीएमएचओ ने दिया था आवेदन
रतलाम। जिला अस्पताल के पूर्व लेखापाल चंद्रसेन भोसले के खिलाफ स्टेशन रोड थाना पुलिस ने गबन का मामला दर्ज कर लिया है। भोसले पर 7 लाख 80 हजार रुपए का घपला करने का आरोप है। सीएमएचओ स्तर से जांच प्रतिवेदन पुलिस के पास आने के बाद शुक्रवार की देरशाम को एफआइआर दर्ज की गई है।
पुलिस के अनुसार जिला अस्पताल के लेखापाल शक्तिनगर निवासी नवीन नागर की शिकायत पर पूर्व लेखापाल चंद्रसेन भोसले के खिलाफ कायमी की गई है। भोसले जिला अस्पताल में वर्ष 2009 से 2012 के बीच लेखापाल के रूप में पदस्थ थे। भोसले ने रोगी कल्याण समिति व परिवार कल्याण केंद्र को मिली धनराशि का गबन किया गया है। सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर ननावरे ने एक दिन पहले अपने प्रतिवेदन में भोसले के खिलाफ आर्थिक अनियमितता का तथ्य दर्शाते हुए पुलिस को आवेदन दिया गया था। दिनभर चली जांच के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया।

इस तरह किया था गबन
पुलिस के अनुसार भोसले ने रोकस की नवंबर २००९ से मार्च २०१० तक की अवधि की केशबुक नहीं लिखी और वर्ष २०१०-२०११ में रोकस को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय बैंक में जमा नहीं कराई। इस अवधि में उसने ७ लाख ७५ हजार ४३६ रुपए का गबन किया। इसके साथ ही परिवार कल्याण की राशि ५ हजार २५० रुपए का भी गबन कर दिया।
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चार साल के दस्तावेजों मेंं मिली अनियमितता
भोसले ने वर्ष २००९ से २०१२-१३ तक प्राप्त राशि में गबन किया। जब चार सालों के वाउचर और प्राप्त राशि का मिलान जांच के दौरान हुआ तो यह गड़़बड़ी सामने आई कि सात लाख ७५ हजार का गबन हुआ है।

आखिर आठ दुकानों की काटना पड़ गई रसीदें
रतलाम। कालिका माता नवरात्र मेले में दुकानें लगाने के लिए दुकानदारों से टेंडर मंगाए गए थे और जिन्होंने टेंडर दिए उन्हें दुकाने लगाने के लिए निगम ने स्थान उपलब्ध करवाया। कुछ ऐसे दुकानदार भी रहे हैं जिन्होंने झाली तालाब के किनारे अपनी मर्जी से बिना टेंडर के ही दुकानें लगा ली और पूरे मेले में व्यापार भी कर लिया। जिला प्रशासन को इस बात की जानकारी मिलने के बाद आए दबाव के चलते निगम अमले को इन दुकानों की रसीदें वर्ग फीट के हिसाब से काटना पड़़ गई। ऐसी दुकानों की संख्या करीब आठ है और इनसे लगभग ७० हजार रुपए की वसूली की गई है। समय रहते जिला प्रशासन का दबाव काम आया वरना निगम को बिना टेंडर लगी इन दुकानों से होने वाली आय कतिपय निगमकर्मियों की जेब में चली जाती।

ठेलागाड़ी वाले भटकते रहे रसीदें लेकर
मेले में मुख्य मार्ग के किनारे ठेलागाडिय़ां लगाने और नहीं लगाने को लेकर चली मशक्कत के बाद आखिरकार इन्हें दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया। ठेलागाड़ी वालों का मानना है कि उन्हें रसीदें तो मुख्य मार्ग के किनारे दुकानें लगाने की दी गई किंतु बाहर कर दिया गया। वे रसीदें लेकर भटक रहे है किंतु पूरा मेला हो चुका है और किसी ने सुनवाई नहीं की। चुनाव आचार संहिता की आड़ लेकर मेले में रोजीरोटी कमाने आए लोगों के साथ खिलवाड़ किया गया।

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