रतलाम पत्रिका कार्यालय पर शुक्रवार को मध्यप्रदेश का महामुकाबला आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व शिक्षा व्यवस्था की हकीकत को उजागर करते समाचार पर टॉक-शो आयोजित किया गया। करीब दो घंटे चले टॉक-शो में शिक्षक, शिक्षाधिकारी, सेवानिवृत शिक्षक, पूर्व शिक्षाधिकारी और पालकों के साथ समितियों के सदस्य शामिल हुए। वाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए टॉपर रहे बच्चों से उनके गांव से बात की गई। सभी ने एक स्वर में यह तो माना कि परिणामों में साल दर साल कम और बढ़ोतरी होती रही है। कुछ भी स्थाई नहीं रहा, कभी परिणाम ठीक रहते हैं तो कभी रसातल पर आ जाते है। कई स्कूलों से तो बच्चों का सफलता प्रतिशत अचानक ऊपर-नीचे हो रहा है।
विशेषज्ञ शिक्षकों की भारी कमी
चर्चा में सामने आया कि वर्तमान शिक्षा नीति सटीक नहीं बैठ रही। ज्यादातर स्कूलों में शिक्षक और बच्चों का अनुपात ही सही नहीं है। तमाम दावों के बाद भी ग्रामीण स्कूल शिक्षकों की कमी का सामना कर रहे है तो विशेषज्ञ शिक्षक शहरी स्कूलों में भी कम है। अतिथि शिक्षकों के भरोसे महत्वपूर्ण छोड़ दिए गए है, इससे परिणाम नहीं आ रहे।
चर्चा में सामने आया कि वर्तमान शिक्षा नीति सटीक नहीं बैठ रही। ज्यादातर स्कूलों में शिक्षक और बच्चों का अनुपात ही सही नहीं है। तमाम दावों के बाद भी ग्रामीण स्कूल शिक्षकों की कमी का सामना कर रहे है तो विशेषज्ञ शिक्षक शहरी स्कूलों में भी कम है। अतिथि शिक्षकों के भरोसे महत्वपूर्ण छोड़ दिए गए है, इससे परिणाम नहीं आ रहे।
भवन-भोजन है, शिक्षा नहीं
शासकीय स्कूलों में सरकार भवन और भोजन तो उपलब्ध करा रही है, लेकिन शिक्षा नहीं रही। ज्यादातर शिक्षक पढ़ाने की बजाय अन्य कार्यो मेंं लगा दिए गए है। इसका असर परीक्षा के परिणामों पर हो रहा है और सफलता का प्रतिशत भी सुधर नहीं रहा। इस पर राजनीतिक दबाव के कारण लादे जा रहे नियम हालात और भी बिगाड़ रहे है।
शासकीय स्कूलों में सरकार भवन और भोजन तो उपलब्ध करा रही है, लेकिन शिक्षा नहीं रही। ज्यादातर शिक्षक पढ़ाने की बजाय अन्य कार्यो मेंं लगा दिए गए है। इसका असर परीक्षा के परिणामों पर हो रहा है और सफलता का प्रतिशत भी सुधर नहीं रहा। इस पर राजनीतिक दबाव के कारण लादे जा रहे नियम हालात और भी बिगाड़ रहे है।
चर्चा का मूल नीति बदले
चर्चा के दौरान सभी पक्षों से सामने आए तर्क का मूल यह रहा कि सरकार को अपनी नीति बदलना होगी। स्कूलों में प्रयोग करने की बजाय बेहतर शिक्षा माहौल तैयार किया जाए। पालकों मेें शासकीय स्कूलों के प्रति विश्वास जगाने के प्रयास व्यवहारिक हो। सभी को एकसमान नीति के तहत शिक्षण से जोड़ा जाए और संसाधन विकसित करें।
चर्चा के दौरान सभी पक्षों से सामने आए तर्क का मूल यह रहा कि सरकार को अपनी नीति बदलना होगी। स्कूलों में प्रयोग करने की बजाय बेहतर शिक्षा माहौल तैयार किया जाए। पालकों मेें शासकीय स्कूलों के प्रति विश्वास जगाने के प्रयास व्यवहारिक हो। सभी को एकसमान नीति के तहत शिक्षण से जोड़ा जाए और संसाधन विकसित करें।