कैसे गए खाता नंबर
पुलिस की माने तो यह संभव नहीं है कि किसी के बैंक खाते से जुड़ी सारी जानकारी दीपक के पास मौजूद हो। यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत ही हुआ है। एेसा संभव नहीं है कि जिन खातों में राशि गई है, उनका खाता नंबर, आईएफएससी कोड, आधार नंबर बिना उनके दिए किसी और के पास जा सकता है। यदि गलती से उनके खातों में राशि आई थी, तो वह उसकी जानकारी बैंक को देकर लौटा भी सकते थे, लेकिन एक भी शख्स ने एेसा नहीं किया, जिसके चलते इन सभी की सहभागिता इसमें होना उजागर हो रही है।
बिना जांचे कैसे किए हस्ताक्षर
जिन 13 फर्जी लोगों के बैंक खाते में राशि गई है, उनकी सूची तय होने के बाद उस पर हस्ताक्षर नगर निगम के बर्खास्त किए गए अधिकारी सुहास पंडित व एमके जैन के होना बताए जा रहे है। एेसे में इनके द्वारा सूची को बिना जांचे कैसे हस्ताक्षर किए गए यह भी जांच का विषय है। इतनी बड़ी गलती इनके द्वारा जानबूझकर न की जाते हुए एक सोची समझी साजिश के तहत यह काम किए जाना बताया जा रहे है, जिसके चलते पुलिस इन दोनों को भी इसमें सह आरोपी बनाने की तैयारी में है।
अधिकारी भी आ सकते है घेरे में
पुलिस की माने तो सैडमेप के दीपक की गिरफ्तारी होते ही कई औंर बड़े नामों का खुलासा हो सकता है। वर्तमान में जिस सिटी इंजीनियर सुरेशचंद्र व्यास ने इनके खिलाफ केस दर्ज कराया है, उससे भी पूछताछ की गई है। यदि उसकी या निगम के और भी किसी अधिकारी की इसमें भूमिका नजर आती है तो उन्हे भी आरोपी बनाया जाकर गिरफ्तार किया जाएगा। फिलहाल पुलिस को दीपक की तलाश है, जो कि अब तक उनके हाथ नहीं आ सका है।
निगम में सरगर्मी तेज
पीएम आवास में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद अब निगम के गलियारों में भी राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है। हर कोई अब इस योजना से जुड़े अधिकारियों को शंका भरी निगाहों से देख रहा है। वहीं पीडि़त लोग जिनके हक की राशि दूसरों के खाते में गई थी, वह अब अपनी राशि वापस पाने के लिए चक्कर काट रहे है। उनकी माने तो बारिश का मौसम आ गया है और उनके खातों में राशि नहीं आने से अब इस बारिश भी उन्हे अपने कच्चे आशियानों में बितानी पड़ेगी