जांच दल में शामिल अधिकारियों की माने तो नगर परिषद् में एक ही स्थान पर 766 आवास स्वीकृत किए जाना ही शंकास्पद है। दरअसल इस प्रकार की इतनी बढ़ी किसी भी नगर परिषद् में इतने अधिक संख्या में आवास स्वीकृत नहीं हुए है लेकिन यहां इतने आवास स्वीकृत होना गड़बड़ी को दर्शा रहा है। शुरुआत में ही इस मामले में कोई ध्यान देता तो घोटाला नहीं हो पाता लेकिन जिम्मेदारों ने अपने से जुड़े लोगों को लाभ देने के लिए अपात्र होने के बावजूद उन्हे पीएम आवास स्वीकृत करवा दिए।
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10 टीम लगी थी जांच में
नामली में पीएम आवास घोटाले की शिकायत के बाद इसकी जांच के लिए कलेक्टर ने रतलाम ग्रामीण एसडीएम प्रवीण फुलपगारे के नेतृत्व में तहसीलदार, राजस्व अधिकारी व पटवारियों की दस टीमें गठित की थी। इन टीमों ने करीब चार माह से अधिक समय तक एक-एक हितग्राही के घर जाकर उससे जुड़ी जानकारी एकत्र की, जिसमें घोटाले का सच उजागर हुआ है। एक ही स्थान पर 336 अपात्रों को योजना का लाभ देने के मामले से जुड़े कुछ दस्तावेज व फाइलें भी अब नगर परिषद् से गायब है, जिसके चलते दल को जांच में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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चल रही है जांच
– पीएम आवास योजना में कितने हितग्राहियों के खातों में कितनी राशि जमा हुई थी, इसकी जांच फिलहाल जारी है। नगर परिषद् के कार्यालय से फाइलों से महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब होने के चलते जानकारी एकत्र करने में समय लग रहा है। जांच के दौरान जो कोई भी दोषी सामने आएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रवीण फुलपगारे, एसडीएम रतलाम ग्रामीण