जिपं सीईओ ने जिपं व जनपद के कर्मचारियों को इधर-उधर अटैच कर रखा है। अटैचमेंट समाप्त कराने के लिए रुपयों की लेन-देन जारी है। इस काम में यहां के दो लोग शामिल है। जिपं में उपयोग में आने वाली सामग्री के बिल पास करने के नाम पर २० से ३० प्रतिशत कमीशन की मांग की जाती है। इनकी बात नहीं सुनने पर कर्मचारियों को धमकी देकर मानसिक रूप से प्रताडि़त कर दबाव बनाया जाता है।
शिकायत में बताया कि पूर्व कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल ने स्टेनो की कार्यशैली व शिकायतों को देखते हुए उन्हे वहां से हटाया था लेकिन उनका तबादला होते ही सीईओ ने फिर से उन्हे अपने करीब बुला लिया। शिकायतकर्ता ने स्टेनो व यहां पदस्थ एक अन्य अधिकारी के स्थानांतरण की मांग भी की। स्टेनो पर यह भी आरोप है कि वह सुबह-शाम सीईओ के घर जाकर कर्मचारियों की शिकायत कर उन्हे परेशान करता है।
बैठक में सदस्यों ने विभिन्न विभागीय योजनाओं की समीक्षा की। वहीं अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपनी स्थाई समितियों की बैठक के आयोजन में लापरवाही नहीं बरते समय-सीमा में बैठकें आयोजित करें। सीईओ ने एक सप्ताह के भीतर सभी समितियों के संबंधित अधिकारियों को बैठकों की तिथियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
जिपं अध्यक्ष प्रमेश मईड़ा ने बिजली कंपनी के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लटके विद्युत तारों से दुर्घटनाएं हो रही है। बिजली कंपनी तत्काल लटके तारों की ऊंचा करने का अभियान चलाए। बैठक में जिपं उपाध्यक्ष डीपी धाकड़, सदस्य विश्वजीत सिंह, चांदनी जैन सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।