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डॉ. दुर्गा शर्मा को किया काव्य गोष्ठी में याद

locationरतलामPublished: Nov 23, 2021 08:02:09 pm

Submitted by:

Ashish Pathak

रचना में शब्द, कल्पना के साथ विचार होते

poetry seminar

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रतलाम. रचनाकार की अपनी एक सृजन यात्रा होती है। इस सृजन यात्रा में वह शब्द, कल्पना, विचारों के साथ अपनें अनुभव की यात्रा भी कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में साझा करता है, तब कहीं जाकर वह किसी रचना का निर्माण करता है। उस रचना में वह उन प्रतिकों, बिंबो, अलंकारों को भी शामिल करता है।
यह बात गीतकार हरिशंकर भटनागर ने डॉक्टर दुर्गा शर्मा की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी में व्यक्त किए। भटनागर ने कहा जिस विषय वस्तु पर वह बात करने की ताकत व क्षमता रखता है, कही गई उसी विषय वस्तु पर उस रचना का निर्माण करता है, जो समय के साथ पाठकों के बीच पहुंचकर उस रचनाकार की भी उपस्थिति दर्ज करवाता है। इसके साथ ही रचनाकार की सजगता एवं रचनाकार की चुनौतियां उसके लेखन को और अधिक प्रभावशाली बनाती है।
इस तरह हुई शुरुआत


आयोजन की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई व प्रकाश हेमावत ने पाठ किया। इसके बाद सुभाष यादव ने घरों मे बजती कुकर की सीटीयों को लेकर अपनी व्यंग्यात्मक शैली में व्यंग की रचना पढ़ी। जन्मेजय उपाध्याय ने अपनी रचना में मौन अभिव्यक्ति के तहत मौन पर काव्य पाठ किया। मोडीराम सोलंकी एकांत ने गणेश वंदना तो रामचंद्र फुहार ने कोरोना काल के तमाम घटनाक्रम को अपनी रचना में सम्मिलित हुए रचना पाठ किया। प्रकाश हेमावत व अकरम शीरानी ने अपनी गज़़ल के माध्यम से माहौल को गजलमय बनाया, तो वही मुकेश सोनी ने भी अपनी गज़़ल के माध्यम से अमित छाप छोड़ी । अखिल स्नेही ने अपने गीत का पाठ किया। अनुरूप शर्मा ने अपने पिता को समर्पित रचना सुनाई। संचालन शर्मा ने व आभार व्यक्त मुकेश सोनी ने किया। अंत में सभी रचनाकारों को डॉक्टर दुर्गा शर्मा की स्मृति में प्रतीकात्मक चिन्ह भी भेंट किए।
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