पहला मामला
डाकघर में खाताधारकों की राशि में घोटाले का पहला मामला अनुडाकघर पिपलौदा का है। तत्कालीन अनुडाकपाल राजेश मेहर पिता मदनलाल मेहर निवासी जवाहर नगर ने खाताधारकों से राशि जमा करवाई और उनकी डायरी में इसकी बकायदा इंट्री भी की। मेहर ने 1 जुलाई 2015 से लेकर 7 जुलाई 2018 तक कार्यरत रहने के दौरान उसने कई खाताधारकों की राशि में हेराफेरी करके न केवल शासन को हानि पहुंचाई वरन खाताधारकों के साथ भी धोखाधड़ी की है। डाक अधीक्षक रतलाम को इसकी जानकारी मिलने के बाद अपने स्तर पर की गई जांच में यह तथ्य साबित होने पर उन्होंने पिपलौदा पुलिस को पत्र लिखा था। इस दरमियान मेहर को निलंबित करके झाबुआ प्रधान डाकघर में अटैच कर दिया गया था। उसने सुकन्या समृद्धि खाते, अनेक्जर, आवर्ती जमा खाते और अन्य खातों में एक लाख 5 हजार पांच सौ रुपए का गबन किया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर लिया है।
डाकघर में खाताधारकों की राशि में घोटाले का पहला मामला अनुडाकघर पिपलौदा का है। तत्कालीन अनुडाकपाल राजेश मेहर पिता मदनलाल मेहर निवासी जवाहर नगर ने खाताधारकों से राशि जमा करवाई और उनकी डायरी में इसकी बकायदा इंट्री भी की। मेहर ने 1 जुलाई 2015 से लेकर 7 जुलाई 2018 तक कार्यरत रहने के दौरान उसने कई खाताधारकों की राशि में हेराफेरी करके न केवल शासन को हानि पहुंचाई वरन खाताधारकों के साथ भी धोखाधड़ी की है। डाक अधीक्षक रतलाम को इसकी जानकारी मिलने के बाद अपने स्तर पर की गई जांच में यह तथ्य साबित होने पर उन्होंने पिपलौदा पुलिस को पत्र लिखा था। इस दरमियान मेहर को निलंबित करके झाबुआ प्रधान डाकघर में अटैच कर दिया गया था। उसने सुकन्या समृद्धि खाते, अनेक्जर, आवर्ती जमा खाते और अन्य खातों में एक लाख 5 हजार पांच सौ रुपए का गबन किया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर लिया है।
दूसरा मामला
दूसरा मामला भी अनुडाकघर पिपलौदा के अंतर्गत शाखा बड़ायला माताजी का है। यहां पदस्थ रहे समरथ चंदेशा पिता फूलचंद्र चंगेसा निवासी सिमलावदा खुर्द थाना नामली ने भी कुछ इसी तरह के गुल खिलाकर खाताधारकों द्वारा जमा कराई गई राशि को उनकी डायरी में इंट्री तो कर दी लेकिन यह राशि डाकघर में जमा करने की बजाय अपनी जेब में रख ली। खाता धारक अपनी राशि जमा कराने के बाद निश्चिंत हो गए किंतु डाकघर में रसीदों में इसका उल्लेख नहीं होना पाए जाने पर जांच कराई गई और जांच में समरथ चंगेशा द्वारा घोटाला किए जाने का मामला उजागर हुआ था। चंगेशा यहां 15 जनवरी 2016 से लेकर 28 अप्रैल 2019 तक पदस्थ रहा और इसी दौरान उसने यह कारीगरी की। इस दौरान उसने दर्जनों खाताधारकों के 71 हजार पांच सौ रुपए का गबन किया जिस पर प्रकरण दर्ज किया गया। फिलहाल यह जानकारी नहीं आ पाई कि इन दोनों कर्मचारियों ने कितने खाताधारकों के साथ यह धोखाधड़ी की है।
दूसरा मामला भी अनुडाकघर पिपलौदा के अंतर्गत शाखा बड़ायला माताजी का है। यहां पदस्थ रहे समरथ चंदेशा पिता फूलचंद्र चंगेसा निवासी सिमलावदा खुर्द थाना नामली ने भी कुछ इसी तरह के गुल खिलाकर खाताधारकों द्वारा जमा कराई गई राशि को उनकी डायरी में इंट्री तो कर दी लेकिन यह राशि डाकघर में जमा करने की बजाय अपनी जेब में रख ली। खाता धारक अपनी राशि जमा कराने के बाद निश्चिंत हो गए किंतु डाकघर में रसीदों में इसका उल्लेख नहीं होना पाए जाने पर जांच कराई गई और जांच में समरथ चंगेशा द्वारा घोटाला किए जाने का मामला उजागर हुआ था। चंगेशा यहां 15 जनवरी 2016 से लेकर 28 अप्रैल 2019 तक पदस्थ रहा और इसी दौरान उसने यह कारीगरी की। इस दौरान उसने दर्जनों खाताधारकों के 71 हजार पांच सौ रुपए का गबन किया जिस पर प्रकरण दर्ज किया गया। फिलहाल यह जानकारी नहीं आ पाई कि इन दोनों कर्मचारियों ने कितने खाताधारकों के साथ यह धोखाधड़ी की है।
सैलाना उपडाकघर में भी कर्मचारी ने किया घोटाला
डाकघर के उपसंभागीय निरीक्षक इरफान अहमद ने 8 सितंबर 2018 को सैलाना उपडाकघर का निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण के दौरान सैलाना अनुडाकपाल के पद पर कार्यरत कालूसिंह परमार से कैश बैलेंस का सत्यापन किया गया। कैश सत्यापन के दौरान नकदी रुपए 1 लाख 78 हजार 712 रुपए 65 पैसे कम पाए गए थे। उपडाकघर का दैनिक लेखा दिनांक 8 सितंबर 2018 के अनुसार अंतिम बैलेंस 2 लाख 47 हजार 572 रुपए 65 पैसे का सत्यापन किया गया जिसमें से केवल 68860 रुपए की नकद पाए गए जबकि १ लाख 78 हजार 712 रुपए 65 पैसे कम पाए गए। कालूसिंह ने अपने बयान में इस बात को स्वीकार भी किया था कि उन्होंने यह राशि अपने निजी कार्य में खर्च कर ली। बाद में परमार ने 10 सितंबर 2018 को राशि 1 लाख 78 हजार 750 रुपए प्रधान डाकघर रतलाम में जमा करवा दिए थे। चूंकि परमार ने सरकारी राशि को निजी खर्च में उपयोग करके सरकारी राशि का दुरुपयोग किया है। इसलिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। सैलाना पुलिस ने कालूसिंह परमार के खिलाफ धारा 409 में प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है।
डाकघर के उपसंभागीय निरीक्षक इरफान अहमद ने 8 सितंबर 2018 को सैलाना उपडाकघर का निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण के दौरान सैलाना अनुडाकपाल के पद पर कार्यरत कालूसिंह परमार से कैश बैलेंस का सत्यापन किया गया। कैश सत्यापन के दौरान नकदी रुपए 1 लाख 78 हजार 712 रुपए 65 पैसे कम पाए गए थे। उपडाकघर का दैनिक लेखा दिनांक 8 सितंबर 2018 के अनुसार अंतिम बैलेंस 2 लाख 47 हजार 572 रुपए 65 पैसे का सत्यापन किया गया जिसमें से केवल 68860 रुपए की नकद पाए गए जबकि १ लाख 78 हजार 712 रुपए 65 पैसे कम पाए गए। कालूसिंह ने अपने बयान में इस बात को स्वीकार भी किया था कि उन्होंने यह राशि अपने निजी कार्य में खर्च कर ली। बाद में परमार ने 10 सितंबर 2018 को राशि 1 लाख 78 हजार 750 रुपए प्रधान डाकघर रतलाम में जमा करवा दिए थे। चूंकि परमार ने सरकारी राशि को निजी खर्च में उपयोग करके सरकारी राशि का दुरुपयोग किया है। इसलिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। सैलाना पुलिस ने कालूसिंह परमार के खिलाफ धारा 409 में प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है।