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इस मंत्र के जाप से दूर हो जायगी दिल की बीमारी, जानिए कुछ ऐसे ही और भी चमत्कारी मंत्र…

locationरतलामPublished: Feb 22, 2018 11:31:48 am

Submitted by:

harinath dwivedi

रतलाम राज परिवार के ज्योतिषी पंडित अभिषेक जोशी के अनुसार भारतीय वैदिक मंत्रों पर इन दिनों जर्मनी से लेकर अमेरिका शोध कर रहा है।

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रतलाम। मंत्रों में बड़ी ताकत होती हैं। इन वैदिक मंत्रों पर लंबे समय से जर्मनी शोध कर रहा है। इसकी ताकत को दुनिया के शक्तिशाली देश अमेरिका ने भी पहचाना है। इन मंत्रों ने न सिर्फ शरीर की उर्जा सकारात्मक होती है, बल्कि अनेक प्रकार की बीमारियां तक ठीक होती है। ये कहना है रतलाम राजपरिवार के ज्योतिषी पंडित अभिषेक जोशी का। जोशी इन दिनों रतलाम में आमजन को मंत्रों के बारे में विस्तार से बता रहे है।
पंडित जोशी ने अपने आवास पर आयोजित नि:शुल्क शिविर में बताया की मंत्रों में बड़ी ताकत होती है। इतनी ताकत की यदि गहरी आस्था के साथ सही तरीके से उच्चारण करके इन मंत्रों का जप किया जाए तो अनेक प्रकार की बीमारियों को बगैर किसी औषधि के ही ठीक किया जा सकता है। इसके लिए पंडित जोशी ने विस्तार से अनेक ग्रंथ का उदाहरण भी दिया।
अथर्ववेद में है उदाहरण

वरिष्ठ ज्योतिषी जोशी ने आमजन को विस्तार से समझाते हुए बताया की अथर्ववेद में इन मंत्रों से रोग निदान, तंत्र-मंत्र आराधना सहित अनेक प्रकार के अनूछे रहस्यों से पर्दा उठाया गया है। जरुरत है देश की प्राचिन वैदिक विद्या को समझने की। वैदिक काल में इन मंत्रों से आराधना करके अनेक रोगियों के रोगनाश किए गए। इतना ही नहीं, से मंत्र ? आध्यात्मिक उन्नती के दरवाजे भी खोलते है। इस बात को महाभष्यकार पतंजलि, वेद भाष्यकाार सायण सहित अनेक संतों ने अनेक बार साबित किया है।
शुगर या मधुमेह के लिए

ऊं नमों भगवते रुद्राय, शुलपाणिने पिशाचाधिपति आवश्य कृष्ण पिंगल फट् स्वाहा:, इस मंत्र को होली की रात 1008 बार जप करें। इसके बाद जो रोगी शुगर या मधुमेह से पीडि़त हो उसको पानी पर ध्यान करके पीला दे। शुगर या मधुमेह काफी हद तक ठीक हो जाएगी।
स्वस्थ प्रसूति के लिए

अथर्ववेद में सामान्य डिलीवरी के लिए सूर्य उपासना के साथ सूर्य देव को जल का अर्ध देकर व प्रात:काल सूर्य ताप का अधिकाधिक सेवन करना उत्तम माना गया है। एक स्वस्थ प्रसूति व तेजस्वी संतान प्राप्ति के लिए रविवार से इस मंत्र के प्रतिदिन 51 बार पाठ करें –
विते भिन:मेहनं वि योनिं वि गवीनिके।
वि मातरं च पुत्रं च विकुमारं
जरायुणाव जरायु पद्यताम:

दिल के रोगों के निदान के लिए

दिल से संबंधी बीमारियों के निदान के लिए सूर्य उपासना सर्वोत्तम मानी गई हैं। अथर्वा ऋषि के अनुसार प्रतिदिन सुबह व शाम को सूर्योपासना करें और ऊं रवये नम: के साथ साथ कम से कम १०८ बार सूर्य की ओर मुंह करके सूर्य ध्यान के साथ तालियां बजाएं। प्राणायाम करें व इस मंत्र का रविवार या सोमवार कम से कम 21 बार जाप करें-
मुंच शीर्षक्तया उत कास एनं परस्पराविशेषा यो अस्य। ऊं आदित्याय नम:

गुर्दा रोगों के लिए

मूत्र, पथरी और गुर्दे सम्बंधी रोगी किसी भी रविवार से सुबह सूर्य के समक्ष ताम्र पत्र में शुद्ध जल भरे। उस जल में पत्थरचट्टा के दो तीन पत्तों का रस डालकर सूर्य ताप में दो-तीन घंटे रहने दे। फिर उस जल को पीते हुए सूर्य को देखते हुए इस मंत्र का 101 बार पाठ करें –
विद्या शरस्य पितरं सूर्यं शतवृष्णयम्।
अमूर्या उप सूर्ये याभिर्वा सूर्य सह।।
ता नो हिन्वन्त्वध्वरम्।।
ऊं भास्कराय नम:

अस्थि रोग निदान के लिए

शरीर में हड्डियों की व्याधि, जोड़ों में दर्द व निदान के लिए शुद्ध जल में घृतकुमारी का थोड़ा रस डालकर रविवार से प्रात: दो तीन घंटे सूर्य की किरणों में रखें। सूरज भगवान के सामने इस मंत्र का रविवार से 101 बार पाठ करें। तीन माह तक इस क्रिया को करने से काफी राहत मिलती है-
अंगे अंके शोचिषा शिश्रियाणं नमस्यन्तस्त्वा हविषा विधेम। ऊं सूर्याय नम:

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