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VIDEO सालों से काम कर रहे, लेकिन पता नहीं किस विभाग में

locationरतलामPublished: Jan 20, 2019 01:08:28 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

VIDEO सालों से काम कर रहे, लेकिन पता नहीं किस विभाग में

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VIDEO सालों से काम कर रहे, लेकिन पता नहीं किस विभाग में

रतलाम। सालों से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हे यह पता नहीं की वे किस विभाग में काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश एवं भारत सरकार की महत्वकाक्षी योजना स्वाइल हेल्थ कार्ड में कार्यरत कर्मचारी-अधिकारी दो विभागों के बीच पीसा रहे हैं। एक तो कृषि कल्याण तथा कृषि विकास विभाग व दूसरा मंडी बोर्ड, जहां से वर्ष 2013 से आज दिनांक तक वहीं मानदेय दिया जा रहा है। अब प्रयोगशाला स्टॉफ किसके पास जाए, अपनी समस्या के निराकरण के लिए जिन्हे खुद नहीं मालूम की उनका विभाग कौन सा है। बतां दे कि प्रदेश में 26 मंडी लैबों में रतलाम सहित 47 कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत है, इसने से कई तो छोड़कर चले गए। हालात यह है कि इस महंगाई के दौर में कर्मचारियों का घर चलाना मुश्किल होने लगा है। यहां तक की अन्य सुविधाएं भी नहीं दी जा रही है।
नवंबर 2015 को मंडी बोर्ड मुख्यालय में प्रबंध संचालक द्वारा ली गई बैठक में मानदेय बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के लिए प्रबंध संचालक द्वारा निर्देशित किया गया था, परंतु वर्ष 2014 से प्रारंभ हुई प्रधानमंत्री स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना के सुचारू संचालन के लिए मंडी द्वारका संचालित की जा रही 26 मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं को किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग को हस्तानान्तरण कर दिया गया। प्रयोगशालाओं को हस्तानान्तरण में प्रयोगशालाओं में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी की अनदेखी की गई और उनकी सेवाओं को मंडी समितियों के अधीन ही रखा गया। जिससे किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अधिकारी प्रयोगशाला स्टॉफ को अपना स्टॉफ नहीं मानता तथा मंडी बोर्ड का कार्य संपादन नहीं किया जाने के कारण मंंडी बोर्ड भी उक्त स्टॉफ का अपना स्टॉफ मानने को तैयार नहीं है। इसी कारण 2015 में प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड द्वारा निर्देशित किए जाने के बाद भी आज दिनांक तक प्रयोगशाला स्टॉफ का मानदेय नहीं बढ़ाया गया।
वर्ष 2013 के बाद नहीं बड़ाया मानदेय
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2001 में तत्कालिक सरकार द्वारा किसानों के हितो को एवं सुगमता को दृष्टिगत रखते हुए मंडी समितियों में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला की नींव रखी थी। वर्ष 2005 में प्रदेश की 26 मंडी समितियों में मिट्टी प्रयोगशालाएं शुरू की गई। जिनके संचालन के लिए प्रयोगशाला में एमएससी कृषि, बीएससी कृषि तथा एक भृत्य मंडी समिति द्वारा प्रदाय की स्वीकृति वर्ष 2007 में दी गई। वर्ष 2007 में प्रयोगशाला प्रभारी (एमएससी कृषि स्वाइल साइंस) के लिए 7000 मानदेय तथा लेब टेक्नीशियन (बीएससी कृषि) के लिए 5000 रुपए मानदेय की स्वीकृति दी गई थी। जिसे वर्ष 2009 में बढ़ाकर प्रयोगशाला प्रभारी को 12000 एवं लेब टेक्नीशियन के लिए 8000 रुपए किया गया। मप्र की 26 मंडी समितियों में स्थापित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में वर्ष 2009 से टेक्नीकल स्टॉफ (प्रयोगशाला प्रभारी एवं लेब टेक्नीशियन) की भर्ती की गई। तत्पउपरांत मार्च 2013 में मानदेय में बढ़ोतरी की जाकर प्रयोगशाला प्रभारी के लिए 20000 एवं लेब टेक्रीशियन के लिए 15000 निर्धारित किया गया। तब से आज दिनांक तक वहीं मानदेय दिया जा रहा है।
ना मानदेय बढ़ा रहे ना सुविधाएं मिल रही
वर्तमान में महंगाई जहां उच्चतम स्तर पर है, वहां पर 15-20 हजार रुपए प्रति माह के मानदेय पर घर चलाना मुश्किल है। हम लोगों कीा सेवा शर्तों में स्पष्ट उल्लेख है कि मप्र शासन द्वारा लागू संविदा नियम लागू एवं बंधनकारी होंगे। उसके बाद भी शासन का निर्देश होने के बाद भी समान कार्य समान वेतन का 90 प्रतिशत नहीं दिया जा रहा है। दूसरे विभाग के संविदा कर्मियों को जो सुविधाएं दी जा रही है, वो भी नहीं दी जा रही है। जैसे जीपीएफ काटना, चिकित्सा अवकाश, प्रतिवर्ष इन्क्रीमेंट आदि।
गोपालचंद्र ओरा, प्रयोगशाला प्रभारीमिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला (मंडी, रतलाम)
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