कोरोना का प्रकोप कम हुआ
कर्मचारी संगठनों का मानना है कि दिसंबर २०२० से देश व प्रदेश में कोरोना महामारी की वजह से व्यवस्थाएं बिगड़़ गई थी जो कई माह तक चली। अब जबकि पिछले करीब एक साल से धीरे-धीरे सब गतिविधियां सामान्य होती जा रही है तो इन समितियों की बैठक भी ली जाना चाहिए।
कर्मचारी संगठनों का मानना है कि दिसंबर २०२० से देश व प्रदेश में कोरोना महामारी की वजह से व्यवस्थाएं बिगड़़ गई थी जो कई माह तक चली। अब जबकि पिछले करीब एक साल से धीरे-धीरे सब गतिविधियां सामान्य होती जा रही है तो इन समितियों की बैठक भी ली जाना चाहिए।
यह है बैठक का नियम
– संयुक्त परामर्शदात्री समिति की हर दो से तीन माह के भीतर एक बैठक होना तय किया हुआ है। सालभर में कम से कम छह बैठक ली जाना है जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर करते हैं। इसमें जिले की समस्याएं रखी जाती है।
– विभागीय समितियों की बैठकें भी संयुक्त परामर्शदात्री समिति की बैठकों के बाद होना तय है। सालभर में इन समितियों की बैठकें भी तय संख्या में करना होता है जिनकी अध्यक्षता विभाग प्रमुख करते हैं।
– बैठकों में मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों को बुलाया जाना अनिवार्य होता है जो अपने संगठन या सभी संगठनों से जुड़े कर्मचारियों की विभाग स्तर पर हल होने वाली समस्याएं रखते हैं।
यह आ रही है समस्याएं
– बैठके नहीं होने की दशा में विभाग के कर्मचारियों की समस्याओं का कोई निराकरण नहीं हो पा रहा है।
– क्रमोन्नति, क्रमोन्नत वेतनमान, समयमान वेतनमान, एरियर राशि के भुगतान की गड़बड़ी की समस्या हल नहीं हो पा रही है।
– कर्मचारियों की नियमितिकरण, संलग्नीकरण (अटैचमेंट) आदि समस्याओं पर भी कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है।
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– बैठके नहीं होने की दशा में विभाग के कर्मचारियों की समस्याओं का कोई निराकरण नहीं हो पा रहा है।
– क्रमोन्नति, क्रमोन्नत वेतनमान, समयमान वेतनमान, एरियर राशि के भुगतान की गड़बड़ी की समस्या हल नहीं हो पा रही है।
– कर्मचारियों की नियमितिकरण, संलग्नीकरण (अटैचमेंट) आदि समस्याओं पर भी कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है।
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संयुक्त परामर्शदात्री समिति की बैठक २६ माह से नहीं होने से कर्मचारियों की समस्याओं का अंबार लग गया है। संगठन लगातार इन समस्याओं और बैठक को लेकर जिला प्रशासन और विभागीय अधिकारियों को पत्र लिख रहा है लेकिन न तो बैठक हो रही है और न समस्याएं हल हो रही है।
सर्वेश कुमार माथुर, जिलाध्यक्ष मप्र शिक्षक संघ
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तय समय पर होना चाहिए बैठकें
संयुक्त परामर्शदात्री और विभागीय समितियों की बैठकें तय समय पर होना चाहिए जिससे कर्मचारियों की छोटी-छोटी समस्याओं का त्वरित निराकरण हो सके। लंबे अंतराल में बैठके होने से समस्याओं की सूची लंबी हो जाती है।
अरुण शर्मा, जिलाध्यक्ष मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ
सर्वेश कुमार माथुर, जिलाध्यक्ष मप्र शिक्षक संघ
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तय समय पर होना चाहिए बैठकें
संयुक्त परामर्शदात्री और विभागीय समितियों की बैठकें तय समय पर होना चाहिए जिससे कर्मचारियों की छोटी-छोटी समस्याओं का त्वरित निराकरण हो सके। लंबे अंतराल में बैठके होने से समस्याओं की सूची लंबी हो जाती है।
अरुण शर्मा, जिलाध्यक्ष मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ