शहर के स्कूलों में भी यही हालात
शहर के छह हायर सेकंडरी स्कूलों सहित पूरे जिले में १८० से ज्यादा हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में ब्रिज कोर्स की पढ़ाई हुई। शहर के हायर सेकंडरी स्कूलों में पर्याप्त छात्र संख्या के मान से पुस्तकों की उपलब्धता नहीं हो पाई है। ऐसे में दूरस्थ ग्रामीण अंचल के स्कूलों में पुस्तकों की उपलब्धता के बारे में सोचा जा सकता है। कई स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ गई तो कई में घट गई है। छात्र संख्या घटने वाले स्कूलों में पिछले साल की छात्र संख्या के मान से पुस्तकें दी गई तो बढ़ी हुई छात्र संख्या वाले स्कूलों में बढ़ी हुई छात्र संख्या के हिसाब से पुस्तकें देने की बजाय पिछले साल की छात्र संख्या के हिसाब से ही पुस्तकें दिए जाने से वहां दर्जनों विद्यार्थियों को पुस्तकें ही नहीं मिल पाई है।
शहर के छह हायर सेकंडरी स्कूलों सहित पूरे जिले में १८० से ज्यादा हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में ब्रिज कोर्स की पढ़ाई हुई। शहर के हायर सेकंडरी स्कूलों में पर्याप्त छात्र संख्या के मान से पुस्तकों की उपलब्धता नहीं हो पाई है। ऐसे में दूरस्थ ग्रामीण अंचल के स्कूलों में पुस्तकों की उपलब्धता के बारे में सोचा जा सकता है। कई स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ गई तो कई में घट गई है। छात्र संख्या घटने वाले स्कूलों में पिछले साल की छात्र संख्या के मान से पुस्तकें दी गई तो बढ़ी हुई छात्र संख्या वाले स्कूलों में बढ़ी हुई छात्र संख्या के हिसाब से पुस्तकें देने की बजाय पिछले साल की छात्र संख्या के हिसाब से ही पुस्तकें दिए जाने से वहां दर्जनों विद्यार्थियों को पुस्तकें ही नहीं मिल पाई है।
तिमाही के अंक जुड़ेंगे वार्षिक में
वार्षिक परीक्षा में तिमाही परीक्षा के अंक जोडऩे के आदेश लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी किए गए हैं। ऐसे में बिना पुस्तकों के ही तिमाही परीक्षा हो रही है तो फिर वार्षिक परीक्षा का परिणाम भी निश्चित रूप से इससे प्रभावित होगा। विभाग के जानकारों का मानना है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को पुस्तकें सरकार ही देती है लेकिन समय पर नहीं देने से इन स्कूलों का परिणाम हर बार की तरह खराब ही रहना है।
दो माह स्थानांतरण में लगे रहे शिक्षक
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की नई सरकार ने ऑनलाइन स्थानांतरण की नीति अपनाई। यह प्रक्रिया करीब दो माह तक चली जिसमें शिक्षक और शिक्षिकाएं ऑनलाइन आवेदन करने, वेरिफिकेशन करवाने सहित अन्य कामों में उलझे रहे और फिर तबादला होने के बाद रिलीव और ज्वाइन होने में ही समय व्यतित करते रहे। ऐसे में सरकारी स्कूलों में कैसी और कितनी पढ़ाई हुई होगी यह आसानी से समझा जा सकता है।
वार्षिक परीक्षा में तिमाही परीक्षा के अंक जोडऩे के आदेश लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी किए गए हैं। ऐसे में बिना पुस्तकों के ही तिमाही परीक्षा हो रही है तो फिर वार्षिक परीक्षा का परिणाम भी निश्चित रूप से इससे प्रभावित होगा। विभाग के जानकारों का मानना है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को पुस्तकें सरकार ही देती है लेकिन समय पर नहीं देने से इन स्कूलों का परिणाम हर बार की तरह खराब ही रहना है।
दो माह स्थानांतरण में लगे रहे शिक्षक
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की नई सरकार ने ऑनलाइन स्थानांतरण की नीति अपनाई। यह प्रक्रिया करीब दो माह तक चली जिसमें शिक्षक और शिक्षिकाएं ऑनलाइन आवेदन करने, वेरिफिकेशन करवाने सहित अन्य कामों में उलझे रहे और फिर तबादला होने के बाद रिलीव और ज्वाइन होने में ही समय व्यतित करते रहे। ऐसे में सरकारी स्कूलों में कैसी और कितनी पढ़ाई हुई होगी यह आसानी से समझा जा सकता है।
नामांकन के हिसाब से आई थी पुस्तकें
पिछले साल नौवीं में जितने विद्यार्थियों का नामांकन था उतनी ही ब्रिज कोर्स की पुस्तकें शासन ने भेजी है। कहीं छात्र संख्या कम हो गई है तो वहां बची हुई पुस्तकों को छात्र संख्या बढ़े हुए स्कूलों में देने के लिए बीईओ को निर्देशित किया गया था। क्यों नहीं पहुंची यह हमारी जानकारी में नहीं है।
अशोक लोढ़ा, एपीसी, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन
पिछले साल नौवीं में जितने विद्यार्थियों का नामांकन था उतनी ही ब्रिज कोर्स की पुस्तकें शासन ने भेजी है। कहीं छात्र संख्या कम हो गई है तो वहां बची हुई पुस्तकों को छात्र संख्या बढ़े हुए स्कूलों में देने के लिए बीईओ को निर्देशित किया गया था। क्यों नहीं पहुंची यह हमारी जानकारी में नहीं है।
अशोक लोढ़ा, एपीसी, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन