अब तक रेलवे में यात्रा के दौरान ट्रेन की दुर्घटना होने पर रेलवे घायल से लेकर मृतक को अलग-अलग मुआवजा देते आ रही है, लेकिन हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले में फैसला देते हुए कहा है कि ट्रेन में चढऩे या उतरने के दौरान कोई यात्री घायल होता है तो वह भी मुआवजे का हकदार होगा। इतना ही नहीं कोर्ट के अनुसार कोई यात्री बगैर टिकट है तो सिर्फ इस आधार पर मुआवजा देने से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वो बगैर टिकट यात्री था। कोर्ट के निर्णय के बाद अब रेलवे अपने मुआवजे के निर्णय में बदलाव करने वाली है।
ये बोला है कोर्ट ने कोर्ट ने कहा कि ट्रेन में चढ़ते या उतरते समय किसी यात्री की मौत या उसका घायल होना सिर्फ अप्रिय घटना नहीं है। एेसे मामलों में यात्री को मुआवजा पाने का हकदार है। ये रेलवे की लापरवाही मानी जाएगी। इतना ही नहीं रेलवे ने ये भी कहा कि सिर्फ टिकट नहीं होने मात्र से कि वो रेलवे का यात्री नहीं है, मुआवजा देने से इंकार नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यामूर्ति रोहिंनटन एफ नरीमन की पीठ ने यह निर्णय 2002 में लगी एक याचिका के मामले में निर्णय देते हुए कहा है।
ये मिलता है फिलहाल मुआवजा वर्ष 2017 में तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने मुआवजा के नियम में बड़ा बदलाव कर दिया था। अब घायल होने पर 4 लाख रुपए व मृतक को 8 लाख या इससे अधिक तक देने का प्रावधान किया गया है। इसके पूर्व ये राशि घायल होने पर डेढ़ लाख रुपए व मृतक को दो लाख रुपए तक दिए जाते थे। अब कोर्ट के निर्णय के बाद रेलवे अपने नियम में बदलाव करने जा रही है।
कोर्ट का आदेश माना जाता कोर्ट का आदेश वरिष्ठ कार्यालय पहुंचेगा। वहां से इस मामले में निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद ही इस बारे में कहा जाएगा। – जेके जयंत, जनसंपर्क अधिकारी, रतलाम रेल मंडल