आने वाले दिनों में जब आप राजधानी, अगस्त क्रंाति ट्रेन में सफर करें तो ये हो सकता है कि आपको जो भोजन की थाली मिले वो ईको फे्रंडली हो। मतलब की थाली के भोजन के साथ-साथ आप थाली का स्वाद भी ले पाए। इसके लिए रेलवे ने येाजना पर काम शुरू कर दिया है। मुंबई-रतलाम-दिल्ली ट्रेन से इसकी शुरुआत होगी। ये थालियां गन्ने के अपशिष्ट पदार्थ से बनाई जाएगी।
इसलिए लिया ये निर्णय मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ट्रेनों में ठोस प्लास्टिक, थर्माकोल, व पॉलीमार से बनी थालियां इस समय उपयोग में लाई जाती है। खाने के दौरान उपयोग करते समय इसपर तेल की परत जमी होती होती है। इससे यात्री कई बार नाराज होते है। पर्याप्त सफाई के अभाव के चलते अब रेलवे इस झंझट से बाहर आ रहा है। इस समय जो थालियां है, इनमे अलग से न तो दाल, चावल या सब्जी रखने का खांचा होता है न अन्य सुविधा। एेसे में यात्री को अलग से एल्युमिनियम की पैकिंग में भोजन देना होता है। आने वाले दिनों में ये समस्या समाप्त हो जाएगी।
थाली में होंगे अलग-अलग खांचे ईको फे्रंडली थाली में दाल, चावल, सब्जी, सलाद, दही आदि परोसने या रखने के लिए अलग-अलग खांचे बने हुए होंगे। एक बार उपयोग करने के बाद इसका फिर से उपयोग संभव नहीं होगा। बायोडिगे्रडेबल होने के चलते ये प्राकृतिक रुप से खुद ही खाद में बदल जाएगी।
आईआरसीटीसी को दी जिम्मेदारी रेलवे अधिकारी के अनुसार इंडियन रेले कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन आईआरसीटीसी मुंबई-रतलाम-दिल्ली-मुंबई राजधानी ट्रेन के साथ-साथ शताब्दी व दुरंतो स्तर की ट्रेनों में ये थालियां उपलब्ध कराएगा। इसके बाद पैंट्रीकार वाली सुपरफास्ट व एक्सपे्रस ट्रेन में इसकी शुरुआत होगी।
गन्ना किसानों को होगा बड़ा लाभ रेलवे के इस निर्णय से गन्ना किसानों को बड़ा लाभ होगा। इससे गन्ने के अनुपयोगी मटेरियल की मांग बढ़ जाएगी। इस समय हरियाणा व उत्तरप्रदेश के अधिकतर गन्ना किसान फसल को काटने के बाद इसके रस से गुड़ बना लेते है व शेष कचरे को जला लेते है। रेलवे ने इस योजना का प्रयोग शुरू कर दिया है।
लगातार नए प्रयोग हो रहे यात्रियों के हित के लिए रेलवे में लगातार बेहतर प्रयोग हो रहे है। इस योजना का प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर शुरू हुआ है। शीघ्र ही मंडल से निकलने वाली राजधानी व दुरंतो स्तर की ट्रेन में इसका लाभ मिलेगा।
– जेके जयंत, जनसंपर्क अधिकारी, रतलाम रेल मंडल