रतलाम

रेलवे में हर दिन हादसे: अब ट्रेन का व्हील हुआ स्लीप, एक घंटे ट्रेन खड़ी रही

रेलवे में हर दिन हादसे: अब ट्रेन का व्हील हुआ स्लीप, एक घंटे ट्रेन खड़ी रही

रतलामJun 25, 2019 / 06:03 pm

Yggyadutt Parale

रेलवे में हर दिन हादसे: अब ट्रेन का व्हील हुआ स्लीप, एक घंटे ट्रेन खड़ी रही

रतलाम। हाल ही में नीमच में मैसूर उदयपुर ट्रेन के व्हील के गर्म होने का मामला हुआ ही है कि रविवार को पुणे निजामुद्ीन दुऱंतो दर्शन एक्सपे्रस ट्रेन का व्हील राजधानी ट्रेन के रुट पर स्लीप हो गया। इसके बाद ट्रेन को दाहोद-रतलाम सेक्शन में रोके रखा गया। इसके चलते अन्य ट्रेन देरी से चली।

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार ट्रेन नंबर 12493 पुणे-निजामुद्ीन दूरंतो एक्सपे्रस ट्रेन बड़ोदरा से दोपहर 2 बजकर 13 मिनट पर चली थी। इस ट्रेन का बड़ोदरा के बाद सीधे ठहराव रतलाम में होता है। सूरत में ये ट्रेन पहले ही 1 मिनट देरी से पहुंची थी। बड़ोदरा से ट्रेन चलने के बाद पूरी गति पर थी। इसी बीच जब ट्रेन बजरंगगढ़ पंचपिपलिया सेक्शन के बीच पहुंची तब ट्रेन का एसी डिब्बे का एक व्हील स्लीप होने लगा। इसके बाद ट्रेन को रोका गया। व्हील को ट्रेन में साथ चल रहे तकनीकी कर्मचारियों ने ठीक किया। इसके बाद ट्रेन को रवाना किया गया। इससे ट्रेन रतलाम स्टेशन पर शाम को ६ बजकर 20 मिनट पर इस ट्रेन को आना था, जो 57 मिनट देरी से 7 बजकर 17 मिनट पर आई।

लगातार हो रही घटना

अधिक दिन नहीं हुए, जब मैसूर उदयपुर ट्रेन के व्हील में चिंगारी निकलने की घटना हुई थी। इसके बाद ट्रेन की बोगी को नीमच में काटा गया। इतना ही नहीं, जिस बोगी को काटा उसके यात्रियों को अन्य डिब्बे में सीट दी गई। इसके अलावा इस घटना में लापरवाही के मामले में दोषी मानते हुए दो अधिकारियों को निलंबित भी किया गया। रेलवे के अधिकारियों के अनुसार बारिश के चलते इस प्रकार की घटना होती है। हालांकि इंजन में बालू रेती भरी जाती है जो पटरी पर डलती है, लेकिन इसके बाद भी ये समस्या दर्शन एक्सपे्रस ट्रेन के समय हुई।
रेल परियोजना में काम धीमा तो बढ़ रहा बजट

रतलाम। काम की गति धीमी होने ने महू से सनावद खंडवा रेल लाइन के डबलीकरण व आमान परिवर्तन कार्य के बजट को बढ़ा दिया है। जो कार्य 2008 में 1400 करोड़ रुपए में होने का लक्ष्य लिया गया था, उस पर अब तक 2470 करोड़ से अधिक राशि व्यय हो गई है। इसके बाद भी काम अब तक अधूरा है। रेल अधिकारी भी अब इस बात को मानने लगे है कि इस योजना को 2020 में पूरे करने का जो लक्ष्य लिया गया है, वो पूरा करना संभव नहीं है। 2008 में रतलाम-इंदौर-महू-सनावद-खंडवा-अकोला रेल लाइन के आमान परिवर्तन कार्य के प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। रतलाम से फतेहाबाद व इसके बाद इंदौर तक आमान परिवर्तन हुआ। इसके बाद महू तक का कार्य हुआ। रेलवे को समस्या इसके आगे के सेक्शन के कार्य की हो रही है। आगे के कार्य की गति बेहद कमजोर है। रेल अधिकारी भी इस बात को मान रहे है कि जितनी देरी ट्रैक को बनाने में होगी, उतनी ही इसकी लागत लगातार बढ़ती जाएगी। अब रेलवे को अकोला-खंडवा और सनावद-महू का ही काम बाकी है।
अंतिम दौर में काम

खंडवा-सनावद के बीच करीब 55 किमी लंबी बड़ी लाइन बिछाने का काम अंतिम दौर में है। 2008 में जब रतलाम-इंदौर-महू-सनावद-खंडवा-अकोला बड़ी लाइन प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था, तब इसकी लागत 1400 करोड़ रुपए आंकी गई थी। जबकि महू-सनावद प्रोजेक्ट में ही 2470.30 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होंगे। महू-सनावद के बीच 84.6 किमी लंबे रेलमार्ग पर बड़ी लाइन बिछाने के लिए रेलवे को 2470.30 करोड़ रुपए खर्च करना है। यह लागत दो साल पहले तय हुई थी। महंगाई और समय पर काम नहीं होने से अब इस लागत में 500 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च होने की बात की जा रही है।
समय पर होगा कार्य
सनावद से ओंकारेश्वर तक के हिस्से में मीटरगेज को ब्रॉडगेज में जल्दी ही बदला जाएगा। रेलवे की तरफ से इसकी तैयारी हो चुकी है। खंडवा से सनावद मार्ग भी अंतिम चरण में है। रेवे की पूरी कोशिश रहेगी कि काम समय से पूरा हो सके।
– जेके जयंत, जनसंपर्क अधिकारी रतलाम रेल मंडल
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