रेल मंडल में ट्रैक के रखरखाव के दौरान पटरी की जांच, स्लीपर की जांच, उसमें लगे हुए विभिन्न स्क्रू की जांच, आयल डालना के अलावा गर्मी व सर्दी में विशेष तरीके से रक्षा व चौकसी की जाती है। रात में जब पारा 3 से लेकर 7 डिग्री तक होता है तब पटरी जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है तब सिकुड़ती है। पटरी के सिकुडऩे के बाद उसमे टूट होने का खतरा होता है। इसी प्रकार जब गर्मी होती है तब पटरी गर्मी की वजह से फैलती है। एेसे में दुर्घटना होने का खतरा रहता है। ट्रैक पर काम करने वाले कर्मचारी हर समय लगातार ट्रैक पर 6 से 8 किमी पैदल चलकर पटरी की सुरक्षा यात्रियों के लिए करते है।
इसलिए बनाए नए पद असल में पश्चिम रेलवे महाप्रबंधक एेके गुप्ता से गत दिनों वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ महामंत्री जेजी माहुरकर ने मिलकर मांग की थी कि भारतीय रेलवे के डेढ़ लाख सुरक्षा से रिक्त पडे़ पद में से कुछ को भरने की पहल पश्चिम रेलवे में ही हो। इसके बाद दो से तीन दौर की बात हुई व शुक्रवार शाम को ५१७ नए पद की मंजूरी मजदूर संघ की मांग के बाद हो गई। अब इनके लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी व इनको भरा जाएगा। इससे बड़ा लाभ ये होगा कि संरक्षा विभाग में कर्मचारियों की कमी दूर होगी। इसके अलावा ट्रेन की दुर्घटना सर्दी व गर्मी में विशेषकर पटरी के सिकुडऩे व फैलने से जो होती है वो नहीं होगी।
मंडल को एेसे होगा लाभ
रेल मंडल को 517 में से 100 से अधिक नए कर्मचारी मिलेंगे। ये कर्मचारी रेल मंडल के विभिन्न सेक्शन जिनमे रतलाम-गोधरा, रतलाम-उज्जैन, रतलाम-शुजालपुर, रतलाम-चंदेरिया, रतलाम- नागदा आदि स्थान पर पटरी की सुरक्षा में काम करेंगे।
– बीके गर्ग, मंडल मंत्री, वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ