महू से ट्रेन में बैठे यात्री जीत कुमार ने बताया की ट्रेन के ट्रेन महू से समय पर चली थी। रतलाम तक ये समय पर चलती रही। रतलाम से इस ट्रेन को डेढ़ घंटे देरी से चलाया गया। सुबह 9.55 बजे के बजाए ये ट्रेन सुबह 11.30 बजे बाद चली। इसके बाद इसको धोंसवास जैसे स्टेशन पर रोका गया, जहां पर पीने का पानी भी नहीं था। 5 किमी लंबे के रतलाम से धोंसवास के रास्ते को पूरा करने में ट्रेन ने 40 मिनट का समय लिया।
नामली में किया जमकर विरोध
इसके बाद ट्रेन नामली में दोपहर 1.35 बजे बाद पहुंची। यहां पहुंचने के बाद ट्रेन को सिग्नल होने के बाद भी नहीं चलाया गया। इससे यात्री जमकर नाराज हो गए। यात्रियों ने रेल अधिकारियों के खिलाफ मुर्दाबाद से लेकर तानाशाही नहीं चलेगी के नारें लगाए। जिस ट्रेन को सुबह 10 बजे नामली पहुंचना था, वो दोपहर 1.30 बजे बाद पहुंची। इससे यात्री नाराज हुए। इतना ही नहीं, जब यात्रियों ने रेल अधिकारियों को फोन लगाकर सहयोग मांगा तो उनको जेल भेजने की धमकी दे दी गई। इतना ही होता तो ठीक था, यात्रियों के अनुसार इस ट्रेन को एक घंटे से भी अधिक समय तक रोककर दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर चलाया गया।
इसके बाद ट्रेन नामली में दोपहर 1.35 बजे बाद पहुंची। यहां पहुंचने के बाद ट्रेन को सिग्नल होने के बाद भी नहीं चलाया गया। इससे यात्री जमकर नाराज हो गए। यात्रियों ने रेल अधिकारियों के खिलाफ मुर्दाबाद से लेकर तानाशाही नहीं चलेगी के नारें लगाए। जिस ट्रेन को सुबह 10 बजे नामली पहुंचना था, वो दोपहर 1.30 बजे बाद पहुंची। इससे यात्री नाराज हुए। इतना ही नहीं, जब यात्रियों ने रेल अधिकारियों को फोन लगाकर सहयोग मांगा तो उनको जेल भेजने की धमकी दे दी गई। इतना ही होता तो ठीक था, यात्रियों के अनुसार इस ट्रेन को एक घंटे से भी अधिक समय तक रोककर दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर चलाया गया।
इस वजह से देरी से चली रेल अधिकारियों के अनुसार सुबह 10 बजे बाद से पश्चिम रेलवे के मुख्य सेफ्टी कमीश्नर सुशील चंद्रा जावरा तक विद्युतिकरण कार्य के निरीक्षण पर रहे। उनका निरीक्षण सुबह 9 बजे से शुरू होना था, लेकिन उनको देरी होने के चलते यात्री ट्रेन को भी लगातार देरी से चलाया गया। इसके चलते यात्री इस ट्रेन में सबसे अधिक परेशान हुए। बड़ी बात ये है की ट्रेन में पेंट्रीकार नहीं होने की वजह से यात्री पानी को भी तरस गए।