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सवर्णों ने गांव में दलित परिवार का क्यों किया हुक्का पानी बंद पढ़ें….

locationरतलामPublished: Sep 18, 2018 12:21:27 pm

Submitted by:

Virendra Rathod

सवर्णों ने गांव में दलित परिवार का क्यों किया हुक्का पानी बंद पढ़ें….
 

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सवर्णों ने गांव में दलित परिवार का क्यों किया हुक्का पानी बंद पढ़ें….

रतलाम/ पिपलौदा। एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में पूरे प्रदेश में चल रहे धरना प्रदर्शन के बीच समाज में बढ़ रही जातिगत विभेद के बीच एक और पेरशान करने वाली खबर सामने आई है। रतलाम जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर एक गांव में सवर्णों ने दलित परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया। दुर्घटना में दलित महिला की मौत हो गई थी, उसका शनिवार को अंतिम संस्कार सवर्णों के मुक्तिधाम में कर दिया गया। इसके बाद सवर्णों ने पंचायत के बीच यह फैसला लिया, मामले की शिकायत हुई तो पुलिस प्रशासन के अधिकारी रविवार को गांव पहुंचे और समझाइश देकर फिलहाल मामला शांत कराया।

जावरा तहसील के जेठाना गांव की दलित महिला राजू बाई पति गणपतलाल उम्र 30 वर्ष की दुर्घटना में मौत के बाद गत दिवय परिजनों ने मुक्तिधाम में उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इसके बाद गांव के सवर्ण विरोध पर उतर आए, उन्होंने गांव की पंचायत में निर्णय लिया कि गणपतलाल का हुक्का पानी बंद कर दिया जाए। गांव में कुल 20 से 30 परिवार दलित के हैं, जिन्हें काम नहीं दिया जाएगा और न ही कृषि यंत्र उपयोग के लिए दिए जाएंगे। गांव में करीब 250 घर सवर्णों के हैं, इसमें 20 घर जैन, ब्राह्मण और राजपूत हैं, जबकि 200 घर पिछड़े वर्ग के लोगों के हैं। इस निर्णय के बाद पीडि़त परिवार ने जावरा एसडीएम और सीएसपी को मामले में शिकायत दी। जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और सीएसपी आशुतोष बागरी और एसडीएम मोहनलाल आर्य गांव पहुंचे। जिसके बाद ग्रामीणों के साथ बैठक की, और समझाइश देकर मामला शांत कराया।

शासकीय प्राथमिक स्कूल में बैठक

सीएसपी और एसडीएम ने गांव के शासकीय प्राथमिक स्कूल में बैठक की। जिसमें गांव के सरपंच बाबूलाल निनामा, पूर्व सरपंच भैरूलाल सहित पटेल और ग्रामवासी उपस्थित थे। एसडीएम मोहनलाल आर्य ने बैठक के दौरान गांव वालों की समझाइश दी। वहीं सीएसपी आशुतोष बागरी ने ग्राम के बीट प्रभारी पुलिस आरक्षक और चौकीदार को फटकार लगाते हुए एसी घटनाओं की जानकारी तुरंत देने के निर्देश दिए। उन्होंने गांव वालों को समझाइश करते हुए कहा कि शरीर की कोई जात-पात नहीं होती है। किसी को कोई श्मशान के उपयोग से नहीं रोक सकता है।

ग्रामीण बोले वर्षों से चली आ रही परम्परा

पूर्व सरपंच भैरूलाल ने प्रशासनिक अधिकारियों को बताया कि जनपद से दलित समाज के मुक्तिधाम के लिए तीन लाख आवंटित हुए हैं। सवर्णों ने अपने निजी चंदे से कर मुक्तिधाम बनाया है। वर्षों से सवर्णों और दलित का मुक्तिधाम अलग है। वहीं जनपद सदस्य अशोक गुजराती ने कहा कि इससे पूर्व भी दलित यहां पर दाहसंस्कार नहीं करते थे। इनका अलग मुक्तिधाम बना है। जहां इन्होंने मकान बनाकर अतिक्रमण कर लिया है। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाइश कर कहा कि सभी लोग मुक्तिधाम में शव जलाएंगे और शांति साहौदर्य बनाए रखेंगे। हालांकि ग्रमीण अधिकारियों की बात से सहमत नहीं दिखे।

समझाइश कर दी गई है

जेठाना गांव में दलित महिला का सवर्ण मुक्तिधाम में अंतिमसंस्कार करने पर कुछ लोगों ने विरोध कर दिया था। इस पर वहां पर पहुंचकर सभी की समझाइश कर दी गई है। अब कोई भेदभाव नहीं है।


– आशुतोष बागरी, सीएसपी जावरा।

 

गलतफहमी से विवाद हुआ

ग्राम जेठाना में कुछ लोगों की गलतफहमी के चलते श्मशान को लेकर विवाद हो गया था। सभी लोग पंचायत के मुक्तिधाम में शव नहीं जलाएंगे। गांव में सभी ग्रामवासियों और वरिष्ठजनों के साथ बैठक ली गई। जिसमें निर्णय लिया गया है कि सभी जाति के अंतिम संस्कार कर सकते हैं। गांव में सौहादर्य और समरसता बनी रहेगी।


– मोहनलाल आर्य, एसडीएम जावरा।

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