राजनीति के कई रंग है
एक पुराना गीत है, जिसमे एक लाइन है कि इश्क के कई रंग है, कौन सा रंग देखोगे...कुछ ऐसा ही राजनीति में भी हो रहा है। दल के अपने झंडो के रंग तो होते ही है, लेकिन इसके साथ - साथ दल में शामिल नेताओं के भी कई रंग होते है। एक दल ने अपनी चुनाव के संचालन को लेकर समिति जारी की। इस समिति में कुछ ऐसे लोगों को लिया गया जो विभिन्न पद के लिए दावेदारी कर रहे है। ऐसे में यह सूचना अखबारो ंतक पहुंचाई गई कि जिनका नाम संचालन समिति में है, वो टिकट की दावेदारी से बाहर हो गए। हालांकि जिन्होंने यह सूचना दी, उनकी बात को उनके ही दल के दूसरे नेताओं ने गलत बता दिया। राजनीति का ऐसा रंग पहली बार देखने को मिल रहा है, जब नेता अपने ही दल के लोगों की कारसेवा कर रहा है।
एक पुराना गीत है, जिसमे एक लाइन है कि इश्क के कई रंग है, कौन सा रंग देखोगे...कुछ ऐसा ही राजनीति में भी हो रहा है। दल के अपने झंडो के रंग तो होते ही है, लेकिन इसके साथ - साथ दल में शामिल नेताओं के भी कई रंग होते है। एक दल ने अपनी चुनाव के संचालन को लेकर समिति जारी की। इस समिति में कुछ ऐसे लोगों को लिया गया जो विभिन्न पद के लिए दावेदारी कर रहे है। ऐसे में यह सूचना अखबारो ंतक पहुंचाई गई कि जिनका नाम संचालन समिति में है, वो टिकट की दावेदारी से बाहर हो गए। हालांकि जिन्होंने यह सूचना दी, उनकी बात को उनके ही दल के दूसरे नेताओं ने गलत बता दिया। राजनीति का ऐसा रंग पहली बार देखने को मिल रहा है, जब नेता अपने ही दल के लोगों की कारसेवा कर रहा है।
पानी तेरा रंग कैसा
बात रंग की चली है तो बता दे कि पानी तेरा रंग कैसा लाइन पर भी किसी फिल्म में एक गीत है। पानी को लेकर रार इस बार निकाय चुनाव में करने की तैयारी की जा रही है। यह रार सिर्फ दल करेंगे ऐसा नहीं है, बल्कि कुछ निर्दलीय प्रत्याशी भी करने जा रहे है। बाजार क्षेत्र से जुड़े एक युवा के साथ - साथ कुछ संभावित प्रत्याशियों ने यह तैयारी की है कि उनका टिकट हो गया तो वे घोषणा पत्र में पांच साल पानी फ्री में देने की वचन देंगे। शहर में कई दिनों से मटमेला पानी आने की शिकायत लोग कर रहे है, यह अलग बात है सुनवाई नहीं होती, अब पानी फ्री देने की बात करने वाले किस रंग का पानी देंगे, यह तो वे ही जाने।
बात रंग की चली है तो बता दे कि पानी तेरा रंग कैसा लाइन पर भी किसी फिल्म में एक गीत है। पानी को लेकर रार इस बार निकाय चुनाव में करने की तैयारी की जा रही है। यह रार सिर्फ दल करेंगे ऐसा नहीं है, बल्कि कुछ निर्दलीय प्रत्याशी भी करने जा रहे है। बाजार क्षेत्र से जुड़े एक युवा के साथ - साथ कुछ संभावित प्रत्याशियों ने यह तैयारी की है कि उनका टिकट हो गया तो वे घोषणा पत्र में पांच साल पानी फ्री में देने की वचन देंगे। शहर में कई दिनों से मटमेला पानी आने की शिकायत लोग कर रहे है, यह अलग बात है सुनवाई नहीं होती, अब पानी फ्री देने की बात करने वाले किस रंग का पानी देंगे, यह तो वे ही जाने।
तुनेे किया क्या है यह बताओ
बात चौराहे की, शहर के एक दल के लिए परंपरागत माने जाने वाले एक चौराहे पर देर रात टिकट के दावेदार आपस में बात कर रहे थे। शुरू में सामान्य व हल्के फूल्के रुप से शुरू हुई बातचीत कुछ ही देर में तुने पार्टी के लिए किया क्या है, मेरी छोड़ तेरी बता तुने क्या किया, जैसे शब्दों पर उतर गई। वो तो भला हो एक तीसरे नेताजी का जो बीच में पड़े व दोनों दावेदारों को अपने - अपने घर भेजा, नहीं तो बात आगे तक बढ़ सकती थी। वैसे बता दे कि दोनों नेता उस दल के है जो कुछ साल से पावरफुल है।
बात चौराहे की, शहर के एक दल के लिए परंपरागत माने जाने वाले एक चौराहे पर देर रात टिकट के दावेदार आपस में बात कर रहे थे। शुरू में सामान्य व हल्के फूल्के रुप से शुरू हुई बातचीत कुछ ही देर में तुने पार्टी के लिए किया क्या है, मेरी छोड़ तेरी बता तुने क्या किया, जैसे शब्दों पर उतर गई। वो तो भला हो एक तीसरे नेताजी का जो बीच में पड़े व दोनों दावेदारों को अपने - अपने घर भेजा, नहीं तो बात आगे तक बढ़ सकती थी। वैसे बता दे कि दोनों नेता उस दल के है जो कुछ साल से पावरफुल है।
बढ़ गई इन दिनों रोनक
शहर के माणकचौक व चौमुखीपुल क्षेत्र में दो दुकान इस प्रकार की है, जहां तंत्र-मंत्र-यंत्र का सामान मिलता है। दावेदारों की इन दिनों इन दुकान पर टिकट की चाह में भीड़ लगी हुई है। बात शनिवार दोपहर की है। पटरी पार क्षेत्र के एक दावेदार बाजार क्षेत्र की दुकान पर गए। दुकान पर संचालक के पिता भी थे। वे कड़क भाषा में बोलने के मामले में पूरे बाजार में प्रसिद्ध है। उन्होंने नेताजी को कह दिया, चुनाव सिर्फ इन सामान से नहीं जीते जाते, तंत्र-मंत्र-यंत्र के साथ षडयंत्र भी करना होता है। वो आता है या नहीं, जब दावेदार ने इससे इंकार कर दिया तो दुकानदार ने कह दिया, फिर पूजा का फल तुरंत मिलेगा या नहीं, इसकी ग्यारंटी कोई नहीं देगी।
शहर के माणकचौक व चौमुखीपुल क्षेत्र में दो दुकान इस प्रकार की है, जहां तंत्र-मंत्र-यंत्र का सामान मिलता है। दावेदारों की इन दिनों इन दुकान पर टिकट की चाह में भीड़ लगी हुई है। बात शनिवार दोपहर की है। पटरी पार क्षेत्र के एक दावेदार बाजार क्षेत्र की दुकान पर गए। दुकान पर संचालक के पिता भी थे। वे कड़क भाषा में बोलने के मामले में पूरे बाजार में प्रसिद्ध है। उन्होंने नेताजी को कह दिया, चुनाव सिर्फ इन सामान से नहीं जीते जाते, तंत्र-मंत्र-यंत्र के साथ षडयंत्र भी करना होता है। वो आता है या नहीं, जब दावेदार ने इससे इंकार कर दिया तो दुकानदार ने कह दिया, फिर पूजा का फल तुरंत मिलेगा या नहीं, इसकी ग्यारंटी कोई नहीं देगी।
दोनों दल में रहे है यह
शहर में एक नेताजी ने एक दल से पार्षद पद के लिए टिकट का आवेदन किया है। जब दल के नेताओं ने आवेदन को देखा तो हैरान रह गए। असल में जिन नेता ने पार्षद के लिए आवेदन दिया वो उस दल के चवन्नी के भी सदस्य नहीं है। जब आवेदन लेने वालों ने यह बात नेताजी को कही तो जवाब दिया कि आप तो आवेदन लो, बाकी टिकट हम उपर से करवा लेंगे। जिन नेताजी की बात हम कर रहे है, वो दोनों प्रमुख दल में रहे है। इन दिनों किसी दल में नहीं है, लेकिन हर दल में उनके बड़े नेताओं से संबंध है।
शहर में एक नेताजी ने एक दल से पार्षद पद के लिए टिकट का आवेदन किया है। जब दल के नेताओं ने आवेदन को देखा तो हैरान रह गए। असल में जिन नेता ने पार्षद के लिए आवेदन दिया वो उस दल के चवन्नी के भी सदस्य नहीं है। जब आवेदन लेने वालों ने यह बात नेताजी को कही तो जवाब दिया कि आप तो आवेदन लो, बाकी टिकट हम उपर से करवा लेंगे। जिन नेताजी की बात हम कर रहे है, वो दोनों प्रमुख दल में रहे है। इन दिनों किसी दल में नहीं है, लेकिन हर दल में उनके बड़े नेताओं से संबंध है।

जिले के पांचों माननीय 18 जुलाई को अपने समर्थन वाली पार्टी की जीत के उत्साह के भागीदार नहीं हो पाएंगे। इसकी वजह बताई जा रही है कि जब निकाय चुनाव के नतीजे आएंगे तब जिले के सभी माननीय भोपाल में देश के सबसे बड़े माननीय के लिए मतदान कर रहे होंगे। ऐसे में जिस भी दल के महापौर, अध्यक्ष, पार्षद जीतेंगे, उनके संगठन के पदाधिकारी तो रहेंगे, लेकिन माननीय नहीं रहेंगे। ऐेसे में लड्डू से मुंह मीठा करते फोटो के लिए इंतजार करना होगा।
फोटो मतलब टिकट पक्का
एक दल में महापौर, अध्यक्ष के नाम तय करने के लिए भोपाल में बैठक हुई। बैठक में जितने दावेदार गए, सभी ने अपने - अपने आकाओ के साथ फोटो सेशन करवाया। सिर्फ फोटो सेशन करवाया होता तो बात थोड़ी थी, अब दावेदार उन फोटो को अपने समर्थकों को दिखाकर दावा कर रहे है कि उनका टिकट पक्का हो गया है। अब यह सही है या गलत, यह तो जब नाम की घोषणा होगी तब पता चलेगा।
एक दल में महापौर, अध्यक्ष के नाम तय करने के लिए भोपाल में बैठक हुई। बैठक में जितने दावेदार गए, सभी ने अपने - अपने आकाओ के साथ फोटो सेशन करवाया। सिर्फ फोटो सेशन करवाया होता तो बात थोड़ी थी, अब दावेदार उन फोटो को अपने समर्थकों को दिखाकर दावा कर रहे है कि उनका टिकट पक्का हो गया है। अब यह सही है या गलत, यह तो जब नाम की घोषणा होगी तब पता चलेगा।
जहां बम, उधर हम
राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त व दुश्मन नहीं होता है, यह बात सर्वविदीत है। इन दिनों एक दल के नेताजी सुबह से लेकर शाम तक अपनी पार्टी के कार्यालय में टिके रहते है। जो दिनभर कार्यालय में रहते है, उनको दल ने ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं दी है, लेकिन बताया जा रहा है कि नेताजी को उम्मीद है कि पार्टी के कार्यालय से ही उनका टिकट पक्का होगा। ऐसा होता तो भी किसी को परेशानी नहीं थी, असल में जब नेताजी पार्टी के कार्यालय में थे, तब ही एक अन्य नेताजी का प्रवेश हुआ। जो आए, उनको कार्यालय में रहने वाले नेताजी ने भरोसा दिलाया था कि वे सिर्फ उनके प्रति वचनबद्ध है। जब आस्था डीग रही है या जिधर बम उधर हम की कहावत को साबित किया जा रहा है, यह कोई नहीं जानता।
राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त व दुश्मन नहीं होता है, यह बात सर्वविदीत है। इन दिनों एक दल के नेताजी सुबह से लेकर शाम तक अपनी पार्टी के कार्यालय में टिके रहते है। जो दिनभर कार्यालय में रहते है, उनको दल ने ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं दी है, लेकिन बताया जा रहा है कि नेताजी को उम्मीद है कि पार्टी के कार्यालय से ही उनका टिकट पक्का होगा। ऐसा होता तो भी किसी को परेशानी नहीं थी, असल में जब नेताजी पार्टी के कार्यालय में थे, तब ही एक अन्य नेताजी का प्रवेश हुआ। जो आए, उनको कार्यालय में रहने वाले नेताजी ने भरोसा दिलाया था कि वे सिर्फ उनके प्रति वचनबद्ध है। जब आस्था डीग रही है या जिधर बम उधर हम की कहावत को साबित किया जा रहा है, यह कोई नहीं जानता।
कोई सुधरना चाहता है तो परेशानी क्या है
एक पार्टी में एक नेताजी के साथ महापौर के प्रत्याशी बनने को लेकर तकनीकी पचड़ा हो गया। अंतिम समय में उनके नाम की घोषणा होते - होते रह गई। जब दल के अन्य नेताओं ने पूरी जानकारी ली तो नेताजी ही साफ कह दिए। पूर्व में जो हुआ वो अलग, पुरानी बात उठाने से क्या मतलब। कोई सुधरना चाहता है तो क्या परेशानी है। बताते है कि इसके बाद सभी की बोलती बंद हो गई।
एक पार्टी में एक नेताजी के साथ महापौर के प्रत्याशी बनने को लेकर तकनीकी पचड़ा हो गया। अंतिम समय में उनके नाम की घोषणा होते - होते रह गई। जब दल के अन्य नेताओं ने पूरी जानकारी ली तो नेताजी ही साफ कह दिए। पूर्व में जो हुआ वो अलग, पुरानी बात उठाने से क्या मतलब। कोई सुधरना चाहता है तो क्या परेशानी है। बताते है कि इसके बाद सभी की बोलती बंद हो गई।
चेहरा चमकाने की कोशिश
देशभर में एक पार्टी की महिला नैत्री अपने बयान को लेकर चर्चा में आ गई। देश क्या विदेश तक में उनके नाम के डंके बज गए। बयान दिल्ली में दिया गया, लेकिन इसकी आड़ में रतलाम में नेता बनने के लिए पूरा दमखम लगा रहे एक युवा ने अपना चेहरा चमकाने की कोशिश की। नेताजी अपने समर्थकों को लेकर ज्ञापन देने पहुंच गए। अब आगे जो हुआ वो नीचे दिए गए वीडियो में देखें।
देशभर में एक पार्टी की महिला नैत्री अपने बयान को लेकर चर्चा में आ गई। देश क्या विदेश तक में उनके नाम के डंके बज गए। बयान दिल्ली में दिया गया, लेकिन इसकी आड़ में रतलाम में नेता बनने के लिए पूरा दमखम लगा रहे एक युवा ने अपना चेहरा चमकाने की कोशिश की। नेताजी अपने समर्थकों को लेकर ज्ञापन देने पहुंच गए। अब आगे जो हुआ वो नीचे दिए गए वीडियो में देखें।