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election 2018 मध्यप्रदेश की इस सीट पर चलता है वंशवाद, पहले पिता तो अब बेटे को देती है ये पार्टी टिकट

locationरतलामPublished: Oct 15, 2018 02:14:57 pm

Submitted by:

Ashish Pathak

election 2018 मध्यप्रदेश की इस सीट पर चलता है वंशवाद, पहले पिता तो अब बेटे को देती है ये पार्टी टिकट

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रतलाम। हम बात कर रहे हैं जावरा विधानसभा सीट की, यह सीट कांग्रेस या भाजपा के नाम फिक्स नहीं रही। हां यह बात जरूर है कि इस सीट पर भाजपा की राजनीति पांडेय परिवार के इर्द-गिर्द घूमती रही। देश के दूसरे आम चुनाव 1957 से लेकर अब तक इस सीट पर पांडेय परिवार का ही प्रत्यक्ष परोक्ष प्रभाव रहा । 1957 से लेकर 2013 तक जनसंघ व बाद में भाजपा के जावरा विधानसभा से खडे़ हुए प्रत्याशियों की सूची पर नजर डालें तो ये साफ नजर आएगा कि देश की सबसे अधिक कार्यकर्ताओं वाली पार्टी होने का दंभ भरने वाली भाजपा यहां वंशवाद से उबर नहीं पाई।
यहां लंबे समय से डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे व बाद में उनके बेटे डॉ. राजेंद्र पांडे के अलावा पार्टी ने कभी किसी अन्य कार्यकर्ता को टिकट के लायक ही नहीं माना। हालांकि इस बार पार्टी के भीतर से ही पांडेय के विरोध के सुर उठे हैं। भाजपा के नेताओं ने पार्टी फोरम पर ही दूसरे को टिकट देने की बात की है, लेकिन अंदर की खबर ये है कि पार्टी ने पांडेय का टिकट इस बार लगभग फाइनल है, वे भाजपा से टिकट की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं।
इस तरह समझे इस बात को


वर्ष 1957 का समय। देश की आजादी के 10 वर्ष हो गए थे। जावरा विधानसभा का नंबर क्रमांक 49 था। कांगे्रस ने यहां से डॉ. कैलाशनाथ काटजू को खड़ा किया, जो मुख्यमंत्री थे। इनके सामने खडे़ थे डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे। तब कांग्रेस को 11450 तो जनसंघ को 4665 वोट से संतोष करना पड़ा था। वर्ष 1962 का समय। कांगे्रस व जनसंघ से पूर्व के ही प्रत्याशी थे। बस परिणाम अलग रहा। जनता पार्टी से डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे चुनाव जीत गए। इनको 14548 तो कांगे्रस को 13048 वोट मिले थे। कांगे्रस से डॉ. काटजू मुख्यमंत्री रहते चुनाव हार गए। मुख्यमंत्री को हराने के बाद पांडेय का ऐसा प्रभाव बढ़ा कि इसके बाद 1967, 1972 में भी जनसंघ के प्रत्याशी डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे रहे।
1980 में आया बदलाव

1977 में रतलाम के काटजू नगर में रहने वाले कोमलसिंह को जनता पार्टी ने जावरा से टिकट दिया। ढाई वर्ष की सरकार में वे जावरा के विधायक रहे। वर्ष 1980 में बदलाव हुआ। कांगे्रस से कुंवर भारतसिंह तो भाजपा से कांतिलाल खारीवाल को टिकट मिला। जीत भारतसिंह की हुई। वर्ष 1985 में भी भारतसिंह ही चुनाव जीते। तब भाजपा ने पहली बार प्रकाश मेहरा को टिकट दिया गया। मेहरा करीब 11 हजार वोट से चुनाव हार गए थे।
रामलहर में बदल गया प्रत्याशी


वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में रामलहर थी। जावरा से भाजपा ने प्रत्याशी बदलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री सुदंरलाल पटवा के करीबी रूघनाथङ्क्षसह आंजना को टिकट दिया। आंजना ढाई वर्ष की पटवा सरकार में विधायक बने। आंजना ने गृहमंत्री रहे भारतसिंह को 10 हजार से अधिक वोट से हराया था।
कालूखेड़ा का हुआ आगमन

वर्ष 1993 के चुनाव में कांगे्रस ने नए प्रत्याशी व माधवराव सिंधिया के करीबी महेंद्रसिंह कालूखेड़ा को प्रत्याशी बनाया। भाजपा ने यहां से 1990 में विधायक रहे आंजना को टिकट दिया। कालूखेड़ा को 45109 तो आंजना को 37651 हजार वोट मिले। इस तरह से कालूखेड़ा पहली बार विधायक बने।
पिता के बाद पुत्र ने संभाली गद्दी


लंबे समय तक जावरा से विधायक व मंदसौर से सांसद का चुनाव लडे़ डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे के बाद वर्ष 1998 में भाजपा ने उनके बेटे डॉ. राजेंद्र पांडे को टिकट दिया। युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र को 43659 तो कालूखेड़ा को 45353 हजार वोट मिले। इस तरह अपने जीवन का पहला विधानसभा चुनाव डॉ राजेंद्र पांडे हार गए। वर्ष2003 में राज्य में उमा भारती की लहर थी। भाजपा ने फिर से डॉ. पांडे को टिकट दिया तो कांगे्रस ने कालूखेड़ा को। डॉ. पांडे को 54159 तो कांग्रे्रस को 47452 हजार वोट मिले। इसके बाद 2008 व 2013 के चुनाव में लगातार डॉ. पांडे को टिकट मिला। इसमे 2008 में डॉ. पांडे चुनाव में हारे तो 2013 में जीत गए।
कब-कब मिला पांडेय को टिकट

जावरा विधानसभा चुनाव में पांडे परिवार के आसपास ही भाजपा का टिकट घुमता रहा। बात डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे की हो या उनके बेटे व वर्तमान विधायक डॉ. राजेंद्र पांडे की। इस परिवार से बाहर अधिक टिकट गया ही नहीं। वर्ष 1957 से लेकर 2013 तक कुल 13 विधानसभा चुनाव हुए। इनमे 1957, 1962, 1967, 1972 में डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे को पार्टी ने टिकट दिया। ये अलग बात है कि 1962 के अलावा वे हर चुनाव हारते चले गए। इसी प्रकार इनके बेटे डॉ. राजेंद्र पांडे को पार्टी ने 1998, 2003, 2008, 2013 में टिकट दिया। इसमे से दो बार डॉ. राजेंद्र चुनाव जीते तो दो बार हारे। कुल 13 चुनाव में से 8 बार भाजपा ने पिता-पुत्र की जोड़ी को टिकट दिया।
जावरा से कब कौन रहा विधायक

1957 -डॉ. कैलाशनाथ काटजू-कांगे्रस

1962 -डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय-जनसंघ
1967 -बंकटलाल टोडी -कांगे्रस

1972 -बंकटलाल टोडी-कांगे्रस
1977 -कामलसिंह राठौर-जनता पार्टी

1980 – कुंवर भारतसिंह-कांग्रे्रस
1985 – कुंवर भारतसिंह-कांग्रेस
1990 – पटेल रूघनाथसिंह आंजना-भाजपा
1993 – महेंद्रङ्क्षसह कालूखेड़ा-कांगे्रस

1998 – महेंद्रसिंह कालूखेड़ा
2003 -डॉ. राजेंद्र पांडेय-भाजपा

2008 -महेंद्रसिंह कालूखेड़ा-कांग्रेस
2013 -डॉ. राजेंद्र पांडेय

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