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रतलाम का सोना खरा, तीन जगह क्यों तपे

locationरतलामPublished: Dec 08, 2017 05:05:41 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

शुद्धता के लिए एक मानक हो, तीन को नकार रहे व्यापारी

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रतलाम। सरकार ने ज्वैलरी पर हालमार्क के नए मापदंड तय कर दिए हैं। ये मापदंड नए साल से लागू होंगे। कारोबारियों को नई चुनौती का सामना करना पड़ेेगा। इसमें तीन तरह की शुद्धता का लाइसेंस मिलेगा। कारोबारियों का कहना है कि शुद्धता के मापदंड के लिए एक मानक ही तय करना चाहिए। सरकार ने लंदन आधारित हालमार्क स्टैंडंर्ड को हूबहू लागू करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। इसमें 14 कैरेट, 18 कैरेट व 22 कैरेट के सोने की ज्वैलरी को मान्यता दी है। इन मानकों पर कारोबारियों को कार्य करने पर परेशानी होगी।
रतलाम का सोना ९२ प्रतिशत शुद्ध
रतलाम सोने की शुद्धता के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। यहां का सोना सरकारी मानक ९१.६० प्रतिशत से .४० प्रतिशत अधिक (92 प्रतिशत) शुद्धता का सोना बिकता है।यहां के कारोबारी पूर्व से ही शुद्धता के लिए अपनी दुकान की छाप लगाते आ रहे हैं।
22 कैरेट यानी ९१.६० प्रतिशत शुद्ध सोना
सोना मुलायम धातु है। इस शुद्धता वाले सोने की ज्वैलरी में उसका भार अधिक रखना पड़ता है। ऐसा नहीं करने पर इसके जल्दी टूटने की संभावना बनी रहती है।
18 कैरेट का सोना यानी ७५ प्रतिशत शुद्धता – जलवायु के असर के कारण इस शुद्धता के सोने का रंगत जल्दी फीकी पड़ जाती है। इससे ग्राहक व व्यापारियों में विवाद होगा।
कम कैरेट का सोना खरीदी बिक्री में परेशानी
सराफा कारोबारी मनोज शर्मा का कहना है कि हल्की कैटेगिरी के सोना को हालमार्क में शामिल करने से ग्राहकों व कारोबारियों को परेशानी होगी। क्योंकि कम शुद्धता वाला सोना कारोबारी नहीं खरीदेंगे तो ग्राहकों के सोना गिरवी रख जो काम हो जाते हैं उसमें परेशानी होगी। वहीं उन जेवरात को खरीदी बिक्री में परेशानी होगी।
उपभोक्ताओं को होगा नुकसान
सरकार ने तीन तरह के हालमार्क को मान्यता देने का जो प्रस्ताव पारित किया है। वह उपभोक्ताओं के लिए मुश्किल भरा होगा। इसके लागू होने से उपभोक्ता शुद्ध सोने के आभूषण नहीं मिल पाएंगे। ऐसे में सरकार को उपभोक्ताओं को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए एक तरह का हालमार्क को मान्यता देना चाहिए। इससे उपभोक्ताओं को शुद्ध आभूषण प्राप्त हो सकेंगे।
ज्ञानेश्वर कड़ेल, सचिव मारवाड़ी स्वर्णकार समाज, रतलाम।
कम से कम ८५ कैरेट का हालमार्क हो
सराफा व्यापारी हालमार्क के समर्थन में है। हमारे यहां पर वर्षों से 92 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बिक रहा है। सरकार पूरे देश में शुद्धता को प्रमाणिकता बरकरार रखना चाहती है तो उसे ८५ कैरेट के मानक को मान्यता देना चाहिए। ताकि उपभोक्ताओं को शुद्ध सोने के आभूषण मिल सकें। इससे कम मानक उपभोक्ताओं के लिए उचित नहीं है।
झमक भरगट, कार्यकारी अध्यक्ष मप्र सराफा एसोसिएशन।
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