राजवंश के समय बने हुए इस तालाब में बारिश में बेहतर पानी हो जाता है व आसपास देखने वालों की भीड़ हो जाती है। अब तक रतलाम में 30 इंच से अधिक बारिश हो गई है। रक्षाबंधन के दिन पूरे समय बारिश कभी तेज तो कभी रुक – रुक कर होती रही। शुक्रवार को इसी के चलते हनुमान ताल के चारों गेट को खोलना पड़ गया। बता दे कि यहां पर लकड़ी के पटिए से गेट बने हुए है। इससे पानी का ठहराव होता है। इन चारों पटियों को शुक्रवार को निकाल दिया गया है।
इसलिए है इसका महत्व हनुमान ताल के उद्धार का काम श्रेत्रीय पार्षद सीमा टांक, पवन सोमानी व पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा के समय हुआ था। तब से अब तक यहां पर अनेक बार बेहतरी के अनेक कार्य किए गए है। इस समय आसपास की हरियाली मन मोह रही है तो इसके अलावा यहां पर बना हुआ हनुमान मंदिर दर्शकों के लिए श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। मंगलवार व शनिवार को तो यहां पर भारी भीड़ रहती है। इसके अलावा बाकी के दिनों में भी सुबह व शाम को घुमने आने वालो का तांता लगा रहता है।
स्वच्छता की जरुरत वैसे तो इस तालाब की वजह से आसपास की करीब २०० बड़ी – छोटी कॉलोनियों को गर्मी में भी पानी मिलता है, लेकिन इसके बेहतर साफ सफाई पर ध्यान दिया जाए तो ये मालवा का बड़ा पर्यटन केंद्र बन सकता है। इसके लिए स्वच्छता का अभियान चलाने की अधिक जरुरत है। अब बारिश हो गई है व तालाब के गेट खोल दिए गए है। इसके बाद इसको देखने आने वालों की भीड़ भी बढ़ गई है।