शहर में शास्त्री नगर, सुभाष नगर, छत्री पुल, हरमाला रोड, नगर निगम के पीछे, अमृत सागर का नाला, शंकरगढ़ का नाला, विरियाखेड़ी का नाला, लक्ष्मणपुरा का नाला, गौशाला रोड आदि मिलाकर बड़े – छोटे 26 नालों की सफाई का दावा हर बार की तरह इस बार भी किया जा रहा है। निगम की स्पेशल गैंग इस काम में लगी हुई है। नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने इन नालों की सफाई के लिए अभियान चलाया हुआ है, यह कागजी दावा किया जा रहा है। मैदान में जाकर हकीकत अलग ही कहानी बयां कर रही है।
यह आती है बारिश में परेशानी कागज में साफ हुए नाले मानसून की तेज बारिश में परेशानी का सबब बनते है। असल में इन नालों में जमा प्लास्टिक और गंदगी बहकर बारिश के तेज पानी के साथ रोड पर आती है। शहर के प्रमुख कारोबारी क्षेत्र पोरवालो का वास में तो हर बारिश में यह समस्या आती है। इसके अलावा शहर के करीब एक दर्जन स्थान ऐसे है जहां बारिश के दौरान गंदे नाले का पानी घर में भर जाता है। इतना ही रोड पर जमा नालों का गंदा पानी जलजमाव के हालात बनाता है।
फैक्ट फाइल काम – वर्ष – व्यय किया भूमिगत नालियां – 2019 – 20 – 13.37 लाख भूमिगत नालियां – 2020 – 21 -25 लाख भूमिगत नालियां – 2021 – 22 – 18 लाख
खुली नालियां – 2019 – 20 – 2.38 लाख खुली नालियां – 2020 – 21 – 17 लाख रुपए खुली नालियां – 2021 – 22 -25 लाख रुपए कीटनाशक – 2019 – 20 – 18.53 लाख
कीटनाशक – 2020 – 21 – 19 लाख कीटनाशक – 2021 – 22 – 12 लाख मशीन से बेहतर सफाई जेसीबी, पोकलेन आदि से सफाई करवाई जा रही है, यह सही है। जो कचरा निकल रहा है, उसको डंपर, ट्रेक्टर आदि से भेजा जा रहा है, लेकिन नाले- नालियों की सफाई का कार्य कर्मचारी ही कर रहे है। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो औचक जांच कर नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
सोमनाथ झारिया, आयुक्त, नगर निगम IMAGE CREDIT: patrika