तीन की बजाय अब ६ माह तक सजा संभावित
केन्द्र की मोदी सरकार जल्द ही बुजुर्ग माता- पिता को असहाय स्थिति में छोडऩे वालों के खिलाफ कानून और सख्त करने जा रही है। फिलहाल इस कानून के तहत तीन महीने की सजा है, जो अब बढ़ाकर 6 महीने की हो सकती है। माता- पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण कानून 2007 की समीक्षा कर रहे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने बच्चों की परिभाषा को विस्तार देने की भी सिफारिश की है। साथ ही इस कानून में कई औऱ कडिय़ों को जोडऩे की बात कही गई है, ऐसे में अगर मोदी सरकार इस कानून में संशोधन करने में सफल रही तो बुजुर्गों की स्थिति में सुधार हो सकता है। इस कड़ी में पोता पोती को भी जोडऩे की सिफारिश की जा रही है, इसके अलावा नाबालिग बच्चों को भी इसमें जोडऩे की बात हुई ताकि किसी भी तरह की गलती कोई गुंजाइश न बचे। बता दें कि उक्त मंत्रालय के मालवा से रतलाम-उज्जैन क्षेत्र के राज्यसभा सदस्य थावरचंद गेहलोत केन्द्रीय मंत्री है। गेहलोत का मंत्रालय नए कानून के संबंध में सरकार को अपनी सिफारिश तैयार कर भेजने वाला है, इसके बाद मंजूरी मिली तो नया कानून बनेगा।
केन्द्र की मोदी सरकार जल्द ही बुजुर्ग माता- पिता को असहाय स्थिति में छोडऩे वालों के खिलाफ कानून और सख्त करने जा रही है। फिलहाल इस कानून के तहत तीन महीने की सजा है, जो अब बढ़ाकर 6 महीने की हो सकती है। माता- पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण कानून 2007 की समीक्षा कर रहे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने बच्चों की परिभाषा को विस्तार देने की भी सिफारिश की है। साथ ही इस कानून में कई औऱ कडिय़ों को जोडऩे की बात कही गई है, ऐसे में अगर मोदी सरकार इस कानून में संशोधन करने में सफल रही तो बुजुर्गों की स्थिति में सुधार हो सकता है। इस कड़ी में पोता पोती को भी जोडऩे की सिफारिश की जा रही है, इसके अलावा नाबालिग बच्चों को भी इसमें जोडऩे की बात हुई ताकि किसी भी तरह की गलती कोई गुंजाइश न बचे। बता दें कि उक्त मंत्रालय के मालवा से रतलाम-उज्जैन क्षेत्र के राज्यसभा सदस्य थावरचंद गेहलोत केन्द्रीय मंत्री है। गेहलोत का मंत्रालय नए कानून के संबंध में सरकार को अपनी सिफारिश तैयार कर भेजने वाला है, इसके बाद मंजूरी मिली तो नया कानून बनेगा।
फिलहाल बुजुर्गो को खुद आना पड़ता है आगे
जानकारों की माने तो अगर बच्चे मां बाप की देखभाल करने से इनकार कर दें, तो वो कानून का सहारा ले सकते हैं। कानून के तहत बच्चों से प्रताडि़त मां बाप को सहारा न देने पर बच्चों को जेल हो जाती है, लेकिन ऐसे हालात में मां बाप को रिपोर्ट करना पड़ता है, तभी इस तरह का एक्शन लिया जा सकता है। दरअसल, सरकार से फिलहाल इस मसले पर सिर्फ सिफारिश ही की गई है। जिसकी वजह से अभी इस कानून में संशोधन करने में वक्त लग सकता है, लेकिन इस तरह के कानून से समाज में बुजुर्गों को प्रताडि़त नहीं किया जा सकता और आने वाले बदलाव के बाद तो बुजुर्गो के लिए नए कानून के तौर पर और मजबूत कार्रवाई का अधिकार प्राप्त होने का अवसर भी होगा।
जानकारों की माने तो अगर बच्चे मां बाप की देखभाल करने से इनकार कर दें, तो वो कानून का सहारा ले सकते हैं। कानून के तहत बच्चों से प्रताडि़त मां बाप को सहारा न देने पर बच्चों को जेल हो जाती है, लेकिन ऐसे हालात में मां बाप को रिपोर्ट करना पड़ता है, तभी इस तरह का एक्शन लिया जा सकता है। दरअसल, सरकार से फिलहाल इस मसले पर सिर्फ सिफारिश ही की गई है। जिसकी वजह से अभी इस कानून में संशोधन करने में वक्त लग सकता है, लेकिन इस तरह के कानून से समाज में बुजुर्गों को प्रताडि़त नहीं किया जा सकता और आने वाले बदलाव के बाद तो बुजुर्गो के लिए नए कानून के तौर पर और मजबूत कार्रवाई का अधिकार प्राप्त होने का अवसर भी होगा।