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मोदी सरकार हुई सख्त, बुजुर्ग मां- बाप को सताने वालों की अब खैर नहीं

locationरतलामPublished: Jun 18, 2018 06:37:06 pm

Submitted by:

sachin trivedi

केन्द्रीय सामाजिक एवं न्याय मंत्रालय ला रहा नया कानून

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रतलाम. आजकल बुजुर्गों के खिलाफ अत्याचार में बढ़ावा देखने को मिल रहा है। ऐसे में बुजुर्गों को सुरक्षित रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। मोदी सरकार अब उन बच्चों की क्लास लेगी, जो अपने बुजुर्ग माता पिता को असहाय छोड़ देते है या फिर उन्हें सताते हैं। बुजुर्गों के साथ हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए केंद्र की सरकार अब नए कानून पर मंजूरी बना सकती है और इसके लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय सक्रिय हो गया है।
तीन की बजाय अब ६ माह तक सजा संभावित
केन्द्र की मोदी सरकार जल्द ही बुजुर्ग माता- पिता को असहाय स्थिति में छोडऩे वालों के खिलाफ कानून और सख्त करने जा रही है। फिलहाल इस कानून के तहत तीन महीने की सजा है, जो अब बढ़ाकर 6 महीने की हो सकती है। माता- पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण कानून 2007 की समीक्षा कर रहे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने बच्चों की परिभाषा को विस्तार देने की भी सिफारिश की है। साथ ही इस कानून में कई औऱ कडिय़ों को जोडऩे की बात कही गई है, ऐसे में अगर मोदी सरकार इस कानून में संशोधन करने में सफल रही तो बुजुर्गों की स्थिति में सुधार हो सकता है। इस कड़ी में पोता पोती को भी जोडऩे की सिफारिश की जा रही है, इसके अलावा नाबालिग बच्चों को भी इसमें जोडऩे की बात हुई ताकि किसी भी तरह की गलती कोई गुंजाइश न बचे। बता दें कि उक्त मंत्रालय के मालवा से रतलाम-उज्जैन क्षेत्र के राज्यसभा सदस्य थावरचंद गेहलोत केन्द्रीय मंत्री है। गेहलोत का मंत्रालय नए कानून के संबंध में सरकार को अपनी सिफारिश तैयार कर भेजने वाला है, इसके बाद मंजूरी मिली तो नया कानून बनेगा।
फिलहाल बुजुर्गो को खुद आना पड़ता है आगे
जानकारों की माने तो अगर बच्चे मां बाप की देखभाल करने से इनकार कर दें, तो वो कानून का सहारा ले सकते हैं। कानून के तहत बच्चों से प्रताडि़त मां बाप को सहारा न देने पर बच्चों को जेल हो जाती है, लेकिन ऐसे हालात में मां बाप को रिपोर्ट करना पड़ता है, तभी इस तरह का एक्शन लिया जा सकता है। दरअसल, सरकार से फिलहाल इस मसले पर सिर्फ सिफारिश ही की गई है। जिसकी वजह से अभी इस कानून में संशोधन करने में वक्त लग सकता है, लेकिन इस तरह के कानून से समाज में बुजुर्गों को प्रताडि़त नहीं किया जा सकता और आने वाले बदलाव के बाद तो बुजुर्गो के लिए नए कानून के तौर पर और मजबूत कार्रवाई का अधिकार प्राप्त होने का अवसर भी होगा।
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