पं. प्रकाश आर्य ने कहा कि परमात्मा की कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। संसार की सभी वस्तुओं को तो प्राप्त किया जा सकता है, परंतु सुख, शांति, आनंद और सद्बुद्घी के लिए परमात्मा की शरण में जाना पढ़ता है। जीवन में सुख का सूत्र सत्य ज्ञान है और दु:ख का कारण अज्ञानता है। आंतकवादी, नक्सलवादी और गलत काम करने वालों के पास जो ज्ञान है वह ज्ञान नही अज्ञानता है। समाज को जो नुकसान पहुंचाते है वह अज्ञानी की श्रेणी में आते है हम परमात्मा से सत्य ज्ञान की प्रार्थना करते है। संसार के हर कार्य की मास्टरकी ज्ञान है। जिसके पास ज्ञान है उसकी सदा विजय होती है। मुख्य अतिथि महापौर डॉ. यार्दे ने कहा कि आर्य समाज समाज सुधार व शिक्षा के क्षैत्र में जो कार्य कर रहा है वह अनुकरणीय है।
रतलाम। प्रेम और भक्ति के कारण प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। हिरणाकश्यप जैसे राक्षसों की कितनी ताकत बढ़ जाए, एक दिन उन्हे बुरे कर्मो का फल भोगना ही पड़ता है। प्रकाश का नहीं होना ही अंधकार है और अंधकार का कोई अस्तित्व नहीं होता है। गुरू हमारे अंदर ज्ञान का प्रकाश भर कर अंधकार दुर करते है। यह विचार संत देवकीनंदनदास ब्रह्मर्षि ने श्री सनातन धर्मसभा एवं महारूद्र यज्ञ समिति द्वारा 65वें महारूद्र के अवसर पर त्रिवेणी तट पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। यज्ञ के यज्ञाचार्य पं. दुर्गाशंकर ओझा व 21 विद्वान पंडितों के सानिध्य में यज्ञ के यजमान शांतिदेवी गोविंदलाल राठी ने यज्ञ पाठ, गणेश अंबिका, वास्तु पूजन, कुण्ड पूजन, योगिनी क्षैत्रपाल पूजन एवं आद्यगुरू श्री शंकराचार्य भगवान की प्रतिमा का पूजन कर यज्ञशाला के हवन कुण्ड में लघुरूद्र आहुतियां दी। शाम को श्रद्घालुओं ने यज्ञशाला की परिक्रमा कर हर-हर महादेव के जयकारे लगाए व यज्ञ नारायण की महाआरती की। बद्रीनारायण सेवा ट्रस्ट की और से राठी परिवार का सम्मान किया गया। इसके पूर्व मुख्य अतिथि समाजसेवी सत्यनारायण पालीवाल द्वारा जलाधारी एवं ब्रह्मलीन संत रामचन्द्रजी डोंगरे महाराज की पूजा अर्चना, महाआरती कर भोग लगाया और निराश्रितों को भोजन परोसने के कार्य का शुभारंभ किया।