इस मौके पर नृत्य नाटिका की निर्देशक नीतू सुनील जैन डीपीएस सनावद ने कहां कि वर्तमान के वर्धमान, इस पंचमकाल में चतुर्थकाल की चर्या दिखाने वाले महान संत आचार्य प्रवर विद्यासागर महाराज के प्रेरणादायी बाल्यकाल, मर्यादित किशोरवय और तेजोमयी यौवन अवस्था को यदि हम आत्मसात कर पाये तो घोर पतन के इस युग में भी निरापद रह सकते है। इस नृत्य नाटिका में शामिल बच्चों में हिन्दू, मुस्लिम, सिख व ईसाई सहित जैन धर्म के बाल कलाकार मौजूद रहे। दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के पदाधिकारियों ने बच्चों का सम्मान भी किया। सूरत गुजरात से आए कलाश्री ग्रुप के कलाकारों ने डिम्पल शाह ने मंच पर नवकार मंत्र, मनुष्यदीप, गुरु वंदना, लाल गुलाल, त्रिशला मां, मुक्ति का वरदान, रणकार शहनाई, जनजन के महावीर, जैन पैरोड़ी और ऊंचा अम्बर की प्रस्तुति दी।
समता कुंज में अमृत देशना के दौरान उत्क्रांति की प्रेरणा देते हुए आचार्यश्री रामेश ने कहा कि उत्क्रांति का अर्थ ऊंचा उठना होता है अर्थात जिस व्यवस्था में व्यक्ति बंधा होता है उससे उपर उठ जाना। ज्ञान चेतना जागृत होती है, तो व्यक्ति राग-द्वेष आदि सभी से उपर उठ जाता है। यह तभी संभव होता है, जब मन और बुद्धि पवित्र बनी रहे। मन इच्छाओं और अभिलाषाओं से मलीन होता है, ऐसी इच्छाओं से मन को सदैव दूर रखे। बुद्धि का पवित्र और निर्मल होना जरूरी है। बुद्धि सही दिशा में रहेगी, तो मन में भटकाव नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि जीवन के हर मोड़ पर व्यक्ति को निर्णय लेना पड़ता है। निर्णय बुद्धि की पवित्रता से हो और उसमें मन की मलीनता नहीं हो, तो मनुष्य विवेकी होकर अपने जीवन को धन्य बना पाएगा।
सोमवार को आचार्यश्री की निश्रा में गोतममुनि ने संयम साधना महोत्सव के बाद के कार्यक्रमों की घोषणा की। चातुर्मास संयोजक महेन्द्र गादिया ने बताया कि 25 नवंबर को सुबह की प्रार्थना धर्मपाल छात्रावास दिलीप नगर में होगी, इसके बाद वहां से विहार होगा। 25 एवं 26 नवंबर को प्रवचन स्टेशन रोड पर होंगे। इसके बाद 26 नवंबर को काटजू नगर में प्रवेश होगा। 27 नवंबर को आचार्यश्री समता कुंज में आयोजित दीक्षा महोत्सव में शामिल होंगे। इसमें मुमुक्षु निकिता मूणत, सुशीला मेडतवाल एवं कमलादेवी बोथरा जैन भागवती दीक्षा अंगीकार करेंगी। प्रशममुनि महाराज, महासतिश्री कल्पमणिश्री, करिश्माश्री ने भी संबोधित किया। आरंभ में पुष्पा सेठिया, राकेश देवड़ा, श्रेणिक पिपाड़ा एवं समता बालिका मंडल ने विचार रखे। संचालन सुशील गादिया ने किया।