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गजब की है एमपी की यह मंडी, साहब खुश तो नियम तोड़कर मिल जाती हर मंजूरी

locationरतलामPublished: May 28, 2022 12:28:52 pm

Submitted by:

Ashish Pathak

मध्यप्रदेश के रतलाम स्थित कृषि उपज मंडी में अगर साहब को खुश कर दिया जाए तो नियम तोड़कर हर काम की मंजूरी मिल जाती है। यह आरोप कारोबारी लगा रहे है। इसकी वजह भी साफ है।

ratlam mandi latest hindi news

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रतलाम. मध्यप्रदेश के रतलाम स्थित कृषि उपज मंडी में अगर साहब को खुश कर दिया जाए तो नियम तोड़कर हर काम की मंजूरी मिल जाती है। यह आरोप कारोबारी लगा रहे है। इसकी वजह भी साफ है। यहां पर राजस्थान के एक कारोबारी को नियम तोड़कर लाइसेंस दे दिया गया। अब कारोबारियों का आरोप है कि साहब को खुश कर दिया जाए तो हर मंजूरी दे दी जाती है।
मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड के नियम अनुसार राज्य के बाहर के किसी कारोबारी को मप्र की किसी भी मंडी में लाइसेंस देने पर रोक है। यह रोक मंडी अधिनियम 72 में है। इसके बाद भी रतलाम मंडी में एक ऐसे कारोबारी को प्याज की खरीदी बिक्री का लाइसेंस दे दिया गया जो पहले से राजस्थान के हनुमानगढ़ में पंजीकृत कारोबारी है 2015 में जिस कारोबारी ने अपना पंजीयन हनुमानगढ़ की मंडी में करवाया, उसको इसी वर्ष जनवरी में रतलाम मंडी ने पंजीयन कर लिया। स्वयं मंडी सचिव भी इस बात को मान रहे है कि कारोबारी बाहर के राज्य का है।
राजस्थान का है यह कारोबारी

युनूस मजीद खान वार्ड नंबर 22, फेफाना, हनुमानगढ़ निवासी ने हनुमानगढ़ की मंडी में अपना पंजीयन राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1963 के नियम 69-72 में अनुज्ञप्ति क्रमांक 31 से 5 अक्टूबर 2015 को करवाया था। मप्र की मंडी अधिनियम की धारा 72 कहती है कि विशेष परिस्थिति में बाहरी राज्य के कारोबारी को मंडी में लाइसेंस दिया जा सकता है इसमे भी प्रतिभूति राशि कम से कम 10 लाख रुपए व अधिकतम 1 करोड़ रुपए हो।
मात्र तीन लाख की ग्यारंटी दी

रतलाम मंडी ने दो नियम इस लाइसेंस को देने में तोड़े। पहला नियम तो बाहरी राज्य के व्यक्ति का पंजीयन किया। दूसरा नियम प्रतिभूति की राशि मात्र तीन लाख रुपए जमा करवाई। ऐसे में अगर किसी किसान का अधिक राशि का सामान लेकर कोई व्यापारी फरार हो जाए तो मंडी अधिकारी सिर्फ हाथ मलते रह जाएंगे।
एक साल में चार से अधिक चले गए

असल में रतलाम की कृषि उपज मंडी से एक साल में एक या दो नहीं, बल्कि चार कारोबारी अपना कारोबार समेटकर जा चुके है। जो गए, उन्होंने किसानों को भुगतान भी नहीं किया व मंडी समिति को वो रुपए किसानों को देने पड़े। ऐसे में मंडी सचिव के बाहरी व्यक्ति को दिए गए लाइसेंस का अब स्थानीय कारोबारी भी विरोध कर रहे है।
सीधी बात मंडी सचिव एसएन मुनिया से

पत्रिका – राजस्थान के हनुमानगढ़ के कारोबारी को लाइसेंस दिया गया है।

मंडी सचिव – वो बाहरी है, यह बात सही है, लेकिन सभी काम नियम में किया गया है।
पत्रिका -नियम तो तोड़ा गया, धारा 72 में राज्य के बाहर के व्यक्ति को लाइसेंस नहीं दे सकते।

मंडी सचिव – आप आकर मिल लिजिए, अपन चर्चा कर लेंगे।

पत्रिका – हम जानना चाहते है धारा 72 को तोड़कर लाइसेंस कैसे दिया गया।
मंडी सचिव – आप आकर मिलो तो, बोल रहा हूं , यह सही है बाहरी व्यक्ति है, पर नियम से काम किया है।

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IMAGE CREDIT: patrika

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