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विधायक पर उठाए सवाल: डीपीआर 70 फीट की, तो 104 फीट तक क्यों तोड़ा

locationरतलामPublished: Mar 01, 2019 06:19:30 pm

Submitted by:

Yggyadutt Parale

विधायक पर उठाए सवाल: डीपीआर 70 फीट की, तो 104 फीट तक क्यों तोड़ा

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विधायक पर उठाए सवाल: डीपीआर 70 फीट की, तो 104 फीट तक क्यों तोड़ा

रतलाम। रतलाम से बाजना के आगे तक प्रदेश की सीमा में बन रही ५७ किमी टूलेन सड़क में पुराने बाजना बस स्टैंड से लेकर वरोठ माता मंदिर तक बनाए जा रहे सिटी फोरलेन को लेकर बाजना फोरलेन संघर्ष समिति ने शहर विधायक चेतन्य काश्यप और लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संघर्ष समिति के संरक्षक व पूर्व महापौर पारस सकलेचा, सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत, अध्यक्ष अजय चत्तर और सचिव अर्जुन पंवार ने सर्किट हाउस पर पत्रकार वार्ता में कहा कि जब यह फोरलेन डीपीआर में ७० फीट का है तो फिर १०४ फीट का बताकर लोगों के ५० से ज्यादा मकानों को क्यों तोड़ा गया। यही नहीं उन्होंने इस फोरलेन की दो डीपीआर पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह सब मिलीभगत करके किया गया है। इन आरोपों पर विधायक चेतन्य काश्यप ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है।
दो डीपीआर का क्या मतलब

पत्रकार वार्ता में सकलेचा ने बाजना बस स्टैंड से लेकर वरोठ माता मंदिर तक के सिटी फोरलेन को लेकर दो डीपीआर होने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि एक डीपीआर उन्होंने सूचना का अधिकार के माध्यम से लोनिवि से प्राप्त की थी जबकि दूसरी विधानसभा में प्रश्न के जवाब में विभाग ने प्रस्तुत की। दोनों की राशि में काफी अंतर है। विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार सिटी फोरलेन ७० फीट चौड़ा है तो फिर १०४ फीट के नाम से मकानों को क्यों तोड़ा गया। सूचना का अधिकारी में मिली डीपीआर में इसकी लागत १७ करोड़ ४७ लाख बताई गई जबकि विधानसभा में इसकी लागत १० करोड़, चार लाख क्यों हो गई। कौन सी राशि सही है किसी को पता नहीं है। इसमें सात करोड़ से ज्यादा के भ्रष्टाचार की आशंका है।
इन पर भी सवाल खड़े किए

– विधानसभा में बताया गया एक भी मकान नहीं तोड़ा गया जबकि ५० मकान तोड़े गए।
– २००८ में बस स्टैंड नए बस स्टेैंड पर स्थानांतरित हो गया तो २०१६ तक यहां होने का क्यों बताया गया।

– रेलवे पुलिया चौड़ा करने के लिए अभी राशि जमा करवाना है तो अब तक क्यों नहीं की गई।
– लोनिवि के अधिकारियों ने जनता से झूठ बोलकर गुमराह क्यों किया।

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