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कर्मचारियों की इ- अटेंडेंस और एप लागू करने में नरम पड़ा प्रशासन

locationरतलामPublished: Jul 29, 2018 06:04:15 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

शिक्षकों के एम शिक्षा मित्र, प्रशासन और नपा में इ-अटेंडेंस से लेकर गिरदावरी एप का उपयोग नहीं कर रहे कर्मचारी

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कर्मचारियों की इ- अटेंडेंस और एप लागू करने में नरम पड़ा प्रशासन

रतलाम। राज्य और केंद्र सरकार भले ही डिजीटल इंडिया का नारा बुलंद कर रही हो लेकिन धरातल पर हकीकत इसके उलट है। कर्मचारियों की इ-अटेंडेंस, गिरदावरी एप, एम शिक्षा सहित कई डिजीटल के जरिए चलने वाली योजनाएं लागू नहीं हो पा रही है। कर्मचारियों के विरोध के बाद प्रशासन भी सख्ती नहीं दिखा पा रहा है। कई मामलों में इ-अटेंडेंस की अनिवार्यता को शिथिल कर दिया गया है। सरकार ने तकनीक के माध्यम से कर्मचारियों पर नकेल कसना चाही है, लेकिन ये लोग सरकार के उस फैसले के विरोध में खड़े हो गए। प्रशासन भी इसे लागू करवाने में पूरी तरह से नाकाम रहा। इसके लिए कर्मचारियों द्वारा धरना-प्रदर्शन किए चुनावी साल होने के चलते कुछ मामलों में सरकार को भी पीछे हटना पड़ा है। हालाकि इन सब के बीच अब पुलिस भी फील्ड में रहने वाले अपने कर्मचारियों पर नजर रखने के लिए जीपीएस लगे नए वायरलेस सेट का उपयोग करने जा रही है।
एप से हाजिरी पर लगी रोक
तत्कालीन कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल ने कर्मचारी दफ्तर में समय पर उपस्थित हो सके उसके लिए उन पर नकेल कसने के लिए एप से हाजिरी की व्यवस्था लागू की थी। प्रदेश में रतलाम दूसरा एेसा जिला बना था, जहां सरकारी कर्मचारियों को दफ्तर व स्कूल में जाने के बाद अपनी सीट पर पहुंचकर अपना फोटो लेकर एप पर डालना होता था। उनके एेसा करने पर ही उनकी हाजिरी लगती थी और जिस समय उनका फोटो खींचाता था, वहीं समय उनका दफ्तर पहुंचने का होता था लेकिन कर्मचारियों पर नकेल कसाने से यह व्यवस्था उन्हे रास नहीं आई और कलेक्टर का तबादला होते ही यह धवस्त हो गई।
एम शिक्षा मित्र : आधा अधूरा लागू
रतलाम कलेक्टर के एप से हाजिरी की व्यवस्था लागू करने के पूर्व शासन ने शिक्षा विभाग के कर्मचारियों पर काबू पाने के लिए एम शिक्षा मित्र नाम से एप तैयार कराया था। इस व्यवस्था के माध्यम से गांव में पहुंचने वाले शिक्षक की उपस्थित मोबाइल की लोकेशन स्कूल पर होने से लगती थी। इसके लिए सभी शिक्षकों के पास एंड्रायड फोन होना भी जरूरी थे, जो उन्हे दिलवाए भी गए। उसके बाद भी आज तक व्यवस्था सुचारू नहीं हो सकी। अब भी शिक्षक व उनके नेता आए दिन इसके विरोध में धरना प्रदर्शन कर व्यवस्था को बंद करने की मांग कर रहे है। गत वर्ष व्यवस्था लागू होने के बाद विरोध के चलते कुछ समय के लिए इसे बंद करना पड़ा था।
नगर निगम में भी हुआ था विरोध, व्यवस्था बंद
नगर निगम में भी सफाई कर्मचारियों के साथ यहां के अन्य कर्मचारियों के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था लागू की गई थी, जिसका कर्मचारियों ने खूब विरोध किया था। मशीन के माध्यम से हाजिरी न लगाना पड़े उसके लिए कर्मचारियों ने प्रदर्शन के दौरान कई तर्क भी दिए थे। विरोध बढऩे की स्थिति में मजबूरन निगम को सफाई कर्मियों की मांग मानना पड़ी थी।
गिरदावरी एप का विरोध
राजस्व से जुड़े मामलों में जमीनों की नपती सहित अन्य प्रकरणों के मामलों में लगातार मिलती शिकायतों को ध्यान में रखते हुए शासन ने पटवारी, आरआई सहित इस काम से जुड़े अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए गिरदावरी एप डाउनलोड कर उस पर आवेदक की शिकायत के संबंध में जानकारी डालने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन इस एप को डाउनलोड कर इस पर काम करने से अब ये लोग भी मना कर रहे है। फिलहाल प्रशासन इसे लागू नहीं करवा पाया है, पटवारियों को स्मार्ट फोन के पैसे भी दिए गए हैं।
पुलिस में भी शुरू हो रही व्यवस्था
फील्ड में रहकर ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों पर नजर रखने के लिए पुलिस भी अब नई तकनीक का सहारा लेने जा रही है। पुलिस अब डिजीटल रेडियो मोबाइल सिस्टम के माध्यम से फील्ड में रहने वाले हर कर्मचारी पर आसानी से नजर रख सकती है। इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे उद्देश्य यह है कि कई बार घटना होने के बाद भी सूचना के काफी देर बाद तक पुलिस मौके पर नहीं पहुंचती है, जिसके चलते लोगों में आक्रोश पनपता है और पुलिस की छवि भी धूमिल होती है। पुलिस के समय पर नहीं पहुंचने का कारण फील्ड ड्यूटी पर रहने वाले कर्मचारियों को इधर-उधर होना रहता है। एेसे में उन पर नजर रखने के लिए नई व्यवस्था लागू की जा रही है।
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