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रिपोर्ट में खुलासा: सांप के विष से ज्यादा दहशत और झाडफ़ूंक से हो रही मौत

locationरतलामPublished: Aug 10, 2018 05:39:10 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

लोग झांडफ़ूंक में बर्बाद कर देते हैं समय

patrika

रिपोर्ट में खुलासा: सांप के विष से ज्यादा दहशत और झाडफ़ूंक से हो रही मौत

रतलाम । बारिश के दौरान पूरे जिले में सर्प दंश की घटनाएं बढ़ गई हैं, इसमें बड़ी संख्या में मौतें भी हो रही हैं। लेकिन ये मौतें विष के असर से ज्यादा दहशत और झाडफ़ंूक में समय बर्बाद करने के चलते हो रही हैं। इसका खुलासा मृतकों की मेडिकल रिपोर्ट से हुआ है। इसमें बताया गया है कि कई लोग विष का असर होने के पहले ही दहशत के चलते दम तोड़ देते हैं।
जिला अस्पताल के चिकित्सक मुकेश डाबर की मानंे तो सभी सांप खतरनाक नहीं होते हैं, कुछ सांपों के काटने से सिर्फ जख्म होता है, मौत दहशत के कारण हो जाती है। देश में जहरीले सांपों की 13 प्रजातियां हैं, जिनमें से चार बेहद जहरीले होते हैं- कोबरा (नाग), रस्सेल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और करैत। देश में सबसे ज्यादा मौतें नाग या गेहुंवन व करैत के काटने से होती हैं। देश में ९० प्रतिशत सांप जहरीले नहीं होते हैं।
ये है गांवों में प्रचलन
गांव में प्राचीन प्रथा है कि सर्प दंश से पीडि़त को तेजाजी या बाबजी के यहां झाडफ़ूंक करने ले जाते है। वहां पर पीडि़त के साथ घंटो बर्बाद कर देते है। जिससे जहर शरीर में पूरी तरह फैल जाता है और फिर उसे बचाना मुश्किल हो जाता है। पीडि़त को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना चाहिए। दो घंटे के भीतर अस्पताल लाने पर जान बचने के शत प्रतिशत संभावना हो जाती है। वहीं उसे सांत्वना देनी चाहिए। घबराने नहीं देने दिया जाना चाहिए।
देश में सबसे ज्यादा मौतें
दुनियाभर में सांप कटने से होने वाली मौतों की संख्या में देश में सबसे अधिक है। रतलाम जिले के अस्पताल के आंकड़े देखें तो सालभर में ८० से १०० मौत सर्पदंश के कारण होती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर साल 83,000 लोग सांप के दंश का शिकार होते हैं और उनमें से 11,000 की मौत हो जाती है। मौत का सबसे बड़ा कारण है तुरंत प्राथमिक उपचार का न होना और जागरुकता को अभाव है।
सांप काटने पर यह उठाएं कदम
– पीडि़त को घबराने की बजाय शांत रहना चाहिये, क्योंकि घबराने से आपकी हृदय गति बढ़ जाती है। इससे शरीर में रक्त प्रवाह में तेजी आती है और जहर तेजी से शरीर में फैल जाता है।
– घाव को साफ करना चाहिये, लेकिन इसे पानी की धार से नहीं धोना चाहिये। घाव को सूखे कॉटन से कवर करना चाहिये।
– पीडि़त को घाव की वजह से सूजन आने से पहले ज्वैलरी और टाइट कपड़े उतार देना चाहिये।

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