सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को डेढ़ माह बाद भी 12वीं की पुस्तकों का इंतजार
रतलामPublished: Aug 10, 2019 05:28:38 pm
शासन की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा
सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को डेढ़ माह बाद भी 12वीं की पुस्तकों का इंतजार
रतलाम। सरकारी स्कूलों में शासन योजनाएं तो लागू कर देता है किंतु इन पर समय पर अमल नहीं होने से विद्यार्थियों को इनका लाभ नहीं मिल पाता है। कुछ ऐसा ही १२वीं में पढऩे वाले विद्यार्थियों के साथ हो रहा है। शिक्षा सत्र शुरू हुए डेढ़ माह हो चुका है किंतु अब तक १२वीं कक्षा के विद्यार्थियों को शासन की तरफ से दी जाने वाली पुस्तकों के पते नहीं है। बच्चे बिना पुस्तकों के पढ़ रहे हैं।
नौवीं कक्षा में इस साल से सीबीएसई का कोर्स लागू होने की जानकारी तो दे दी गई थी किंतु १२वीं में पूर्व के वर्षों में बच्चों को पुस्तकें स्थानीयस्तर पर ही स्कूलों द्वारा खरीदकर उपलब्ध कराई जाने के निर्देश रहे हैं। इस बार इस तरह के कोई निर्देश नहीं दिए गए कि पुस्तकें सरकार देगी या स्कूलों को खरीदना है। ऐसे में जिन स्कूलों के प्राचार्यों ने भी पुस्तकें खरीद ली है उसकी जवाबदारी शासन की नहीं है। अब दिक्कत यह है कि जिन स्कूलों ने पुस्तकें खरीदकर बच्चों की पढ़ाई शुरू करवा दी है उन पुस्तकों की राशि प्राचार्यों के सिर पर पड़ रही है।
शासन की नीति से हो रहा नुकसान
शा सन की नीति की वजह से 12वीं बोर्ड परीक्षा में पढऩे वाले विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है। इस सत्र का डेढ़ माह हो चुका है और अब तक शासन की तरफ से इन बच्चों को पुस्तकें ही उपलब्ध नहीं हो पाई है। निजी स्कूलों की बात करें तो वहां सत्र शुरू होने से पहले ही बच्चों के बैग में उस कक्षा की पुस्तकें उपलब्ध हो जाती है। कुछ प्राचार्यों का कहना है कि इतना समय बिना पुस्तकों के बच्चों का निकल गया है और फिर ऊपर से बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे परिणाम देने के लिए भी दबाव बनाया जाता है। ऐसे में कैसे बेहतर परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं जब बच्चों के पास समय पर पुस्तकें ही नहीं पहुंच पा रही है। कुछ ऐसी ही स्थिति ११वीं में भी है।