हल्का नंबरों की उलझन में फंस गई फसल बीमा योजना की राशि
रतलामPublished: Oct 11, 2019 05:21:07 pm
सीएम हेल्पलाइन पर वर्ष 2017 की ११६ में से मात्र 18-20 शिकायतों का खात्मा
हल्का नंबरों की उलझन में फंस गई फसल बीमा योजना की राशि
रतलाम। अतिवृष्टि के बाद जिलेभर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ दिलाने की मांग लगातार उठ रही है तो फसल नुकसान के आंकलन को लेकर भी किसान लामबंद हो रहे है। इस बीच सामने आया है कि वर्ष 2017 से प्रस्तावित 90 से ज्यादा प्रकरण अब तक निराकृत नहीं हो पाए है, क्योंकि हल्का नंबर की उलझन ने प्रकरण ही रोक दिए है। कृषि विभाग ने कलेक्टर को पत्र लिखकर मामले की जानकारी से अवगत कराया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में वर्ष 2017 में किसानों द्वारा कराए गए फसल बीमा के बाद उन्हें लाभ नहीं मिलने की ११६ शिकायतों में से कृषि विभाग मात्र 18-20 शिकायतों का ही खात्मा कर पाया है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि अधिकांश मामलों में किसान की जमीन कहीं और तथा बैंक द्वारा हल्का कहीं और दर्शा रखा है, इससे कई किसान मुआवजा राशि से वंचित हो गए है। गत माह कलेक्टर रूचिका चौहान ने बैठक में उपसंचालक जीएस मोहनिया को कहा था कि बैंक अधिकारी सही जबाव नहीं देते या फिर गलती में है उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया जाए। वैसे दो-तीन किसानों द्वारा बैंक और बीमा कम्पनी पर क्लेम को लेकर लाखों रुपए का दावा किया है।
इ-उपार्जन पोर्टल पर अब तक मात्र ७० पंजीयन
खरीफ सीजन 2019 के तहत इ-उपार्जन पोर्टल पर 3 अक्टूबर से मक्का, सोयाबीन, मूंग, उड़द, अरहर, कपास के पंजीयन शुरू किया गया। जिले के अब तक ७० किसानों ने पंजीयन करवाए है। पंजीयन 23 अक्टूबर तक होंगे। उपसंचालक कृषि ने बताया कि इस बार दर्शकों को सशक्त करने संस्थाओं डाटा एंट्री ऑपरेटर पर निर्भरता तथा पंजीयन केंद्रों के दबाव को कम करने के लिए भू.स्वामित्वों को एमपी किसान ऐप, ई उपार्जन मोबाइल ऐप, पब्लिक डोमेन ई उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। फसलों की खरीफ सीजन 2019 में औसत मंडी दरें यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आएंगी तो राज्य शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जन नियर भावंतर या प्रशन राशि के संबंध में विधिवत से निर्णय लिया जाकर निर्देश जारी किए जाएंगे। किसानों से आग्रह है कि वह उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य रूप से करवाएं।
बैंक अधिकारियों से कर रहे संपर्क
उपसंचालक जीएस मोहनिया ने बताया कि कई बैंकों अधिकारियों के जवाब से संतुष्ट नहीं होने से परेशानी आ रही है। जिलाधीश को भी अवगत करा दिया गया है। अब किसानों और बैंकों अधिकारियों दोनों से लगातार सम्पर्क कर वस्तु स्थिति जानी जा रही है कि आखिर गलती किसकी है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। अब 18-20 शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है, जिसमें दो-तीन शिकायतें किसानों को मुआवजे की राशि कम मिलने की थी, इसके अलावा दो-तीन किसानों ने स्वयं ही शिकायत बंद करा दी है और कई किसान पात्रता में नहीं आ रहे थे, उनकी शिकायतें भी बंद कर दी गई है।