शिक्षकों ने किताब खोलकर दी परीक्षा, अंक बताने में घबरा रहा शिक्षा विभाग
रतलामPublished: Oct 15, 2019 05:06:56 pm
प्रशिक्षण के बाद भी नहीं सुधरे हालात, जून में 30 ने दी थी परीक्षा, अब 14 शिक्षक रहे उपस्थित
शिक्षकों ने किताब खोलकर दी परीक्षा, अंक बताने में घबरा रहा शिक्षा विभाग
रतलाम। बोर्ड परीक्षा में इस बार कमजोर परिणाम के लिए सरकार ने शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार ने उनकी योग्यता को और बढ़ाने के लिए 30 फीसदी से कम परिणाम देने वाले विद्यालयों और उनके लिंक माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों की दक्षता का पता लगाने के लिए एक बार फिर से परीक्षा आयोजित की। इसमें शिक्षकों ने किताबंे खोलकर उसमें से देखकर परीक्षा दी लेकिन उसके बाद भी विभाग है कि पास हुए शिक्षकों के अंक बताने में भी घबरा रहा है। ये शिक्षक इससे पूर्व हुई परीक्षा में फेल हो गए थे। सोमवार को उनकी दूसरी बार परीक्षा हुई। यदि इस परीक्षा में भी शिक्षक फेल हो गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
विभाग द्वारा १४ अक्टूबर को शहर में स्थित शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय में परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें १४ शिक्षक परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से १३ माध्यमिक विद्यालय के थे जबकि एक शिक्षक हाई स्कूल का था। इनमें से माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों का परीक्षा परिणाम शाम को जारी कर दिया गया लेकिन हाई स्कूल के शिक्षक का परिणाम संभवत: मंगलवार को जारी किया जाएगा। शिक्षकों की जिन विषयों की परीक्षा आयोजित की गई थी उसमें संस्कृत को छोड़ शेष सभी विषयों को शामिल किया गया था। परिणाम में १३ शिक्षक पास जरूर हुए हैं लेकिन अंक अधिक नहीं आए जिसके चलते विभागीय अधिकारी परीक्षा परिणाम बताने से कतरा रहे हैं।
हाईस्कूल परीक्षा में ३०त्न से कम परीक्षा परिणाम देने वाले स्कूलों की संख्या सात सामने आई थी। तीन रतलाम विकासखंड के हैं, तीन बाजना और १ सैलाना विकासखंड का स्कूल है। इन स्कूलों में सागोद हाईस्कूल २०, पलसोड़ी २५, कनेरी १८, अमरगढ़ सैलाना १७, तंबोलिया बाजना २५, गढ़ावदिया बाजना २५ और देवला बाजना २४ फीसदी परिणाम वाले स्कूल रहे हैं। शिक्षा विभाग के जिन तीन स्कूलों का परिणाम ३० फीसदी से कम रहा उनके शिक्षकों की परीक्षा हुई है।
इज्जत बचाने के लिए दी अनुमति
पूर्व में यह परीक्षा जून माह में आयोजित की गई थी। उस समय ३० शिक्षकों ने परीक्षा दी थी, जिसमें से १४ शिक्षक किताब में से देखकर भी परीक्षा देकर पास नहीं हो सके। इसके चलते परिणाम घोषित होने के बाद से उक्त शिक्षकों की पिपलौदा डाइट में विशेष कक्षाएं आयोति की गई थी, उसके बाद अब जाकर परीक्षा ली गई। इज्जत बचाने के लिए इस बार भी किताबंे देकर सभी परीक्षा देने के लिए बैठाया गया था। दरअसल शासन के स्पष्ट निर्देश थे कि फेल होने वाले शिक्षकों पर कठोर कार्रवाई होगी।