रतलाम के बांगरोद की श्री राम गोशाला में आया फ्रांस का दल
समाजसेवी महिला एडिना गोशाला के पर्यावरण शुद्धि के अनूठे प्रयास से हुई प्रभावित

रतलाम। समीपस्थ ग्राम बांगरोद की श्रीराम गोशाला में न सिर्फ गोसेवा होती है बल्कि मृत पशुओं की समाधि भी बनाई जाती है, इन मृत मवेशियों को इधर-उधर खुले में न रखने का संदेश देकर पर्यावरण को दूषित होने से बचाया भी जाता है। इसके अलावा मृत मवेशी से जैविक खाद का निर्माण कर खेती को रासायनिक खाद से बचाकर मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बनाया जा रहा है। गोसेवा की एक अनूठी मिशाल बनी है बांगरोद गौशाला। आज इस श्रीराम गौशाला से न सिर्फ गांव के बल्कि आसपास के 6 गांवों के 50 से ज्यादा किसान जुड़े है। इसी कारण देश सहित विदेशों में भी श्रीराम गौशाला अपनी पहचान बना चुकी है।
रतलाम के बांगरोद की श्रीराम गौशाला के चर्चे अब फ्रंस तक सुने जा रहे है, सचिव गौशाला प्रमोद शर्मा ने बताया कि कुछ दिनों पहले फ्रंस से समाजसेवी महिला एडिना भी रतलाम के बांगरोद की गौशाला में आई थी और यहां की इस मृत मवेशी से जैविक खाद के प्रोजेक्ट को सराहा। वही गौशाला के पर्यावरण शुद्धि के इस अनूठे प्रयास से प्रभावित हुई और ग्रामीणों के पर्यास की सराहना की। वही जल्द ही फ्रांस से आई योग समाजसेवी व योग प्रशिक्षक महिला एडिना ने इस गौशाला के सुंदर माहौल को देख यहां मेडीटेशन के लिए एक संस्था खोले जाने की बात कही है।
300 से अधिक मृत मवेशी की खाद बनाई
शर्मा ने बताया कि सबसे पहले 2013 तक 300 से अधिक मृत मवेशी की खाद बनाई। इसके बाद प्रयोग में 5 साल में 655 मवेशियों की समाधि बनाकर खाद में बदला जा चुका है। अब करीब 15 बोरी खाद का 6 माह में जैविक खाद बनाई जा रही है, इस नई सोच के साथ खेती में ज्यादा उत्पादन और लाभ की उम्मीद जगी है।
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