रतलाम में राजनीतिक का नया फंडा
शहर में जलसंकट लगातार गहराता जा रहा है। बुधवार को दोपहर पूर्व नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष यास्मीन शैरानी और वार्ड एक से पार्षद भावना हितेश पैमाल के नेतृत्व में शिवनगर एवं दरगाह क्षेत्र के रहवासी सड़क पर उतर आए। इन इलाकों मेंं बीते चार दिनों से टैंकर नहीं पहुंच पा रहे। रहवासियों के साथ कांग्रेस पार्षदों ने भी सिर पर खाली मटके रखकर निगम तक रैली निकाली और परिसर का घेराव कर जमकर नारेबाजी भी की। कांग्रेस पार्षद निगमायुक्त एसके सिंह से जवाब मांग रहे थे। पहले तो जल प्रदाय के अमले ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन पार्षद आयुक्त को बुलाने की मांग पर अड़ गए। कुछ देर बाद पहुंचे आयुक्त के आते ही रहवासी और पार्षद बरस पड़े। शहर के कई इलाकों में 3 से 4 दिन तक पेयजल वितरण बाधित होने व टैंकर से परिवहन का मसला उठा। आयुक्त ने सफाई में संसाधनों की खराबी की जानकारी दी तो पार्षदों ने कहा कि दान की मोटर भी ढंग से नहीं चला पा रहे है तो फिर इसे लेकर निगम को बदनाम क्यों किया।
कमीशन के कारण जल रहे मोटर पंप
कांग्रेस पार्षदों ने आरोप लगाया कि शहर में 13 लाख की कीमत वाली मोटर दान मेंं ले ली गई, लेकिन इसे 13 दिन भी नहीं चलाया जा सका। पहले भी मोटर पंप अचानक जल गए। यह सबकुछ कमीशन के खेल के कारण हो रहा है। टैंकर परिवहन का ठेका 80 लाख रुपए से ज्यादा में दिया गया है, लेकिन बजट के कारण भुगतान नहीं हो रहा। पार्षदों और रहवासियों के आरोपों पर आयुक्त संतोषजनक जवाब नहीं दे पाएं तो नाराज लोगों ने उनके पैरों के पास ही मटके फोड़ दिए और 5 दिन में सुधार की चेतावनी दे दी।
कहीं ४ तो कहीं ५ दिन बाद पेयजल का वितरण
शहर की पोलोग्राउंड टंकी, कस्तुरबा नगर टंकी, गांधीनगर टंकी और गंगासागर टंकी पर सबसे ज्यादा प्रभाव हो रहा है। इन टंकी से जुड़े 150 से ज्यादा इलाकों में कहीं 4 तो कहीं 5 दिन के अंतराल से पेयजल बांटा जा रहा है। जवाहरनगर, सैलाना रोड पटरी पार, गांधीनगर, शिवनगर सहित अन्य इलाकों के रहवासी पेयजल के लिए परेशान हो रहे है।
रात 1 बजे तक जागरण, सुबह भी सप्लाई नहीं
शहर के पैलेस रोड, राजस्व कॉलोनी, राममंदिर क्षेत्र सहित लक्ष्मणपुरा और जवाहरनगर में रहवासी मंगलवार की रात 1 बजे तक पेयजल का इंतजार करते रहे। नगर निगम ने मुनादी कराकर पेयजल वितरण का दावा किया था, लेकिन पानी नहीं दिया गया। परेशान रहवासी बुधवार को सुबह से ही निजी पेयजल संसाधनों के जरिए पानी जुटाने में लगे।
शहर में जलसंकट लगातार गहराता जा रहा है। बुधवार को दोपहर पूर्व नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष यास्मीन शैरानी और वार्ड एक से पार्षद भावना हितेश पैमाल के नेतृत्व में शिवनगर एवं दरगाह क्षेत्र के रहवासी सड़क पर उतर आए। इन इलाकों मेंं बीते चार दिनों से टैंकर नहीं पहुंच पा रहे। रहवासियों के साथ कांग्रेस पार्षदों ने भी सिर पर खाली मटके रखकर निगम तक रैली निकाली और परिसर का घेराव कर जमकर नारेबाजी भी की। कांग्रेस पार्षद निगमायुक्त एसके सिंह से जवाब मांग रहे थे। पहले तो जल प्रदाय के अमले ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन पार्षद आयुक्त को बुलाने की मांग पर अड़ गए। कुछ देर बाद पहुंचे आयुक्त के आते ही रहवासी और पार्षद बरस पड़े। शहर के कई इलाकों में 3 से 4 दिन तक पेयजल वितरण बाधित होने व टैंकर से परिवहन का मसला उठा। आयुक्त ने सफाई में संसाधनों की खराबी की जानकारी दी तो पार्षदों ने कहा कि दान की मोटर भी ढंग से नहीं चला पा रहे है तो फिर इसे लेकर निगम को बदनाम क्यों किया।
कमीशन के कारण जल रहे मोटर पंप
कांग्रेस पार्षदों ने आरोप लगाया कि शहर में 13 लाख की कीमत वाली मोटर दान मेंं ले ली गई, लेकिन इसे 13 दिन भी नहीं चलाया जा सका। पहले भी मोटर पंप अचानक जल गए। यह सबकुछ कमीशन के खेल के कारण हो रहा है। टैंकर परिवहन का ठेका 80 लाख रुपए से ज्यादा में दिया गया है, लेकिन बजट के कारण भुगतान नहीं हो रहा। पार्षदों और रहवासियों के आरोपों पर आयुक्त संतोषजनक जवाब नहीं दे पाएं तो नाराज लोगों ने उनके पैरों के पास ही मटके फोड़ दिए और 5 दिन में सुधार की चेतावनी दे दी।
कहीं ४ तो कहीं ५ दिन बाद पेयजल का वितरण
शहर की पोलोग्राउंड टंकी, कस्तुरबा नगर टंकी, गांधीनगर टंकी और गंगासागर टंकी पर सबसे ज्यादा प्रभाव हो रहा है। इन टंकी से जुड़े 150 से ज्यादा इलाकों में कहीं 4 तो कहीं 5 दिन के अंतराल से पेयजल बांटा जा रहा है। जवाहरनगर, सैलाना रोड पटरी पार, गांधीनगर, शिवनगर सहित अन्य इलाकों के रहवासी पेयजल के लिए परेशान हो रहे है।
रात 1 बजे तक जागरण, सुबह भी सप्लाई नहीं
शहर के पैलेस रोड, राजस्व कॉलोनी, राममंदिर क्षेत्र सहित लक्ष्मणपुरा और जवाहरनगर में रहवासी मंगलवार की रात 1 बजे तक पेयजल का इंतजार करते रहे। नगर निगम ने मुनादी कराकर पेयजल वितरण का दावा किया था, लेकिन पानी नहीं दिया गया। परेशान रहवासी बुधवार को सुबह से ही निजी पेयजल संसाधनों के जरिए पानी जुटाने में लगे।