जिस तीन करोड़ रुपए के लेन-देन के मामले में रतलाम पुलिस के उदयपुर जाने की चर्चा है, उसकी शिकायत तीन माह पूर्व रतलाम के सराफा व्यापारी ने माणक चौक थाने पर की थी, जिस मामले में पुलिस ने अब तक कार्रवाई को जांच के आगे नहीं बढ़ाया था। बताया जाता है कि जिस समय ये शिकायत हुई थी, उस समय एसआई वीरेंद्र सिंह बंदवार भी उसी थाने पर थे और इस मामले की जांच का जिम्मा उन्हीं को सौंपा गया था। जिसके चलते बंदवार पूर्व से इस मामले से जुड़े थे और जब वह सायबर के प्रभारी बनाए गए तो उनके लिए यह काम करना और भी आसान हो गया था।
दो बार पहले भी गए उदयपुर बाजार में चर्चा है, उसके मुताबिक तीन करोड़ रुपए के लेन-देन के मामले में दीपक अग्रवाल ने पूरी सायबर सेल को अच्छी खासी रकम देने का वादा करके खरीद लिया था। उसके रुपए दिलवाने के बदले उसने मोटी रकम देने की बात कही थी। यहीं कारण है कि रुपयों के लालच में आकर पूरी टीम उसके साथ हो गई और सभी लोग उसके तीन करोड़ रुपए दिलवाने में उसकी मदद करने में लग गए थे। दो बार पहले भी एसपी कार्यालय के इन खिलाडि़यों में से कुछ लोग एसपी को झूठ बोलकर दीपक के साथ उदयपुर जा चुके है।
आज तक दर्ज नहीं की एफआईआर
माणक चौक थाने पर तीन माह पूर्व जनवरी में की गई सराफा व्यापारी की शिकायत के बाद पुलिस आज तक उस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई है और बाहर के बाहर ही मामले को सेट कर अपने स्तर पर इसके निराकरण में जुट गई थी। पूरी टीम की चोरी पकड़ाए जाने के बाद अब एसपी के सामने हर कोई अपनी बेगुनाही की बात कह रहा है लेकिन कोई भी ये कहने को तैयार नहीं है कि दीपक उनके साथ गया था तो इसकी सूचना उनमें से किसी ने भी एसपी को आखिर क्यो नहीं दी थी।
माणक चौक थाने पर तीन माह पूर्व जनवरी में की गई सराफा व्यापारी की शिकायत के बाद पुलिस आज तक उस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई है और बाहर के बाहर ही मामले को सेट कर अपने स्तर पर इसके निराकरण में जुट गई थी। पूरी टीम की चोरी पकड़ाए जाने के बाद अब एसपी के सामने हर कोई अपनी बेगुनाही की बात कह रहा है लेकिन कोई भी ये कहने को तैयार नहीं है कि दीपक उनके साथ गया था तो इसकी सूचना उनमें से किसी ने भी एसपी को आखिर क्यो नहीं दी थी।