एक दर्जन से ज्यादा हाईस्कूल
प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति शिक्षकों के मामले में कुछ हद तक ठीक है किंतु शासन का जिस कक्षा के परिणाम सुधारने पर सबसे ज्यादा जोर है उसी कक्षा के स्कूलों में शिक्षकों का टोटा पड़ा हुआ है। हम हाईस्कूल की बात करे तो एक दर्जन से ज्यादा हाईस्कूलों में एक-एक शिक्षक भी पदस्थ नहीं रह गया है जबकि आधा दर्जन हाईस्कूल में एक-एक शिक्षक या शिक्षिका ही पदस्थ हैं। आंकड़े बताते हैं कि जिले में हाईस्कूलों की बजाय हायर सेकंडरी स्कूलों में स्थिति थोड़ी ठीक है। केवल दो ही हायर सेकंडरी में कोई शिक्षक, प्राचार्य पदस्थ नहीं है जबकि तीन में केवल एक-एक ही पदस्थ हैं।
प्राथमिक में सबसे बेहतर स्थिति
जिले में सबसे ज्यादा प्राथमिक विद्यालयों की संख्या है। इनमें इस समय शिक्षकीय स्टाफ की कमी की बात बहुत ज्यादा नहीं होकर काफी बेहतर स्थिति कही जा सकती है। जिले में 1650 से ज्यादा प्राथमिक विद्यालय हैं जिनमें से मात्र एक में कोई शिक्षक नहीं है। यह बिरली संस्था ताल के पास की खेजडिय़ा गुजरान हैं जबकि मात्र 17 में एक-एक शिक्षक ही मौजूद हैं। हालांकि प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में छात्र संख्या के मान से शिक्षकों की संख्या तय की जाती है इसलिए वर्तमान में जो पदस्थ हैं वे छात्र संख्या के मान से होने से न तो कमी मानी जा रही है और न ही वहां पदस्थी से ज्यादा उनकी संख्या।
ये स्थिति है जिले के स्कूलों की
हायर सेकंडरी
शिक्षिक विहिन स्कूल – 02
एक शिक्षकीय – 03
हाईस्कूल
शिक्षिक विहिन स्कूल – 14
एक शिक्षकीय – 06
प्राथमिक विद्यालय
शिक्षक विहिन शाला – 01
एक शिक्षकीय शाला – 17
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विकासखंडवार मावि की स्थिति
आलोट विकासखंड
शिक्षिक विहिन स्कूल – 04
एक शिक्षकीय – 20
जावरा विकासखंड
शिक्षिक विहिन स्कूल – 08
एक शिक्षकीय – 24
पिपलौदा विकासखंड
शिक्षिक विहिन स्कूल – 00
एक शिक्षकीय – 17
आलोट विकासखंड
शिक्षिक विहिन स्कूल – 24
एक शिक्षकीय – 26
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तबादलों के बाद कमी हुई
हाल ही में तबादलों के बाद कई शिक्षक ग्रामीण अंचल से दूसरी जगह स्थानांतरित हो गए हैं। इससे जिले में कई शालाओं में एक-एक शिक्षक भी नहीं रह गया है। इसके साथ ही कई में एक-एक ही रह गए हैं। अतिथि शिक्षकों के लिए प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इन्हें हम कमी वाली शालाओं में भेजकर पढ़ाई की व्यवस्था सुचारू करने का प्रयास करेंगे।
केसी शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, रतलाम