निजी स्कूलों को अपने यहां की प्रवेशित कक्षा यानि जिस कक्षा से उस स्कूल में बच्चों को प्रवेश देने की शुरुआत होती है उसमें आरटीई के अंतर्गत २५ फीसदी सीटोंं पर गरीब और निर्धन वर्ग के बच्चों को सरकार प्रवेश दिलाती है और इन बच्चों की फीस की भरपाई भी सरकार ही करती है। भरपाई की राशि में हर साल बढ़ोतरी की जा रही है। इस बार इस सत्र के लिए कितनी राशि तय होगी अभी राज्य शिक्षा केंद्र ने निर्धारण नहीं किया न ही खुलासा किया है।
अच्छा नहीं है पिछले सालों का अनुभव
जिले में पिछले सालों का अनुभव अच्छा नहीं कहा जा सकता है। स्कूलों ने सीटें आरक्षित कर दी और सरकार ने इस हिसाब से आवेदन भी करवा लिए किंतु जितनी सीटें रिक्त मानी गई थी उसके हिसाब से बच्चों की लॉटरी भी नहीं निकली और न ही ये सारी सीटें पूरी भरी जा सकी है। कई बार अभिभावक अपने बच्चों को जिस स्कूल में दाखिला दिलाना चाहते हैं उस स्कूल की लॉटरी नहीं खुलती है तो वे भर्ती नहीं करवाकर निजी स्कूल चले जाते।
स्कूलों ने सीटें भरी लेकिन लॉक नहीं की
जिले में करीब पौने छह सौ स्कूलों में से साढ़े पांच सौ स्कूल अपने-अपने यहां की सीटें बता चुके हैं और वे ऑनलाइन दर्ज भी कर चुके हैं लेकिन अभी तक लॉक नहीं की है। जब तक ये सीटें स्कूल की तरफ से लॉक नहीं की जाएगी बीआरसीसी भी इन्हें लॉक करके आगे नहीं बढ़ा सकते हैं। अब तक महज 163 स्कूल ही अपनी तरफ से सीटें लॉक कर सके हैं। शेष स्कूलों केवल सीटें भरकर जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली है।
स्कूलों को दूरभाष पर सूचना दे रहे
रतलाम शहर के ज्यादातर स्कूलों ने अपने स्कूलों की सीटें लॉक कर दी है। जो बच गए हैं उन्हें दूरभाष पर सूचना देकर जल्द से जल्द सीटें लॉक करने को कहा जा रहा है। वीडियो कांफे्रसिंग के जरिये भी जल्द से जल्द सीटें लॉक करवाने को कहा गया है। अंतिम तारीख निकल चुकी है और अब तक जिन स्कूलों ने सीटें लॉक नहीं की है उन्हें सीटें लॉक करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
एमएल डामर, बीईओ और बीआररसीसी, रतलाम