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कायाकल्प की पोल – तीन घंटे तक इलाज के लिए मरीज को भटकाते रहे

locationरतलामPublished: Dec 09, 2018 11:25:55 am

Submitted by:

harinath dwivedi

कायाकल्प की पोल – तीन घंटे तक इलाज के लिए मरीज को भटकाते रहे

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कायाकल्प की पोल – तीन घंटे तक इलाज के लिए मरीज को भटकाते रहे

रतलाम। कायाकल्प योजना में अपने नंबर बढ़ाने के लिए हर मरीज को बेहतर इलाज करने और सभी तरह की सुविधाएं देने की तैयारी करने वाले जिला अस्पताल में शनिवार को नामली से लाए गए एक मरीज के परिजन अपने मरीज को स्ट्रेचर पर लेकर कभी मेल मेडिकल तो कभी सर्जिकल वार्ड मे भटकते रहे। यहां की नर्सों ने उन्हें भर्ती करने से ही इनकार कर दिया। आखिर में दो से तीन घंटे तक इधर से उधर भटकने के बाद चार नंबर कक्ष में बैठे सर्जिकल चिकित्सकों ने उसे दोबारा मेल मेडिकल वार्ड में भर्ती कराया। तब जाकर उसका इलाज शुरू हो पाया। इन पूरे तीन घंटों के दौरान मरीज को पाइल्स से लगातार ब्लड निकलता रहा किंतु किसी ने उनका इलाज शुरू करने के बारे मे नहीं सोचा। यही नहीं मरीज को इधर से उधर और उधर से इधर लाने-ले जाने का काम भी परिजन ही करते रहे।
यह है मामला
नामली निवासी गोपाल धारवा उम्र ७० साल पिछले तीन-चार दिनों से पाइल्स की बीमारी से ज्यादा पीडि़त थे। शनिवार की सुबह उन्हें ज्यादा खून बहने लगा तो सुबह लगभग छह बजे परिजन उन्हें लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। धारवा के भाई के लड़के द्वारका ने बताया ड्यूटी डॉक्टर ने उन्हें मेल मेडिकल वार्ड में भर्ती कर दिया। यहां इन्हें सलाइन चढऩे लगी। इसी बीच वार्ड में डॉक्टर चौहान राउंड पर आए और उन्होंने मरीज को सर्जिकल वार्ड में ले जाने का कह दिया। हम खुद ही स्ट्रेचर पर इन्हें लेकर सर्जिकल वार्ड पहुंचे। यहां की नर्सों ने कहा कि पहले आठ नंबर में दिखाओ और डॉक्टर लिखेंगे तभी भर्ती होंगे। उन्हें बताया गया कि मेल मेडिकल वार्ड में भर्ती थे और डॉक्टर ने यहां भेजा है तो भी नर्सें अड़ी रही और उन्हें वापस भेज दिया। कहा डॉक्टर नहीं दिखाना है तो फिर से मेल मेडिकल में ले जाओ। परिजन मेल मेडिकल मे लेकर पहुंचे तो यहां भी नर्सों ने उन्हें वापस भर्ती करने से मना कर दिया। परिजन इन्हें लेकर कक्ष क्रमांक चार के बाहर डॉक्टर के आने का इंतजार करते रहे। साढ़े नौ बजे डॉक्टरों ने चेकअप किया और फिर से मेल मेडिकल वार्ड में भर्ती करने भेज दिया। तब जाकर करीब दस बजे फिर से मेल मेडिकल वार्ड में भर्ती करके इलाज शुरू हो पाया। पूरे समय वृद्ध मरीज को ब्लडिंग होती रही किंतु किसी को दया नहीं आई कि भर्ती करके इलाज शुरू कर दें। द्वारका ने बताया ऐसे में और ज्यादा ब्लड निकलने से मरीज की मृत्यु हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
जानकारी लेकर देंगे निर्देश
अभी भोपाल की बैठक में होने से जिला अस्पताल के इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी नहीं है। रतलाम आकर सोमवार को सारी जानकारी जुटाकर संबंधितों से पूछा जाएगा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। यदि किसी डॉक्टर ने किसी मरीज को दूसरे वार्ड में भेजा तो पर्चे पर लिखना चाहिए था। वैसे इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में ही रखना चाहिए जिससे ड्यूटी डॉक्टर उसे तुरंत देख इलाज कर सके।
डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
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