अनादिकल्पेश्वर अनादिकाल से जुड़ी आस्था जावरा. आलोट में स्थित अनादिकल्पेश्वर महादेव का मंदिर अनादिकाल से बना हुआ है। यह मंदिर आलोट से दो किलोमीटर दूर ग्राम धरोला महादेव का रमणिक स्थल है। यह मंदिर नौवी व 10वीं शताब्दी बताया जाता है।
पं अनिल रावल ने बताया कि पूर्वजों से मिली जानकारी के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व के इतिहास में पांडवों के वंशज राजा नल व दमयंती पर वनवास काल में इस तीर्थ पर रहे है। इस तीर्थ की इतनी महिमा है कि आप भले ही देश के सारे तीर्थ कर लो लेकिन यहां के दर्शन व स्नान नहीं किया तो सभी तीर्थ निश्फल माने जाते हैं।उनकी मन्नत पूरी होने पर उन्होंने इसका जीर्णोद्धार कराया था। राणों के अनुसार भगवान राम सीता को खोजते हुए यहां से गुजरे थे। तब भी उन्होंने भी अनादिकल्पेश्वर की पूजा अर्चना कर मन्नत मांगी थी। लक्ष्मण के मूर्छित होने पर जब हनुमान जी संजीवनी लेकर जा रहे थे। उनके पद चिह्नों के निशान आज भी व्याप्त हैं। इसी दौरान यहां पर स्थित कनक पर्वत के बीच भरत व हनुमान के बीच वार्तालाप हुआ था।