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वाल्मीकि और रत्नाकर जैसे डाकू, संत के सत्संग से जीवन को सफल कर गए

locationरतलामPublished: Feb 22, 2020 05:38:23 pm

Submitted by:

Akram Khan

वाल्मीकि और रत्नाकर जैसे डाकू, संत के सत्संग से जीवन को सफल कर गए

वाल्मीकि और रत्नाकर जैसे डाकू, संत के सत्संग से जीवन को सफल कर गए

वाल्मीकि और रत्नाकर जैसे डाकू, संत के सत्संग से जीवन को सफल कर गए

रतलाम। राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर ने महाशिवरात्रि पर सर्किल जेल में प्रवचन देते हुए कैदियों को कहा कि अपराध करने की वजह से जेल में आए हो, अब इन आदतों को बदल लेना। अपराध होने के बाद मन से हारे हुए हो दुनिया से नहीं, अपनी आदतों को बदलते का अवसर मिला है तो अब कृष्ण बनकर ही जेल से बाहर आना। वाल्मीकि और रत्नाकर जैसे डाकू, संत के सत्संग से जीवन को सफल कर गए। ये संगति का ही असर है, इसे सजा मत समझो, तुम्हे जेल में प्रायश्चित करने भेजा है।
आचार्य ने कहा ये सुधारालय है जीवन को आनंदमय बनाओ, भगवान् का नाम लो। पांचो समय की नमाज अदा करो, राम का नाम जपो, परमात्मा को याद करो। अपराधी कौन नहीं है, समाज में सब अपराधी है। माल था तो सब साथ में घूमा करते थे। श्रद्धा से जेल को भी मंदिर बना सकते हो। जो हो गया, सो हो गया। उसकी अदालत की सजा दिखाई नहीं देती। ऊपर वाले ने ही भेजा है की छोटी अदालत (जेल) में सब ख़त्म कर दो तो, मेरी अदालत में आने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी।
परिवार बाहर सजा भुगत रहे
तुम जेल में बंद हो और परिवार बाहर सजा भुगत रहे होंगे। वे लोग समाज में बैठकर सजा भुगत रहे है। गलतियां महापुरुषों से भी हो जाती है। कैकई और युधिष्ठिर से भी गलतियां हुई है। सोने के महल की चाहत मत रखो, वर्ना लोहे की सलाखे मिला करती है। मां बाप और परमात्मा हमेशा कमजोर बच्चो के साथ ही होता है। उनका ध्यान रखता है। तुम्हारे साथ परमात्मा है, अत: आचरण सुधारो तभी जीवन सफल होगा।
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