बिलपांक के मंदिर में दर्शन करने सुबह से रात तक दूर – दूर से आने वाले भक्तों की भीड़ रही। मंदिर पर सुबह 10 बजे गांव में गंगाजल कलश यात्रा निकाली गई, तो दूसरी तरफ यहां शनिवार रात से ही निसंतान महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए मिलने वाली खीर ग्रहण करने पहुंच चुकी थी। रविवार को 5 दिवसीय यज्ञ पूर्णाहुति के बाद सुबह 11 बजे से खीर प्रसादी का वितरण शुरू हुआ। दोपहर 2 बजे तक करीब 75 हजार निसंतान महिलाओं ने मंदिर पांडाल में 2 क्विंटल दूध व चावल से बनी खीर ग्रहण की। संजय पाटीदार ने बताया कि बिलपांक में 3 दिन पहले इलाहाबाद, उदयपुर, झाबुआ, इंदौर, अजमेर व महाराष्ट्र तक से भक्त आए थे।
आरती के बाद हुआ भंडारा
धराड़ के प्राचीन महाकाल मंदिर पर चल रहे 7 दिवसीय 48 वे पंच कुण्डात्मक महारुद्र यज्ञ के समापन अवसर पर रविवार सुबह 11 बजे मंदिर परिसर से गांव भृमण से होकर गंगाजल कलश यात्रा निकाली गई। शाम चार बजे 7 दिवसीय पंच कुण्डात्मक महारुद्र यज्ञ की पूर्णाहुति हुई। महाकाल मंदिर परिसर में सुबह 11 बजे से दिन भर बाबा महाकाल के दर्शन करने आने वाले भक्तों की भीड़ लग गई। शाम 5 बजे बाबा महाकाल की आरती की गई तथा महाभन्डारे का आयोजन किया गया। 7 दिनों तक मुख्य यज्ञकुंड से पककर तैयार की हुई खीर नि:संतान महिलाओं को वितरीत की गई।
धराड़ के प्राचीन महाकाल मंदिर पर चल रहे 7 दिवसीय 48 वे पंच कुण्डात्मक महारुद्र यज्ञ के समापन अवसर पर रविवार सुबह 11 बजे मंदिर परिसर से गांव भृमण से होकर गंगाजल कलश यात्रा निकाली गई। शाम चार बजे 7 दिवसीय पंच कुण्डात्मक महारुद्र यज्ञ की पूर्णाहुति हुई। महाकाल मंदिर परिसर में सुबह 11 बजे से दिन भर बाबा महाकाल के दर्शन करने आने वाले भक्तों की भीड़ लग गई। शाम 5 बजे बाबा महाकाल की आरती की गई तथा महाभन्डारे का आयोजन किया गया। 7 दिनों तक मुख्य यज्ञकुंड से पककर तैयार की हुई खीर नि:संतान महिलाओं को वितरीत की गई।